यहूदियों की तरह हिन्दुओं का हुआ है कई बार नरसंहार

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आज से लगभग 100 साल पहले जब तुर्की में खलीफा राज के लिए मालाबार में हिन्दुओं की गर्दनें उतारी जा रही थीं और पूरा देश गांधीवाद और अहिंसा की भांग खाकर सेक्युलरिज्म की नींद सो रहा था.... तब रत्नागिरी जेल में बंद पूज्य सावरकर अकेले सच लिखने की हिम्मत कर…

द कश्मीर फाइल्स ! : आत्मा को अंदर तक हिला देने वाला अनुभव !

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वैसे तो ये “आत्मा को हिला देने वाला” जैसे शब्द भी इस अनुभव के सामने बेहद ही छोटे हैं | हम सभी को कश्मीर की सच्चाई पता है | कश्मीर में १९ जनवरी १९९० को क्या हुआ है ये पता है | और जिसे नहीं पता उसे अब पता होगा…

भारत में आतंकवाद का पुनर्प्रवेश?

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धारा 370 को खत्म हुए कुछ ही वर्ष हुए हैं। अत: यह समझ लेना बड़ी भूल होगी कि कश्मीर से आतंकवाद समाप्त हो गया है। अगर अफगानिस्तान में 20 वर्षों के बाद पुन: तालिबानी कब्जा कर सकते हैं तो भारत में कश्मीर या अन्य राज्यों में भी पुन: आतंकवादी गतिविधियां हो ही सकती हैं। बानगी हम कश्मीर में देख ही चुके हैं।

तालिबान और भारत के तथाकथित सेक्युलर

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कल्पना कीजिए अगर किसी हिन्दू संगठन ने ऐसा किया होता तो देश के सेक्युलर बुद्धिजीवियों ने कैसा रुदन मचा दिया होता? आज इन बुद्धिजीवियों और तुष्टिकरण की राजनीति के झंडावरदारों को अफगानी महिलाओं और बच्चों पर हो रहा बर्बर अत्याचार नजर नहीं आ रहा है क्योंकि वहां उनकी सेलेक्टिव सेक्युलरिज्म की थ्योरी फिट बैठती है।

अफगानिस्तान की हलचल का भारत पर प्रभाव

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अफगानिस्तान में तालिबान का वर्चस्व स्थापित हो चुका है। राष्ट्रपति अशरफ गनी, उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह और उनके सहयोगी देश छोड़कर चले गए हैं।

भारत को बचना होगा तालिबानी सोच से

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अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों में भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ अफगानिस्तान के लोग शरणार्थी बनकर जा सकते हैं। क्योंकि पाकिस्तान की हालत किसी से छुपी नही है और चीन सांस्कृतिक दृष्टि से और सीमाओं की दूरी की दृष्टि से अफगानिस्तान से इतना दूर है कि वहां जाना अफगानिस्तान के लोगों को नहीं सुहाएगा। ऐसे में उन्हें भारत आना ही सबसे आसान लगेगा।

तालिबान का कब्जा, पाक की जीत और भारत की हार कैसे हुई?

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पाकिस्तान के हिस्से में जीत और इज्जत बहुत ही कम नसीब होती है हालांकि समय समय पर पाकिस्तान खुद से इसका अनुभव करता रहता है। अफगानिस्तान में मचे बवाल के बाद अब पाकिस्तान भी उसमें अपनी हिस्सेदारी आतंकियों के साथ बता रहा है और यह होगा भी क्यों नहीं पाकिस्तान…

मुंबई पर फिर जिहादी हमला – अगस्त २०११

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चरमपंथी इस्लामिक जिहादी आतंकवादी हमला और छद्म युद्ध पर आवरण कथा प्रकाशित की गई है. इसमें जिहाद के तीन भागों अर्थात जिहादे असगर, जिहादे अकबर और जिहाद पर भी प्रकाश डाला गया है. इसके साथ ही जिहादी आतंकवाद के प्रति कांग्रेस की नरमी और आतंकवाद को भगवा रंग देने के षड्यंत्र को उजागर किया है.

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