पाकिस्तान के हिस्से में जीत और इज्जत बहुत ही कम नसीब होती है हालांकि समय समय पर पाकिस्तान खुद से इसका अनुभव करता रहता है। अफगानिस्तान में मचे बवाल के बाद अब पाकिस्तान भी उसमें अपनी हिस्सेदारी आतंकियों के साथ बता रहा है और यह होगा भी क्यों नहीं पाकिस्तान का हमेशा से आतंकियों को समर्थक रहा है। पाकिस्तान में आतंकियों को पनाह दी जाती है और यह बात पूरा विश्व जानता है। अमेरिका ने लादेन को भी पाकिस्तान में घुस कर मारा था और पाक को पूरी दुनिया के सामने शर्मसार होना पड़ा था।
अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे को लेकर पाकिस्तान अपनी ही पीठ थपथपाने में लगा हुआ है। पाकिस्तान के नेता ऐसा बयान दे रहे है जैसे उन्होंने ही तालिबान को मदद की और अफगानिस्तान में जीत दर्ज कराई। दरअसल पाकिस्तान को इस बात की खुशी कम है कि अफगानिस्तान में तालिबान ने कब्जा कर लिया बल्कि इस बात से ज्यादा खुशी महसूस हो रही होगी कि अब तालिबान के कब्जे से उन्हें भारत को घेरने में आसानी होगी। शायद इसलिए ही पाक गृहमंत्री शेख रशीद ने भारत के खिलाफ जहर उगलना शुरु कर दिया है और खुद की तारीफ करते हुए कहा कि तालिबान के आने से भारत की चिंता बढ़ गयी है। भारत जिस तरह से अफगानिस्तान से अपने लोगों को निकाल रहा है यह उसकी हार को दर्शाता है।

अगर पाकिस्तान के नेता की एक बात पर और गौर करें तो यह पता चलता है कि पाकिस्तान को खुद तालिबान पर भरोसा नहीं है और वह खुद डरा हुआ है। गृहमंत्री शेख रशीद ने तालिबान से गुहार लगाई है कि वह अफगानिस्तान की धरती को पाकिस्तान के खिलाफ कभी भी इस्तेमाल नहीं होने देगा जबकि इससे पहले अफगानिस्तान की सरकार ने भारत को अपना दोस्त बताया था और किसी भी समय अपनी सरजमीं को इस्तेमाल करने की इजाज़त दे दी थी।

पाकिस्तान के गृह मंत्री ने अब क्या समझ कर यह बयान दिया है यह तो वही जानते होंगे लेकिन किसी भी देश से मुसीबत में अपने लोगों को बाहर निकालना किस तरह से हार को दर्शाता है यह किसी के भी समझते से परे है। पाकिस्तान के यह नासमझ नेता इसे किस रूप में इसे अपनी जीत बता रहे है यह भी उन्हें ही समझा होगा। तालिबान की तरफ से खुले रूप में यह कहा गया है कि वह भारत और कश्मीर के किसी भी मुद्दे पर हस्तक्षेप नहीं करेंगे फिर पाकिस्तान को अलग ही फुदकने की क्या जरूरत है।