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भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने वाले अटल जी

भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने वाले अटल जी

by मृत्युंजय दीक्षित
in राजनीति, विशेष, व्यक्तित्व
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भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी एक ऐसे राजनीतिज्ञ व सहृदय व्यक्त्वि के धनी, महान कवि और प्रख्यात पत्रकार थे जिनके मन में सदैव देश ही सर्वोपरि रहता था। आज भारत जिस तेज गति से देश की सुरक्षा से लेकर आम जनजीवन से संबंधित हर क्षेत्र में में तेज गति से विकास कर रहा है और आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर है उसमें अटल जी का बहुत बड़ा योगदान है। आज भारत तेज गति से मिसाइलों के क्षेत्र में नित नए परीक्षण करके अपने आप को सशक्त बना रहा है और शत्रु राष्ट्र  भारत की बढ़ती सैन्य शक्ति व आत्मनिर्भर हो रही रक्षा प्रणाली से भयभीत हो रहे हैं वह भी अटल जी की ही सरकार का प्रारम्भ किया हुआ काम है जो कांग्रेस की सरकार में रूका हुआ था और अब मोदी जी उसे आगे बढ़ा रहे हैं । 

प्रधानमंत्री के रूप में अटल जी का कार्यकाल बहुत ही साफ सुथरा और भ्रष्टाचारमुक्त रहा था। उनके प्रधानमंत्रित्व काल में जिन परियोजनाओं पर काम किया गया वही अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के शासन काल में धरातल पर उतर रहीं हैं। अटल जी की सरकार के बाद बंद पड़ी योजनाओं पर तेज गति से काम हो रहा है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण का अटल जी का सबसे बड़ा सपना भी पूर्णता की ओर बढ़ रहा है। उनकी एक और बड़ी इच्छा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद -370 और 35- ए का समापन भी पूर्ण हो चुकी है और जम्मू -कश्मीर अटल जी की इच्छाओं के अनुरूप बदलाव की ओर अग्रसर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के शासनकाल में जो भी विकास के काम आगे बढ़ रहे हैं उसमें अटल जी की ही छाप सर्वत्र दिखलायी पड़ रही है। 

पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी लोकतंत्र के सजग प्रहरी , बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे  उनमें चिंतन की निरंतर गहनता, वैचारिक विविधता एक प्रशासक की अटल दृढ़ता, राजनेता की अर्न्तदृष्टि एवं राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव उनके व्यक्तित्व में दृष्टिगोचर होता था। अटल जी एक संवेदनशील कवि, लेखक और पत्रकार भी थे। 

अटल जी का जन्म 25 दिसम्बर 1926 को शिन्दे की छावनी (मध्य प्रदेश ) में प्राइमरी स्कूल अध्यापक स्वर्गीय पंडित कृष्ण बिहारी बाजपेयी के घर पर हुआ। उनकी माता का नाम श्रीमती कृष्णा देवी था जो कि धर्मपरायण महिला थीं। जब अटल जी का जन्म हुआ तो उनके घर में मंगल वाद्य बजाये गये। अटल जी का पूरा परिवार ही संघ के प्रति निष्ठावान था। वह आठ वर्ष की आयु में ही संघ के संपर्क में आ गये और विद्यार्थी जीवन में ही संघ से प्रेरित होकर मन में ठान लिया था कि वे देश के लिये जियेंगे और देश के लिये ही मरेंगे। अटल जी की शिक्षा दीक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) और कानपुर के डी ए वी कालेज में संपन्न हुई। बी ए की परीक्षा उच्च श्र्रेणी में पास की व राजनीति शास्त्र में एम ए प्रथम श्र्रेणी में पास करी। अध्ययन के दौरान ही अटल जी नेता बन चुके थे तथा विक्टोरिया कालेज छात्र संघ के महामंत्री ,ग्वालियर छात्र संघ के अध्यक्ष एव आर्य कुमार सभा के महामंत्री बने रहे। अटल जी ने अपने  पिता के साथ ही एल एल बी की परीक्षा पास की। अटल जी को मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त था तथा छात्र जीवन में ही वाद विवाद प्रतियोगिता , कविता पाठ प्रतियोगिता आदि में भाग लेकर लोकप्रियता हासिल कर ली थी। साहित्य और लेखन की रूचि के कारण वह लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन तथा स्वदेश आदि समाचार पत्र ,पत्रिकाओें के संपादक  भी रहे। 

उन्होंने 1946 में ही अपना जीवन संघ को समर्पित कर दिया था उन्होंने काफी समय तक पूर्णकालिक प्रचारक के रूप मे कार्य किया। अटल जी कहा करते थे कि भारत का प्रत्येक कण स्वर्ग से भी अधिक पवित्र है तथा महान तीर्थ है। उनका कहना था कि हमारे एकमात्र देवी देवता हमारे देशवासी हैं। उनकी पूजा अर्चना ही सच्ची मानवता है। हमारे राष्ट्रीय जीवन का मूल स्रोत हमारा धर्म है। अटल जी का राजनैतिक जीवन बहुत ही संघर्ष से भरा रहा । जब स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपनी सरकार को बचाने के लिए आपातकाल लगाया तब उन्होंने कांग्रेस विरोधी नेताओं को एकत्र करने और आपातकाल को उखाड़ फेकने में महती भूमिका अदा की थी। अटल जी व संघ ने आपातकाल के खिलाफ बहुत संघर्ष किया और जिसके परिणामस्वरूप ही मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी और उस सरकार में अटल जी विदेश मंत्री बने वह देश के ऐसे पहले विदेश मंत्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में भाषण दिया। इस प्रकर वह देश के से पहले विदेश मंत्री बने जिन्होंने संयुक्तराष्ट्र महासभा में हिदी में  भाषण दने की परम्परा की षुरूआत की। 

अटल जी देश के तीन बार प्रधानमंत्री बने। पहले 13 दिन,  फिर 13 माह व फिर पूरे सत्र के लिए प्रधानमंत्री बने। अटल जी की सरकार में कई ऐतिहासिक कदम उठाये गये थे जिनकी गूंज आज भी सुनायी दे रही है। अटल जी सरकार ने वैश्विक  दबाव को नजरअंदाज करते हुए परमाणु परीक्षण किये तथा विश्व के कई देशों  ने भारत पर प्रतिबंध भी लगाये लेकिन वह किसी दबाव में नहीं झुके। अटल जी ने पाकिस्तान के साथ मैत्री को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लाहौर से बस यात्रा भी की लेकिन इसके बदले में भारत को पाकिस्तान के विश्वासघात का सामना करना पड़ा और कारगिल की पहाडियों पर फिर भारतीय सेना ने अपना पराक्रम दिखाया जिससे अटल सरकार की अटल जी जब तीसरी बार प्रधानमंत्री बने तब उनकी सरकार में कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम आरम्भ हुआ। अटल जी की सरकार में ही सौ वर्ष पुराने कावेरी विवाद को सुलझाया गया। स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना की शुरूआत अटल जी की सरकार में ही हुई। ऐसे बहुत से काम हुए जो अटल जी की सरकार के लिए गौरव की बात रहे हैं। 

अटल जी को अपने राजनैतिक जीवन में कई पुरस्कार प्राप्त हुए। जिसमें 1992 में पदम विभूषण , 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार , 1994 में श्रेष्ठ सांसद पुरस्कार , 1994 में भारतरत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें कानपुर विष्वविद्यालय ने 1993 में डी लिट की उपाधि भी प्रदान की । 2015 में बांग्लादेश की ओर से फ्रेंडस आफ बांग्लादेश लिबरेशन अवार्ड से सम्मानित किया गया।  अटल जी एक ऐसे राजनेता थे जिनका सम्मान  हर विरोधी दल के नेता व विचारधारा के लोग करते थे। अटल जी को 2015 में ही भारतरत्न से सम्मानित किया गया। अटल जी एक युग पुरूष थे।  उनके जीवन में सादा जीवन उच्च विचार की झलक मिलती है। उन्होंने पूरी तरह से सात्विक जीवन जिया। उनकी कविताओं में अंतर्मन की कथा और व्यथा दिखती है।

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