हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
भारत की राजनीतिक जीत ब्रिक्स बैंक

भारत की राजनीतिक जीत ब्रिक्स बैंक

by सरोज त्रिपाठी
in राजनीति, सितंबर- २०१४
0

ब्राजील के फोर्तालीजा शहर में छठें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स बैंक की स्थापना के फैसले के साथ ही एक अलग ढंग का इतिहास रचा गया है। भारत सहित ब्रिक्स के पांच प्रमुख विकासशील देशों ब्राजील, चीन, रूस और दक्षिण अफ्रीका ने बराबर की हिस्सेदारी के साथ १०० अरब डॉलर की शुरुआती अधिकृत पूंजी के साथ नए विकास बैंक की स्थापना का निर्णय किया। इस बैंक का नाम ‘न्यू डिवेलपमेंट बैंक’ होगा। इसका मुख्यालय चीन की आर्थिक राजधानी शंघाई में होगा तथा पहले ६ वर्षों के लिए भारत इस बैंक का प्रमुख होगा।

प्रस्तावित बैंक ठोस बैंकिंग सिद्धांतों पर आधारित होगा। वह ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग मजबूत करेगा। ब्रिक्स बैंक वैश्विक विकास के बहुपक्षीय एवं क्षेत्रीय वित्तीय संस्थाओं के प्रयासों में मदद करेगा। वह सशक्त, स्वस्थ और संतुलित विकास में सामूहिक योगदान करेगा।

‘न्यू डिवेलपमेंट बैंक’ को लेकर जो सहमति बनी है, उसके मुताबिक ब्रिक्स के पांच सदस्य देश इसमें दस-दस अरब डॉलर की पूंजी लगाएंगे और बैंक इनके बराबर मालिकाने में काम करेगा। कुल सौ अरब डॉलर की पूंजी और इतनी ही राशि के सुरक्षित विदेशी मुद्रा भंडार के साथ इस बैंक की शुरुआत होगी। भविष्य में बैंक का विस्तार कर उसमें अन्य देशों को भी भागादारी दी जा सकती है लेकिन सदस्य देशों की भागीदारी ५५ प्रतिशत से कम नहीं हो सकती। आगामी दो वर्षों में बैंक के कार्यरत होने की संभावना है।

ब्रिक्स बैंक का मुख्य उद्देश्य विश्व की अर्थव्यवस्था पर पश्चिमी देशों विशेषकर अमेरिका के वर्चस्व को चुनौती देना है। विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आयएमएफ) में अमेरिकी दबदबा रहता है। १९४४ में स्थापित इन दोनों अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं के कामकाज को लेकर विकासशील देशों का एतराज यही रहा है कि ये अमीर देशों के असर में चलते हैं और कर्ज लेने वाले देशों पर ये कर्ज से जुड़ी इतनी शर्तें थोप देते हैं कि उनके निभाने में ही कर्ज लेने वाले देश की कमर टूट जाती है।

ब्रिक्स बैंक से भारत को दो फायदे तय हैं: एक- सड़क, रेल, बंदरगाह जैसे ढांचागत निर्माण कार्यों में कर्ज आसानी से मिल सकेगा। दूसरा, पिछले साल अमेरिकी स्टिमुलस में कटौती के वक्त विदेशी पूंजी के पलायन के वक्त देश के पूंजी बाजारों में जैसी अफरा-तफरी देखने को मिली थी वैसी नौबत उतनी आसानी से नहीं आएगी। ब्रिक्स बैंक से न सिर्फ सदस्य देशों की बल्कि अन्य विकासशील देशों की भी विकास संबंधी अहम जरुरतें पूरी हो सकती हैं। ब्रिक्स बैंक को अपने पैरों पर खड़ा होने में लगभग १० वर्ष का समय लगने की संभावना है। इसके बाद विकासशील देश विकसित देशों पर दबाव लाकर विश्व बैंक और आयएमएफ पर उनका वर्चस्व थोड़ा कम करने में कामयाबी हासिल कर सकते हैं। आयएमएफ का पुनर्गठन कर भारत जैसे देशों को उसमें अधिक भागीदारी देने के लिए भी दबाव बढ़ाया जा सकेगा।

ब्रिक्स बैंक की स्थापना का प्रस्ताव पिछले दो वर्षों से लटका पड़ा था क्योंकि बैंक के मालिकाना ढांचे का मामला हल होने में कुछ कसर रह जा रही थी। पांचों ब्रिक्स देशों में आर्थिक शक्ति के रूप में चीन का पलड़ा सबसे भारी है। उसकी अर्थव्यवस्था ब्रिक्स देशों के संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तकरीबन दो तिहाई है। चीन अपनी इस ताकत का असर ब्रिक्स बैंक की मालिकाना बनावट में भी जाहिर होते देखना चाहता था। उसका कहना था कि आईएमएफ और विश्व बैंक की तरह ब्रिक्स बैंक में भी सदस्य देशों की साझेदारी उनके जीडीपी के हिसाब से हो। पर भारत और ब्राजील को एतराज था कि यदि ऐसा हुआ तो यह चीन को छोड़कर सभी ब्रिक्स देशों के लिए कुएं से निकलकर खाई में गिरने जैसा होगा। दोनों देशों का कहना था कि ब्रिक्स बैंक ने नेता के रूप में यदि चीन भविष्य में विश्व बैंक और आयएमएफ जैसा ही तौर-तरीके अख्तियार करना चाहता है तो एक न्यायसंगत वित्तीय ढांचे की उनकी रही सही उम्मीदें भी जाती रहेंगी। गनीमत रही कि अंतत: चीन ने भारत और ब्राजील की आपत्तियों के प्रति संवेदनशील रवैया अख्तियार किया। अब ब्रिक्स के प्रत्येक सदस्य देश को एक वोट का अधिकार होगा। यह बात गौरतलब है कि किसी भी बहुराष्ट्रीय वित्तीय संस्था में एक देश एक वोट की प्रणाली नहीं है। बहुराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं में पूंजी भागीदारी के मुताबिक उनका वोटिंग अधिकार है। ब्रिक्स बैंक में हर सदस्य को बराबरी का मताधिकार मिलना भारत की राजनीतिक जीत है। पहले ६ वर्षों के लिए इस बैंक की अध्यक्षता भारत को मिलना गौरव का विषय जरुर है लेकिन इससे एक जिम्मेदारी भी भारत पर आ गई है। एक अंतरराष्ट्रीय बैंक को जड़ से खड़ा करने की मुख्य जवाबदेही लेना गौरव से ज्यादा परिश्रम और कौशल का विषय माना जाना चाहिए।

निसंदेह ब्राजील में १५ और १६ जुलाई को संपन्न ६७ वां ब्रिक्स सम्मेलन अब तक का सर्वाधिक सफल सम्मेलन साबित हुआ है। अब २००१ में स्थापित यह संस्था महज बातचीत का फोरम न रहकर एक बड़ी आर्थिक ताकत बन चुकी है। ब्रिक्स देशों की आबादी पूरी दुनिया की आबादी की ४० प्रतिशत है। उनका कुल क्षेत्रफल दुनिया के क्षेत्रफल का ४० प्रतिशत है। इन देशों का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) २४ ट्रिलियन डॉलर है। इतनी बड़ी ग्रुपिंग की विश्व बिरादरी में एक मजबूत आवाज होगी, जिसकी उपेक्षा कर पाना विकसित देशों के लिए मुमकिन नहीं होगा।

एशिया के दो दिग्गज देशों भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण संबंधों का इस बैंक के भविष्य पर भी असर पड़ेगा। दुर्भाग्य की बात है कि जिस समय भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिन फिंग के बीच ब्राजील में १५ जुलाई को सीमा विवाद हल करने की बातचीत जारी थी उसी दौरान चीनी सैनिकों ने लद्दाख के देमचोक इलाके में घुसपैठ की कोशिश की। इससे दो दिन पहले १३ जुलाई को चुमार सेक्टर में घोड़ों पर सवार होकर आए चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की थी। चुमार लेह से ३०० किलोमीटर दूर स्थित है। गौरतलब है कि पिछले साल भी चीनी सैनिकों ने चुमार सेक्टर में घुसपैठ की थी। चुमार लद्दाख-हिमाचल सीमा पर स्थित एक गांव है। इस पर अपना दावा जताने के लिए चीनी सैनिक अक्सर हेलिकॉप्टर से उड़ानें भरते रहते हैं। पिछले साल मई में चुमार के दौलतबेग ओल्डी (डीबीओ) इलाके में एक पखवाड़े तक दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने की स्थिति में आ गए थे।

पश्चिमी सेक्टर में भारत के अक्साई चीन के ३८ हजार वर्ग किलोमीटर इलाके पर १९६२ से चीन ने कब्जा जमा रखा है। अरुणाचल प्रदेश पर चीन अपना दावा जताता रहता है। सीमा इलाकों में आधारभूत सुविधा विकसित करने पर चीन काफी पैसे खर्च कर रहा है। इस बात की प्रबल आशंका है कि चीन अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए ब्रिक्स बैंक का इस्तेमाल कर सकता है। यदि अरुणाचल प्रदेश के विकास के लिए ब्रिक्स बैंक से भारत को कर्ज देने की बात आती है तो चीन उसका विरोध कर सकता है। ऐसी स्थिति में दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है। इसका असर ब्रिक्स बैंक के कामकाज पर पड़ेगा। अत: ब्रिक्स बैंक की सफलता के लिए जरूरी है कि चीन जल्दी से भारत के साथ सीमा विवाद का शांतिपूर्ण समाधान करें। १५ जुलाई को ब्राजील के फोर्तालीजा शहर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी चिन फिंग से ८० मिनट की बैठक में कहा था कि दोनों देशों के बीच सीमा मसले का हल जल्द निकल आए तो यह पूरे विश्व के लिए एक मिसाल होगी।
ब्राजील में भारत के साथ वार्ता के दौरान चीन के राष्ट्रपति ने भारत को ५० बिलियन डॉलर के एशियन इंफ्रास्ट्रक्चरल इन्वेस्टमेंट बैंक का संस्थापक सदस्य बनने का प्रस्ताव किया। यह बैंक एशियन डिवेलपमेंट १९६६ को स्थापित एडीबी में अमेरिका और जापान का दबदबा है। इस बैंक में १५.७ प्रतिशत शेयर भागीदारी जापान की तथा १५.६ प्रतिशत शेयर भागीदारी अमेरिका की है। इस तरह एडीबी में इन दोनों का संयुक्त वोटिंग पॉवर २६ प्रतिशत है।

चीन ने भारत को इस साल नवंबर में चीन में आयोजित होने वाले एशिया पैसिफिक इकॉनॉमिक को-ऑपरेशन मीटिंग में भाग लेने के लिए भी आमंत्रित किया है। चीन ने इस बात का संकेत किया है कि वह शंघाई को ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एशिओ) में भारत को पूर्ण सदस्यता दिलाने का समर्थन करेगा।

ब्राजील में एक मीडिया इंटरव्यू में चीन के राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘चीनी लोग शांति प्रिय हैं। चीन के जीन्स में दूसरे राष्ट्र पर हमला करना या विश्व पर आधिपत्य कायम करना नहीं हैं।’’ चीन को अपनी कथनी और करनी में सामंजस्य साबित करना होगा।

ब्रिक्स बैंक और आपात आरक्षित विनिमय कोष (सीआए) की स्थापना से न सिर्फ सदस्य देशों को फायदा होगा, बल्कि विकासशील विश्व को भी फायदा होगा। अमेरिका और पश्चिमी देशों में ब्रिक्स को लेकर काफी हलचल है, क्योंकि इसकी कामयाबी से दुनिया का वित्तीय संतुलन बदल सकता है। शायद इसलिए पाश्चात्य मीडिया का मूल स्वर यह है कि ब्रिक्स बैंक बना तो लिया, अब चलाकर दिखाओ। ब्रिक्स देशों के सामने इस कसौटी पर खरा उतरने की चुनौती है।
प

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: hindi vivekhindi vivek magazinepolitics as usualpolitics dailypolitics lifepolitics nationpolitics newspolitics nowpolitics today

सरोज त्रिपाठी

Next Post
जंजो का चयन और जातीय राजनीति

जंजो का चयन और जातीय राजनीति

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0