योग का कोई धर्म नहीं, फिर सूर्य नमस्कार का विरोध कैसा?

 

सनातन धर्म में सूर्य को भगवान की उपमा दी गयी है और उनकी पूजा भी की जाती है लेकिन ऐसा सिर्फ सनातन धर्म में ही नहीं होता बल्कि और भी धर्मों में सूर्य की पूजा की जाती है। सूर्य पूरी दुनिया को धूप देता है लेकिन वह किसी एक धर्म या संप्रदाय का नहीं है या फिर कोई यह दावा नहीं कर सकता है कि वह किसी एक खास समुदाय का है। सूरज की धूप हम सभी के लिए फायदेमंद होती है और डॉक्टर भी इसकी सलाह देते हैं कि धूप में बैठना चाहिए। आजकल बड़े शहरों में ‘सन बाथ’ का भी प्रचलन तेजी से चला है और लोग उसके लिए मोटी रकम भी खर्च करते हैं। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि सूरज पर किसी एक का अधिकार नहीं है। 

योग का भी जीवन में बहुत महत्व है और इससे शारीरिक लाभ भी बहुत हद तक मिलता है। पहले की अपेक्षा अब योग का प्रचलन तेजी से फैल रहा है और बड़े सेलिब्रिटी भी इसको अपनी दिनचर्या में ला चुके है। इन सभी योग में एक सूर्य नमस्कार भी होता है जिसे सभी योग का मिश्रण भी कहा जाता है क्योंकि सूर्य नमस्कार ऐसा योग है जिसमें शरीर के अधिकतर अंगों का उपयोग होता है। सूर्य नमस्कार भी योग का एक हिस्सा है तो इसे किसी एक समुदाय का तो कभी भी नहीं कहा जा सकता है फिर ऐसे में इसका विरोध मुस्लिम समाज द्वारा करना कहां तक ठीक है? दरअसल केंद्र सरकार की तरफ से यह आदेश दिया गया है कि स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने पर देश के स्कूलों में 1 से 7 जनवरी के बीच बच्चों को सूर्य नमस्कार कराया जाए और उनमें योग के प्रति जागरूकता पैदा की जाए। 

बच्चों से लेकर वृद्ध तक सभी को योग करना चाहिए और इसके लिए भारत में जागरूकता की बहुत जरूरत है लेकिन केंद्र सरकार के सूर्य नमस्कार के फैसले का ‘ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ ने यह कह कर विरोध करना शुरु किया है कि सूर्य नमस्कार करना सूर्य की उपासना (पूजा) करने जैसा है। इस्लाम में सिर्फ अल्लाह की इबादत करना लिखा गया है इसलिए ‘ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ इसका विरोध कर रहा है। मुस्लिम बोर्ड की तरफ से सभी मुस्लिम बच्चों से यह अपील की गयी है कि वह सूर्य नमस्कार योग में हिस्सा ना लें। बोर्ड की तरफ से यह भी दलील दी गयी है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है इसलिए सरकार को कोई धार्मिक आधार पर कोई भी फैसला नहीं करना चाहिए। 

दरअसल सरकार के फैसलों का विरोध करना अब एक आदत बनती जा रही है। केंद्र सरकार के हर फैसले को राजनीतिक और धार्मिक चश्में से देखा जा रहा है और इसलिए ही इसका विरोध भी हो रहा है। यह सभी को पता है कि योग का सीधा लाभ उस व्यक्ति को ही मिलता है और अगर सरकार की तरफ से बच्चों को जागरूक करने के लिए योग करने का फैसला किया गया है तो फिर उसका विरोध क्यों हो रहा है? कुछ फैसलों को राजनीति से दूर रखना चाहिए और उसको लेकर समाज में भ्रम नहीं पैदा करना चाहिए। 

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