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प्रहार दिवस: ‘विजय दिवस’ पर स्वंयसेवक क्यों करते हैं दंड प्रहार?

प्रहार दिवस: ‘विजय दिवस’ पर स्वंयसेवक क्यों करते हैं दंड प्रहार?

by हिंदी विवेक
in ट्रेंडींग, संघ, संस्कृति
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16 दिसंबर को पूरे देश में विजय दिवस मनाया जाता है जबकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तरफ से इस दिन को ‘प्रहार दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। 16 दिसंबर 1971 को भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध की समाप्ति हुई थी और भारत को ऐतिहासिक जीत हासिल हुई थी जबकि पाकिस्तान को 93 हजार सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण करना पड़ा था। विजय दिवस के रूप में उन सैनिकों को याद किया जाता है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया था तो वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तरफ से दंड प्रहार कर सैनिकों को श्रद्धांजली दी जाती है और दंड प्रहार से यह साबित किया जाता है कि हम किसी भी चुनौती के लिए तैयार हैं। 

16 दिसंबर को पूरे देश की शाखाओं में दंड प्रहार का आयोजन किया जाता है और शाखा के सभी स्वयंसेवक दंड प्रहार कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हैं और भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। 500 या फिर 1 हजार से अधिक दंड प्रहार करने वाले स्वयंसेवकों को शाखा की तरफ से प्रोत्साहित भी किया जाता है। दंड प्रहार के माध्यम से स्वयंसेवक अपनी क्षमता और दक्षता का परिचय देते है। दंड प्रहार को लेकर शाखा पर पहले से अभ्यास किया जाता है ताकि अधिक से अधिक दंड प्रहार किया जा सके। दंड प्रहार के दिन बाल, तरुण और पौढ़ सभी एक साथ प्रहार मारते हैं और अधिक से अधिक संख्या दर्ज कराते हैं। 

वर्ष 2011 से विजय दिवस के दिन प्रहार दिवस मनाने की शुरुआत हुई है इस दिन स्वयंसेवक प्रहार की आहुति देते हैं और देश के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। प्रहार दिवस के अवसर पर स्वयंसेवकों में एक अलग ही जोश देखने को मिलता है और वह राष्ट्र प्रेम के लिए प्रतिज्ञा करते है। गुरुवार को 50वें विजय दिवस के मौके पर पूरे देश की संघ शाखाओं में प्रहार दिवस मनाया गया और स्वयंसेवकों ने प्रहार कर एक बार फिर से शहीदों को श्रद्धांजली अर्पित किया।  

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Tags: 50th prahar diwasdand praharhindi vivekhindi vivek magazineprahar diwasrashtriya swayamsevak sanghrssRSS shakhavijay diwas

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Comments 1

  1. Anonymous says:
    3 years ago

    भारत माता की जय 🇮🇳🙏🏻

    Reply

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