इस ओमीक्रॉन वैरिऐंट में बड़ी संख्या में म्युटेशंस हैं जो किसी संक्रमण अथवा टीकाकरण के उपरांत विकसित उदासीनकारी यानी न्यूट्रलाइज़िंग एंटीबॉडीज़ और चिकित्सीय मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज़ का विरोध कर सकते हैं। इसके स्पाइक प्रोटीन के विभेदन स्थल के आस- पास भी म्यूटेशन के समूह देखे जाते हैं। यह स्पाइक प्रोटीन वायरस को कोशिकाओं तक पहुंचाने में मदद करता है। कोरोना वायरस जितनी आसानी से कोशिकाओं में प्रवेश करते हैं उतनी ही तेजी से उनका उत्पादन भी होता है और उनकी संचारक क्षमता भी बढ़ जाती है।
हाल ही में दक्षिण अफ्रीका और बोत्सवाना से मिले कोरोना वायरस के नमूनों में एक नया वैरिऐंट (उत्परिवर्तित रूप) उभर कर आया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे ओमीक्रॉन का नाम दिया है। वंशावली यानी लीनिएज के आधार पर इसे B.1.1.529 का नाम दिया गया हैं। इस ओमीक्रॉन वैरिऐंट में 50 म्यूटेशंस यानी उत्परिवर्तन देखे गए हैं जो डेल्टा वैरिऐंट की तुलना में दोगुना हैं। इसके स्पाइक प्रोटीन में 32 म्युटेशंस देखे गए हैं, उपलब्ध सभी वैक्सीन इन्हीं स्पाइक प्रोटीनों को अपना लक्ष्य बनाती हैं। इस प्रोटीन में रिसेप्टर को बांधने वाला एक प्रमुख क्षेत्र होता है, जहां से वायरस कोशिकाओं में प्रवेश करता है। इस प्रोटीन में 10 म्युटेशन पाए गए हैं जबकि डेल्टा में केवल दो म्यूटेशन थे।
दक्षिण अफ्रीका की एक चिकित्सक डॉ. एंजेलिके कोत्जी़, जिन्होंने इस नए वैरिऐंट से पीड़ित रोगियों का इलाज किया और अधिकारियों को इसके विषय में सचेत किया, ने इसके लक्षणों को असामान्य परंतु मंद बताया हैं। शुरुआती विश्लेषण से ओमीक्रॉन के उन विषाणुओं का वंशज होने का संकेत मिलता है जिसका संचरण वर्ष 2020 के मध्य में हुआ था। संयुक्त राज्य अमेरिका के सिएयटेल स्थित फ्रेड हचिंसन कैंसर रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक ट्रेवोर वेडफोर्ड ने ओमीक्रॉन के 77 जीनोम्स का विश्लेषण करने के परिणाम स्वरूप इस ओमीक्रॉन वैरिएंट के अक्टूबर, 2021 के प्रथम सप्ताह में उपस्थित होने का संकेत दिया है, जो 11 नवंबर, 2021 को एकत्र किए एक नमूने में इसकी प्रथम पहचान होने के अनुरूप है। दक्षिण अफ्रीका और बोत्सवाना के वैज्ञानिकों और चिकित्सकों द्वारा दुनिया को इस नए वैरिऐंट से सचेत करना अत्यंत सराहनीय है परंतु अफ्रीकी देशों की केवल 5% से कम आबादी का ही पूर्ण टीकाकरण हुआ है। अतः जब तक सभी सुरक्षित नहीं होंगे एक भी व्यक्ति सुरक्षित नहीं होगा। दिनांक 26 नवंबर, 2021 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस नए वैरिएंट (B.1.1.529) ओमीक्रॉन का नाम देते हुए इसे एक चिंताजनक वैररिएंट (वैरिऐंट ऑफ कंसर्न) के रूप में बताया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इस ओमीक्रॉन वैरिऐंट में बड़ी संख्या में उत्परिवर्तन यानी म्यूटेशंस पाए गए हैं। इस ओमीक्रॉन वैरिऐंट में बड़ी संख्या में म्युटेशंस हैं जो किसी संक्रमण अथवा टीकाकरण के उपरांत विकसित उदासीनकारी यानी न्यूट्रलाइज़िंग एंटीबॉडीज़ और चिकित्सीय मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज़ का विरोध कर सकते हैं। इसके स्पाइक प्रोटीन के विभेदन स्थल के आस-पास भी म्यूटेशन के समूह देखे जाते हैं। यह स्पाइक प्रोटीन वायरस को कोशिकाओं तक पहुंचाने में मदद करता है। कोरोना वायरस जितनी आसानी से कोशिकाओं में प्रवेश करते हैं उतनी ही तेजी से उनका उत्पादन भी होता है और उनकी संचारक क्षमता भी बढ़ जाती है।
ओमीक्रॉन (B.1.1.529) का वर्गीकरण :S-RS-CoV-2 का चिंताजनक वैरिऐंटS-RS-CoV-2 वायरस इवोल्यूशन पर टेक्निकल एडवाइज़री ग्रुप (T-G-VE) विशेषज्ञों का एक ऐसा स्वतंत्र समूह है जो समय-समय पर S-RS-CoV-2 पर निगरानी रखता है और उसमें होने वाले परिवर्तनों के साथ-साथ उस विषाणु के व्यवहार में आए बदलाव के बाद उसमें हुए विशिष्ट उत्परिवर्तनों यानी म्यूटेशंस अथवा संयुक्त उत्परिवर्तनों का मूल्यांकन करता है। दिनांक 26 नवंबर, 2021 को T-G-VE द्वारा S-RS-CoV-2 के वैरिऐंट B.1.1.529 के मूल्यांकन के उद्देश्य से एक सभा आयोजित की गई। इस समूह के अनुसार वायरस के इस वैरिऐंट पर अनेक अध्ययन जारी रखे जाएंगे। प्राप्त परिणामों को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सदस्य देशों के बीच साझा किया जाएगा। कोरोना वायरस के इस वेरिएंट में देखे गए घातक परिवर्तन के आधार पर T-G-VE ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को इसे वैरिऐंट ऑफ कंसर्न (चिंताजनक वैरिऐंट) का नाम देने का सुझाव दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने B.1.1.529 वैरिऐंट को ओमीक्रॉन का नाम दिया है। इस वैरिऐंट में संचरण बहुत अधिक तीव्र होने अथवा उपलब्ध नैदानिकी, वैक्सीनों और चिकित्सा के प्रति प्रभावकारिता में गिरावट होने जैसी स्थितियां संबद्ध हो सकती हैं।
ओमीक्रॉन वैरिऐंट और वैक्सीन
विश्व में कोविड-19 के विरुद्ध वैक्सीन निर्माता कंपनियों – फा़इजर और बायोएनटेक का मानना है कि 2 सप्ताह के भीतर ऐसे आंकड़ों के मिलने की संभावना है जिनसे यह पता चलेगा कि इन कंपनियों द्वारा निर्मित कोरोना वायरस वैक्सीन में ओमीक्रॉन वैरिऐंट से मुकाबला करने के लिए कुछ फेरबदल करना है या नहीं। ये दोनों कंपनियां अपनी एम आरएनए वैक्सीन को बनाने में जुट गई हैं और संभवतः 6 सप्ताह के भीतर इस वैरिऐंट के विरुद्ध कारगर वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी। इन कंपनियों ने अन्य वैरिएंट्स के विरुद्ध भी अपनी वैक्सीनों की प्रभावकारिता की जांच करने के लिए क्लिनिकल ट्रायल्स की शुरुआत कर दी है। इसी तरह एक अन्य एम आरएनए कोरोना वायरस वैक्सीन की निर्माता कंपनी मॉडर्ना ने ओमीक्रॉन वैरिऐंट के विरुद्ध अपनी वैक्सीन की जांच पड़ताल तेज कर दी है जिसके परिणाम कुछ सप्ताहों के भीतर मिलने की संभावना है। मॉडर्ना के अनुसार ओमीक्रॉन वैरिऐंट में उपस्थित उत्परिवर्तन यानी म्यूटेशन द्वारा प्राकृतिक और वैक्सीन प्रेरित दोनों तरह की प्रतिरक्षा क्षमता यानी इम्यूनिटी के प्रति एक गंभीर खतरा उत्पन्न होने की आशंका है। जिन लोगों ने कोविड-19 के प्रति अथवा किसी पूर्व संक्रमण के प्रति टीका लगवा लिया है, क्या उनकी मौजूदा प्रतिरक्षा क्षमता यानी इम्यूनिटी इस नए ओमीक्रॉन वैरिऐंट के प्रति सुरक्षा प्रदान करेगी? क्या हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा उत्पन्न एंटीबॉडीज़ इस वैरिएंट से आसानी से लड़ सकेंगे? इस नए वैरिऐंट के लिए संक्रमण को नियंत्रित करने वाली मारक टी कोशिकाओं की भूमिका और उनकी क्षमता क्या होगी? अभी इन विषयों पर जानकारी नहीं है। प्रायोगिक तौर पर इस नए वैरिऐंट से प्रभावित जंतुओं और इससे प्राकृतिक रूप से संक्रमित व्यक्तियों पर और विस्तृत अध्ययनों की आवश्यकता है। हो सकता है मौजूदा वैक्सीनों में इस ओमीक्रॉन वैरिऐंट के विरुद्ध प्रभावकारिता में कमी आए परंतु उनके पूरी तरह निष्प्रभावी होने की संभावना बहुत कम है। इन तथ्यों को विश्लेषण करने पर जारी अध्ययनों के परिणाम संभवतः आगामी कुछ हफ्तों में आ जाएंगे।
भारत में ओमीक्रॉन वैरिऐंट की दस्तक
भारत में 2 दिसंबर, 2021 तक कोविड-19 के ओमीक्रॉन वैरिऐंट के 2 मामले प्रकाश में आए थे, जिनमें एक 66 वर्षीय और दूसरा 46 वर्षीय व्यक्ति है और दोनों कर्नाटक के बंगलुरु के हैं। भारत में कोरोना वायरस के ओमीक्रॉन वैरिएंट के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। दिनांक 13 दिसंबर, 2021 तक भारत में ओमीक्रॉन से पीड़ित रोगियों की संख्या बढ़कर 38 हो गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ओमीक्रॉन वैरिऐंट में कोविड-19 के विरुद्ध प्रयुक्त वैक्सीन की प्रभावशीलता को कम करने की क्षमता है और यह तेजी से पैर पसार रहा है।
ओमीक्रॉन वैरिऐंट की जांच
फिर भी किसी भी संदिग्ध नमूने की जीन सीक्वेंसिंग आधारित जांच किए जाने की आवश्यकता है। यह वैरिऐंट किस आयु वर्ग और आबादी को अथवा किन-किन रोगों की उपस्थिति वाले व्यक्तियों को संक्रमित करता है, इसे ज्ञात करने के लिए हमारे देश के वैज्ञानिक पूर्णतया सक्षम हैं। विश्व के अनेक देशों ने उन दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रों से आने वाले यात्रियों के प्रवेश को पूरी तरह प्रतिबंधित किया है जहां कोरोना वायरस का यह नया वैरिएंट पहली बार प्रकाश में आया था।
जो व्यक्ति बीमार हों, जिन का टीकाकरण नहीं किया गया हो, जिनमें पहले कोविड-19 संक्रमण का कोई प्रमाण नहीं हो, जिसे गंभीर रोग से पीड़ित होने अथवा मृत्यु का खतरा हो, जिसकी आयु 60 वर्ष या उससे अधिक हो, अथवा जो किसी अन्य रोग (जैसे हृदय रोग, कैंसर और मधुमेह) से पीड़ित होने के कारण गंभीर कोविड-19 से संक्रमित होने का बहुत अधिक खतरा हो, ऐसे यात्रियों को उन क्षेत्रों की यात्रा स्थगित करने की सलाह दी जाती है जहां समुदाय में यह संक्रमण संचरित हो।