छोटी छोटी बातों की बड़ी कहानी

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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किले से भाषण के तुरंत बाद कुछ प्रमुख समाचार चैनलों पर आयोजित चर्चा में उस भाषण का दिलचस्प विश्लेषण सुनने को मिला।

जंजो का चयन और जातीय राजनीति

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     यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मद्रास उच्च न्यायालय में जजों की नियुक्तियॉं जातिगत राजनीति की शिकार हो गई। पिछले २१ वर्षों से जारी ‘कॉलेजियन पद्धति’ के जरिए जिन जजों का चयन किया गया था, उन पर विवाद पैदा हुआ।

भारत की राजनीतिक जीत ब्रिक्स बैंक

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 ब्राजील के फोर्तालीजा शहर में छठें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स बैंक की स्थापना के फैसले के साथ ही एक अलग ढंग का इतिहास रचा गया है।

नमो की हिंदी -नीति

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धानमंत्री नरेंद्र मोदी को अंग्रेजी आती है। अंग्रेजी में अगर वह बहुत कुशल और सहज नहीं भी हैं, लेकिन इतनी पकड़ तो वह इस भाषा पर रखते ही हैं कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर अंग्रेजी में अपनी बात पूरी तरह रख सकें।

समन्विन्त संस्कृति का केंद्र बिहार

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 बचपन में ही मुझे जानकर अच्छा लगा था कि मैं छपरा नगर का निवासी हूं, जहां सरयू तट पर पास के मुहल्ले में दधीचि मुनि का आश्रम था। आज उसे अहियांवा कहते हैं। नगर के पूर्व में चिरांद नामक ग्राम है जिसके आसपास सरयू और गंगा का संगम है।

महावीर और गौतम की धरती

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जैन धर्म भारत के प्रमुख धर्मों में से एक है, जो श्रमण परम्परा का वाहक है। इसकी जड़ प्रागैतिहासिक युग तक चली गयी है। वस्तुत: जैन संस्कृति वैदिक संस्कृति से निकलकर एक स्वतंत्र धारा के रूप में पल्लवित-पुष्पित हुई। इसमें वैदिक प्रवृत्तिमूलक परम्परा के साथ निवृत्तिमूलक अवधारणा को जोड़कर जिस समन्वित संस्कृति को आकार मिला वही श्रमण संस्कृति है।

क्रांति वाहक बिहार

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 भारत के इतिहास में या कुछ मामलों में तो पूरे विश्व के इतिहास में अगर देखा जाए तो बिहार कई मामलों में क्रांति वाहक रहा है- चाहे गणराज्यीय व्यवस्था हो, अध्यात्म हो या समय-समय पर सामाजिक व राजकीय व्यवस्था में परिवर्तन की बात हो।

महिमामंडित भारत में बिहार

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   वैदिक वाङ्मय में जिस समय ‘व्रात्य’ कहकर बिहार की निन्दा की गई थी, उस समय किसे पता था कि यह प्रदेश एक दिन मानव सभ्यता, संस्कृति, धर्म, विश्वबंधुत्व, सहिष्णुता और सह अस्तित्व जैसे चिर दुर्लभ एवं शाश्वत मानव मूल्यों का अमर संदेश देगा।

मिथिला में मखान और पान

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मैथिली साहित्य के इतिहासकार ने मैथिली के प्राक्काल को ८वीं से १२वीं शताब्दी माना है। मिथिला में ब्राह्मण राजाओं की प्रमुखता थी, जहां वैदिक और वैदांतिक मनीषियों को प्रश्रय प्राप्त था।

क्या है बिहारीपन?

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     कई शब्दों के अर्थ समय के अनुसार बदलते रहते हैं। कभी ‘नेता जी’ शब्द का बड़ा सम्मान था, क्योंकि यह शब्द महान स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी सुभाष चंद्र बोस के नाम के साथ जुड़ा था।

भोजपुरी भाषा, संस्कृति और समाज

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***विद्या सिन्हा ***        भोजपुरी भाषी प्रदेश का विस्तार हमें एक ओर बिहार में छपरा, सीवान, गोपालगंज, भोजपुर (आरा) रोहतास (सासाराम), डाल्टन गंज, पश्चिमी चंपारण (बेतिया) एवं उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर, वाराणसी, गाजीपुर, आजमगढ़,

आपात काल का क्रांति पर्व

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अभिव्यक्ति मानव का नैसर्गिक स्वभाव है। इसकी स्वतंत्रता को अक्षुण्ण बनाए रखना लोकतांत्रिक सरकार की सब से बड़ी कसौटी है। भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में सन १९७५ में पहली बार आपात काल की घोषणा के बाद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया गया। आपात काल की काल-कोठरी में कानून के नाम पर प्रशासन ने अकांड- तांडव मचाया।

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