धर्म और धर्मनिरपेक्षता का यथार्थ

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स्वतंत्रता के 50 वर्ष बाद यदि हमें धर्मनिरपेक्षता के अर्थ के बारे में आशय स्पष्‍ट है तो अवश्य ही धर्म के प्रति हमारे मन में अनेक उलझनें आज भी हैं जिनका समाधान हम नहीं कर पाए हैं। उस धर्म के बारे में हमारी अवधारणा क्या है जिसके प्रति हम निरपेक्ष…

हमारा कर्तव्य

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इस साल पर्यूषण पर्व के अवसर पर भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के द्वारा 6 अगस्त 2020 को वधशालाओं तथा मांस की दुकानों को बंद रखने का आदेश जारी कर 11 अगस्त 2020 को आदेश को वापस ले लिया जो कानूनी परिधि के प्रतिकूल निर्णय था और यह देश भर में चर्चा का विषय बन गया है।

त्रिगुनरूप भगवान दत्तात्रय

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गीता के इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो व्यक्ति समर्पण भाव से मेरे पास आता है, मैं उसे भयमुक्त करता हूं और हमेशा उसकी रक्षा करता हूं। भगवान अपने भक्तों की रक्षा के लिये और कालानुरूप अवतार लेते है।

मंदिर निर्माण श्रीराम के आदर्शों की पुनर्स्थापना

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अयोध्या में केवल भव्य दिव्य श्रीराम मंदिर नहीं बन रहा है अपितु प्रभु श्रीराम के आदर्शों की भी पुनर्स्थापना हो रही है, जो सदियों-सदियों तक मानव जाति के लिए एक संजीवनी का काम करने के साथ ही एक आदर्शवान, चरित्रवान और दैवीय परिवार, समाज एवं राष्ट्र का नवनिर्माण कराती रहेगी।

संकल्प शिलाओं का पूजन

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिन शिलाओं का पूजन किया वे शिलाएं केवल पत्थर या धातु की नहीं हैं वरन वे देश को वैभव संपन्न करने वाली ’संकल्प शिलाएं’ हैं। यह संकल्प भारत और विश्व के सभी राम भक्तों का है। यह राष्ट्रीय संकल्प है। यह सत्य संकल्प है। राजनीति से इसका कोई संबंध नहीं है।

कृष्णं वंदे जगद्गुरूम्

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जिन्हें भारतीय जीवन मूल्य एवं विचार दर्शन का पूर्ण रूप से आकलन करना है उनके लिए पूर्णावतार श्रीकृष्ण का चरित्र एवं विचार दीपस्तंभ की तरह हैं। विश्ववंद्य भगवद् गीता का उद्गाता, महाभारत के अधिनायक भगवान श्रीकृष्ण याने धर्माधिष्ठित समाज नीति एवं राजनीति का सुंदर संगम है।

राजनीति में हिंदुत्व का अधिष्ठान भी मंदिर निर्माण

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असल में कांग्रेस औऱ दूसरे सेक्यूलर दलों ने जिस दबी जुबान में मंदिर निर्माण का स्वागत किया है उसे संसदीय सियासत के करवट लेते हुए घटनाक्रम के रूप में भी देखे जाने की जरूरत है। ...कल तक जो राजनीति हिंदुओं के सांस्कृतिक मानमर्दन पर फलती फूलती रही है उसका चेहरा औऱ कोण दोनों बदलने वाले हैं।

लाखों हिंदुओं का बलिदान और 76 युद्ध –

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1528 में बाबर द्वारा अयोध्या में श्री राम मंदिर तोड़कर निर्माण की गई मस्जिद के विरोध में हिंदुओं का आंदोलन आरंभ हो गया था। इन पांच सौ वर्षों में अबतक हिंदुओं ने मंदिर की मुक्ति के लिए कोई 76 युद्ध लड़े और कई आंदोलन भी हुए। इनमें लाखों हिंदुओं का बलिदान हुआ। इन बलिदानों व आंदोलनों के कारण ही आज भगवान श्री राम भव्य मंदिर बन रहा है।

सिया राम मय अवनि अम्बर, और अयोध्या धुरी महत्तर

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जिन हिन्दुओं को, जिन भारतीयों को यह क्षण देखने, उसका साक्षी बनने, उसे अनुभव करने का सौभाग्य मिला है उस क्षण के सौभाग्य की तुलना सबके सहस्त्रों वर्षों के पुण्य से हो सकती है। यह भारत माता के प्रति अनन्य भक्ति का पुण्य है।

चल रे कावंरिया शिव के धाम…

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सावन मास में उत्तरी राज्यों में शिवभक्तों की कावड़ यात्रा अपूर्व पर्व है। इसमें भक्त गंगा जल कावर में भरकर उसे शिव मंदिर में जाकर चढ़ाते हैं। चारों ओर कावर कंधे पर धरकर पैदल जाते इन भक्तों के काफिले शिव के नारों से आकाश को गुंजायमान कर देते हैं।

धार्मिक स्थलों पर असमानता

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महिलाओं के शनि मंदिर या शबरीमाला के प्रवेश का विचार करते समय मस्जिद और मजार पर महिला प्रवेश, अन्य पंथियों से विवाह करने वाली पारसी महिला का अग्यारी में प्रवेश, धर्मगुरू के स्थान पर ईसाई महिला को पाबंदी जैसे विषयों पर भी चर्चा होना अनिवार्य लगता है। केवल हिंदू समाज को कटघरे में खड़ा करना उचित नहीं है।

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विदेशों में भगवान बुद्ध के मंदिर में रामजी की विविध लीलाओं का बेहद सुंदर चित्रण देखकर मुझे प्रेरणा मिली कि हमारे देश में भी ऐसा ही होना चाहिए और इसके लिए हमें कुछ करना चाहिए। राम के प्रति जो लोगों की आस्था है, विश्वास है, राम का जो चरित्र है, गाथा है, वह हमारे अन्दर पहुंचे और उसके अनुरूप हम सभी का जीवन हो सके। इसी प्रेरणा ने मुझे उद्वेलित किया और मेरे मन में अंतर्राष्ट्रीय रामायण सम्मेलन करने का विचार आया।

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