जवहारलाल नेहरू विश्वविद्यालय में विषैला वामपन्थ

दुनिया में अपने शैक्षिण गतिविधि, उत्कृष्टता के लिये जाने-जाना वाला जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय गाहे-बगाहे चर्चा में आ ही जाता है। जे. एन. यू. की पहचान एक उन्मुकत वातावरण में डिबेड, चर्चा-परिचर्चा रही है, अपनी स्थापना से ही व्यवस्था बदलाव को लेकर यहाँ का छात्र समाज में अपनी आवाज़ को बुलन्द  करता  रहा है। ये वही जे. एन. यू. है जिसने देश की सबसे मज़बूत प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी तक को काले झंडे दिखा दिये  थे सत्ता और सरकार से दो-दो  हाथ करने का  मादा इस विश्वविद्यालय में बहुत ख़ूब रहा है।

देश के तमाम नेताओ एवं कई देशों में भारत के प्रशासनिक  राजदूत एवं मंत्री इस विश्वविद्यालय ने दिए है वही इसी विश्वविद्यालय में “भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशा अल्लाह”, “अफ़ज़ल हम शर्मिंदा है तेरे कातिल ज़िंदा है”  के नारे भी लगाए गये है। वही इस विश्वविद्यालय के भीतर वामपन्थी धड़े के शिक्षकों के  द्वारा छात्रों के मन में भारत की सनातन संस्कृति, देशज ज्ञान परम्परा के विरुद्ध बोले-जाने वाले शैक्षिक भाषणो ने एवं कुछ चुनिंदा लेखक, इतिहासकारों के लेखों को ही कोर्स स्ट्रक्चर का हिस्सा बनाना यह के छात्रों को एकांगी भी बनाता है । वही छात्रों की  शिक्षकों के प्रति निर्भरता ने छात्रों को शिक्षक का ग़ुलाम ही बनाया है, जो शिक्षक पढ़ाता  है वही पेपर भी बनता है अंत में पेपर भी वही जाँचता  है, बी. ए. से लेकर पी. एच. डी. तक शिक्षक की निर्भरता छात्रों को अधिकतर शिक्षक के विचार से जोड़े रखता है।

वही कई बार ये भी देखने में आता है की शिक्षकों के मुद्दे पर छात्र भी रैलियाँ निकलते है। हम अगर जे एन यू में वामपंथी उपद्रव का इतिहास लिखे तो कितना ही कुछ लिखा जा सकता है जो की भारत और उसके सनातनी संस्कृति के ख़िलाफ़ है। हमें ये मालूम हो जहाँ  विश्वविद्यालय में वामपन्थी छात्र संगठनो का दबदबा है तो वही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जैसे सनातनी,भारत के देशज चिंतन में आस्था रखने वाले छात्र संगठन भी है। यही कारण है की जब वामपंथी भारत के भाव, भारत की हिंदू आस्था से जुड़े प्रतीकों के ख़िलाफ़ कुछ करते व लिखते है तो परिषद इसकी मुख़ालफ़त करता  है।

यही कारण है जब वर्ष 2013 में “गाय माँस पार्टी” का आयोजन वामपंथी छात्र संगठनो द्वारा किया जाता है तो परिषद खुल के इसका विरोध करती है और प्रशासन को इस आयोजन को रद्द करना पड़ता है। वही इसी वर्ष 2013 सितम्बर में महिषासुर शाहदत दिवस का आयोजन भी इसी जे. एन.  यू. में किया जाता है माँ  दुर्गा को वैश्या तक भी कहा जाता है। कल रामनवमी के दिन वामपन्थी  छात्र संगठनो द्वारा फिर से 2013 को दोहराया गया है, कावेरी हासटल के रेज़िडेंट छात्रों  के द्वारा “रामनवमी  पूजा एवं हवन” का आयोजन किया गया इसके पोस्टर भी लगे थे ये सब देख वामपन्थी संगठनो ने कावेरी छात्रावास के छात्रों को धमकाते हुए इसे रद्द करने को कहा।  इस पर तमाम रेज़िडेंट छात्रों ने इसकी सूचना  अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ जुड़े छात्रों की दी, जब पूजा प्रारम्भ हुई तो पहले वामपन्थी संगठनो द्वारा इसका विरोध किया गया जिस कारण ये पूजा कई घंटे विलम्ब से हुई। जब पूजा शुरू हुई तो वामपन्थी संगठनो द्वारा पूजा में बैठे छात्रों पर पत्थर से हमला किया गया वही पूजा के ध्वज को भी फाड़ा दिया गया इसके बाद  क्रिया की प्रतिक्रिया हुई जो बड़ी स्वाभाविक ही थी।

इसमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद  के 8 छात्रों को गम्भीर चोट आयी  जो अभी होसपिटल  में ही है वही दर्जनो को हल्की चोटे  भी आयी है इसी में कुछ वामपन्थी छात्रों को भी  चोट आयी है। ये हमला कुछ ऐसा ही था जैसा की 5 जनवरी 2020 को वामपन्थी संगठनो द्वारा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों को चिन्हित करके मारा पीटा गया वही राष्ट्रवादी विचार के शिक्षकों को भी इसमें टार्गेट किया गया। वही कैम्पस स्थित “स्वामी विवेकानन्द की प्रतिमा” को भी छतिग्रस्त किया  गया वही इंटर्नेट सर्वर रूम को भी छतिग्रस्त किया गया था। ये वही जे. एन. यू.  है जहाँ  वामपंथियो ने 2010 में दन्तेवाड़ा छत्तीसगढ़ में हमारे 70 से अधिक केंद्रीय पुलिस बल जवानो के शाहिद होने पर वामपन्थी संगठन जिसमें डी. एस. यू. की मुख्य भूमिका थी।

इस नक्सली जघन्यता पर जशन मानने हेतु “संगीतमयी रात्रि” का आयोजन किया जब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इसका विरोध किया तो सभी वामपन्थी संगठन एक हो गए। इसी जे एन  यू में वर्ष 2016 फ़रवरी में भारत के टुकड़े होने की बात हो रही थी वही वामपन्थी शिक्षकों के द्वारा “ राष्ट्रवाद पर भाषण” की एक शृंखला प्रारम्भ की जिसमें  जम्मू कश्मीर  को भारत  का हिस्सा नही माना गया, वही नागालेंड, मणिपुर  पर क़ब्ज़े की बात की गई। ये सब इसी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुआ है और हो रहा है। वामपन्थी ऐसा नही की विश्वविद्यालयो में ही ऐसा कर रहे है जहाँ पर भी ये थोड़ा भी मज़बूत है वहाँ  अपने विरोधी विचार को इसी तरह का बर्ताव करते है। केरल में कितने ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ  के कार्यकर्ताओं को इन वामपन्थी गुंडो ने मारा है, क्या इसे केरल की धरती भूल सकती है। पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा में इन्होंने कितना आतंक किया किसी से नही छुपा है नक्सलवाद के नाम पर विकास को रोकना और मासूम जनता को प्रताड़ित करना इनका काम ही है। ये ही है विषैला वामपंथ जिसने छात्रों  मानस  को ख़राब कर इस देश की संस्कृति एवं भारत के विरुद्ध विचार को पैदा किया है।

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