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डाकघर की स्थापना और टिकट का इतिहास

डाकघर की स्थापना और टिकट का इतिहास

by हिंदी विवेक
in विशेष, संस्था परिचय
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भारत में डाक सेवा करीब 171 साल पुरानी है और यह ब्रिटिश राज के समय से लगातार सेवा देती आ रही है। डाकघर की स्थापना 1 अप्रैल 1854 को हुई थी लेकिन उसकी सेवाएं 1 अक्टूबर 1854 से शुरू हुई। यह काल ब्रिटिश सरकार का था और उनके अंतर्गत पहले से ही करीब 701 डाकघर पहले से थे जिसको मिलाकर भारतीय डाकघर की स्थापना की गयी थी। जब डाकघर की स्थापना हुई तो यह पहला माध्यम था जब एक जगह से दूसरे जगह पर संदेश भेजा जाता था। एक ही देश में संदेश भेजने के लिए अंतर्देशीय डाक का इस्तेमाल किया जाता था जबकि किसी दूसरे देश में संदेश भेजने के लिए अंतरराष्ट्रीय पत्र का इस्तेमाल करना पड़ता था। 
डाकघर ने एक लंबा सफर पूरा कर लिया है और यह अभी भी जारी है लेकिन जब इसकी स्थापना 1854 में हुई थी तो दुनिया कुछ और थी लेकिन आज बदलाव के चलते हम बहुत आगे निकल आ गये हैं जिससे समय के साथ साथ डाकघर को बदलना पड़ा और नई नई सुविधाएं शुरू करनी पड़ी। आज 21वीं सदी चल रही है और डाकघर को पूरी तरह से कम्प्यूटर कृत कर दिया गया है और अब डाकघर पत्र के अलावा भी बहुत सारे काम करता है। तेजी से बढ़ते संचार माध्यमों की वजह से डाकघर से पत्र व्यवहार का काम करीब करीब खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है जबकि अतिरिक्त कार्यों को बढ़ा दिया गया है। 
ब्रिटिश शासन खत्म होने के बाद भारत ने संविधान से लेकर डाक टिकट तक सब कुछ बदल दिया। 21 नवंबर 1947 को भारतीय डाक का टिकट भी बदल दिया गया। स्वतंत्र भारत के इस डाक टिकट पर तिरंगा था और बगल में ‘जय हिंद’ लिखा हुआ था। उस समय इस डाक टिकट की कीमत साढ़े तीन आना यानी कि 14 पैसा थी। 15 अगस्त 1947 को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने लाल किला से भाषण का समापन ‘जय हिंद’ से किया और उसी समय डाक विभाग को यह निर्देश जारी किया गया कि हर डाक टिकट पर ‘जय हिंद’ की मोहर लगाई जाएगी। आजादी के बाद डाक टिकट का इस्तेमाल सिर्फ देश के अंदर के लिए किया जाता था जबकि बाद में इसे विश्व स्तर पर उपयोग में लाया जाने लगा। 
महात्मा गांधी आजाद भारत के पहले व्यक्ति थे जिनके नाम पर डाक टिकट जारी हुआ था। महात्मा गांधी के डाक टिकट उनकी फोटो थी और ऊपर हिन्दी और उर्दू में ‘बापू’ लिखा था। वैसे तो कई लोगों के नाम पर डाक टिकट जारी किया गया था लेकिन महात्मा गांधी ऐसे व्यक्ति हैं जिनके नाम पर सबसे अधिक डाक टिकट जारी किया गया था। 14 नवंबर 2013 को क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के नाम पर भी डाक टिकट जारी कर उन्हें सम्मानित किया गया था।  
 

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Tags: bharatiya dakconnaught placehindi vivekhindi vivek magazineindia postageindian postnew delhispecialsubject

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