हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
उत्तर प्रदेश में विपक्ष दे रहा है भाजपा को उसके अनुकूल मुद्दे

उत्तर प्रदेश में विपक्ष दे रहा है भाजपा को उसके अनुकूल मुद्दे

by अवधेश कुमार
in राजनीति, विशेष
0

उत्तर प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य पर नजर दौड़ाइए तो विधानसभा चुनाव के संदर्भ में कई रोचक तस्वीर दिखाई देगी। भाजपा अपने मुद्दों के साथ पहले से बुद्धिमता और योजनाबद्ध तरीके से सक्रिय है। मजे की बात कि विपक्षी दल भी ऐसे मुद्दे उठा रहे हैं जो भाजपा के लिए ज्यादा अनुकूल हो जाते हैं। इससे भाजपा अपनी रणनीति से विपक्ष को घेरने में सफल हो जाती है । ताजा मामला सपा प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा महात्मा गांधी, सरदार पटेल ,जवाहरलाल नेहरू के समकक्ष मोहम्मद अली जिन्ना को खड़ा करने का है। उन्होंने कह दिया कि सभी एक ही संस्थान से पढे, बैरिस्टर बने और आजादी के संघर्ष में भाग लिया। यह  समझ से परे है कि जिस जिन्ना को आम भारतीय खलनायक के रूप में देखता है उसका इन महापुरुषों के साथ नाम लेने की क्या आवश्यकता थी? क्या अखिलेश मानते हैं कि जिन्ना का नाम लेने से मुसलमानों का एकमुश्त वोट सपा के खाते में आ जाएगा? उत्तर प्रदेश के चुनावी समीकरण में अगर मुसलमानों का बड़ा समूह भाजपा के विरुद्ध रणनीतिक मतदान करेगा तो संभवतः उसके पास सपा पहला विकल्प होगा। अखिलेश इसे सुदृढ़ करना चाहते हैं तो बहुत सारे मुद्दे हो सकते हैं।

बहुसंख्यक मुसलमान जिन्ना को अपना महापुरुष मानकर वोट देंगे इसे स्वीकार करना भी कठिन है। अखिलेश को भी पता है कि जिन्ना भारत विभाजन के सबसे बड़े खलनायक थे। एक समय भले वे अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन में काम कर रहे थे लेकिन बाद में उन्होंने मुस्लिम सांप्रदायिकता को बढ़ाया, विभाजनकारी वक्तव्य दिए, कदम उठाए, मांगें की और डायरेक्ट एक्शन के द्वारा भीषण दंगे कराए। भाजपा के लिए विपक्ष द्वारा ऐसे मुद्दे मुंहमांगा वरदान  साबित होते हैं। भाजपा की ओर से आई प्रतिक्रियायें सामने हैं। भाजपा किसी न किसी रूप में जिन्ना का नाम पूरे चुनाव तक जिंदा रखेगी। रखना भी चाहिए। भारत का कोई नेता राष्ट्रपिता से लेकर महापुरुषों के समानांतर जिन्ना को खड़ा करता है तो यह बड़ा मुद्दा होना ही चाहिए। क्या अखिलेश भूल गए थे कि मतदाताओं के दूसरे समूह में इसके विरुद्ध प्रतिक्रिया भी हो सकती है? ऐसा कौन होगा जो कहेगा कि अखिलेश ने जिन्ना का नाम लेकर सही किया? तो अखिलेश ने बिना बुलाए भाजपा के अभियान की तरकस में जिन्ना नाम का एक तीर दे दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसे मुस्लिम तुष्टीकरण का शर्मनाक नमूना बताते हैं तो उन्हें कैसे  गलत कहा जाएगा? असदुद्दीन ओवैसी को भी कहना पड़ा कि अखिलेश रणनीतिकारों को बदलें। अखिलेश भाजपा और योगी सरकार के विरुद्ध जो मामले उठाएंगे भाजपा के लिए यह कह कर जवाब देना आसान हो गया कि भाई, उन्हें तो जिन्ना चाहिए।

किसी भी संघर्ष में विजय का एक सिद्धांत यह है कि आप हमलावर रहे रक्षात्मक नहीं। इस मामले में सपा के पास रक्षात्मक होने के अलावा कोई चारा नहीं है। यहां भाजपा आक्रामक है। यह कोई पहली घटना नहीं है। सरसरी नजर भी दौड़ाएंगे तो साफ दिखाई देगा कि उप्र की विपक्षी पार्टियां लगातार भाजपा को ऐसे मुद्दे दे रही है या स्वयं भाजपा के मुद्दों पर चुनाव लड़ने की कोशिश कर रही है। अयोध्या में श्रीराम जन्म भूमि मंदिर का निर्माण संघ परिवार और भाजपा के एजेंडे में रहा है। उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद केंद्र एवं प्रदेश सरकार ने निर्माण में तेजी ला दी तथा व्यवस्थित तरीके से कार्य आगे बढ़ रहा है। इसमें कोई भी पार्टी चुनाव पूर्व अयोध्या की यात्रा करती है, श्री राम का दर्शन करती है और कहती है कि वह परम भक्त है तो भाजपा किस रूप में भुनाएगी इसकी कल्पना की जा सकती थी। सपा, कांग्रेस और बसपा तीनों पर योगी आदित्यनाथ ,अमित शाह सहित सारे नेता यह कहते हुए हमला करते हैं कि ये चुनावी राम भक्त हैं। इन्होंने हमेशा राम जन्मभूमि आंदोलन का विरोध किया।

कांग्रेस के बारे में कहते हैं कि इन्होंने तो मस्जिद बनाने का वायदा किया था। सपा के बारे में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उनके अब्बाजान तो कारसेवकों पर गोलियां चलवाते थे। कोई नेता अयोध्या जाए, राम का दर्शन करें ,स्वयं को निष्ठावान हिंदू कहे इसमें समस्या नहीं है लेकिन चुनावी दृष्टि से देखें तो इस पायदान पर भाजपा सबसे ऊंचाई पर दिखाई देगी। आखिर मंदिर निर्माण के फैसला आने से पहले ही योगी सरकार ने अयोध्या के पुनर्निर्माण की योजना बनाकर काम शुरू कर दिया था। अयोध्या दीपोत्सव महिमामंडित त्योहार के रूप में स्थापित किया गया। अयोध्या में श्री राम का विशालकाय मूर्ति स्थापित हुआ। फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या रखा गया। धीरे-धीरे वाराणसी के समान अयोध्या को प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विख्यात करने की कोशिश हुई और उसमें काफी हद तक सफलता मिली। केंद्र सरकार ने रामायण सर्किट की शुरुआत कर अयोध्या को मुख्य केंद्र में रख दिया। इसमें विपक्ष भाजपा से कहां बाजी मार सकता है? जब आप श्री राम मंदिर और अयोध्या को मुद्दा बनाते हैं ,कहते हैं कि हम असली रामभक्त हैं और भाजपा नकली तो आपके पास अपना किया दिखाने के लिए कुछ नहीं होता और भाजपा के पास बहुत कुछ होता है।

पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद विपक्ष में धारणा यह बनी है कि ममता बनर्जी ने स्वयं को निष्ठावान हिंदू साबित किया और इसका असर मतदाताओं पर पड़ा। यहां केवल इतना ही कहना पर्याप्त होगा कि बंगाल का चुनावी माहौल, सामाजिक- धार्मिक समीकरण अलग था। करीब 30  प्रतिशत मुस्लिम वोट तथा बड़े पैमाने पर वामपंथी सोच के मतदाताओं के रहते भाजपा के लिए तृणमूल को पराजित करना आसान नहीं था। उनके सामने भाजपा को हराना ही एकमात्र लक्ष्य था और विकल्प तृणमूल ही थी। इसलिए अन्य राज्यों में विपक्षी नेता गलतफहमी न पालें कि बंगाल हर जगह दोहराया जा सकता है। खासकर उप्र में तो कतई नहीं। दुर्भाग्य है कि विपक्ष इसी दिशा में आगे बढ़ने की कोशिश करता रहा।

सपा ने राम का नाम भी लिया और समानांतर परशुराम को खड़ा करने की कोशिश की। पिछले चुनाव में भी अखिलेश ने अंकोरवाट की तर्ज पर विष्णु मंदिर बनाने की घोषणा कर दी। मतदाता उस समय प्रभावित नहीं हुए तो आज कैसे हो जाएंगे? बसपा के सतीश मिश्र अयोध्या  जाकर श्री राम की भले पूजा करें उन्हें कौन हिंदुत्व निष्ठ ब्राह्मण स्वीकार करेगा? भाजपा याद दिला रही है कि कांशीराम ,मायावती और बसपा हिंदू देवी देवताओं के बारे में कैसी बातें करते थे ? मायावती के लिए बसपा के सिद्धांतों के कायम रहते अयोध्या जाकर राम मंदिर में माथा टेकना आसान नहीं है। यह तो संयोग कहिए कि अभी तक भाजपा ने मायावती को चुनौती नहीं दी है कि वह आकर राम के चरणों में मत्था टेकें । हर पार्टी ब्राह्मण सम्मेलन कर रहे हैं। ब्राह्मण केवल एक सामान्य जाति नहीं धार्मिक रूप से सबसे ज्यादा आस्थावान और कर्मकांड कराने वाला ऐसा समुदाय है, जो धार्मिक स्थलों व प्रतीकों के प्रति अत्यंत संवेदनशील है। स्थानीय राजनीतिक समीकरणों से उनका कुछ भाग इधर -उधर जाए लेकिन अगर धर्म – संस्कृति के आधार पर सरकार का मूल्यांकन करेंगे तो सामने पहले नंबर पर कौन पार्टी होगी? आप ब्राह्मणों के बीच जाकर उनके मुद्दे उठाएंगे तो भाजपा भी अपने कामों को सामने रखेगी और तुलना होगी।

वाराणसी ,अयोध्या, विंध्याचल, प्रयागराज और दूसरे धार्मिक- सांस्कृतिक रूप से प्रमुख स्थलों पर भाजपा को घेरना विपक्ष के लिए अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है। हिंदुत्व,राष्ट्रवाद ,सुरक्षा और आतंकवाद तथा जम्मू-कश्मीर आदि मुद्दों पर भाजपा को जितना घेरते हैं उसके लिए चुनाव अभियान उतना ही आसान होता है । आतंकवादियों की गिरफ्तारी पर सपा और कांग्रेस या बसपा प्रश्न उठाती है तो फिर भाजपा बताती है कि देखो, ये तो आतंकवाद के समर्थक हैं। मुस्लिम अपराधी व माफिया के विरुद्ध योगी की कार्रवाई पर प्रश्न उठाते हैं तो भाजपा उसे भुनाती है। इसी तरह लव जिहाद के विरुद्ध कानून हो या जनसंख्या नियंत्रण ,उन पर विपक्ष का रवैया भाजपा के लिए अनुकूल ही रहा है। कुल मिलाकर कहने का तात्पर्य यह कि उत्तर प्रदेश में विपक्ष भाजपा के खिलाफ एकजुट नहीं है तो मुद्दों को लेकर उसे ठंडे दिमाग से पुनर्विचार करना होगा। थोड़ी सी बुद्धि खर्च करें तो भाजपा और सरकार के विरुद्ध ऐसे मुद्दे मिल सकते हैं जिन पर उन्हें रक्षात्मक बनाया जा सकता है। इसके विपरीत यदि इसी रास्ते पर उनका चुनाव अभियान जारी रहा तो भाजपा का सत्ता में जाने का रास्ता स्वयं आसान बना देंगे।

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: BJPbspcongresshindi vivekhindi vivek magazinemission 2022opposition partiessputtar pradeshuttarprdesh electionvidhan sabha

अवधेश कुमार

Next Post
शाश्वत प्राकृतिक कृषि विज्ञान के जनक ऋषि पराशर

शाश्वत प्राकृतिक कृषि विज्ञान के जनक ऋषि पराशर

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0