हिंदू भारतीय मुसलमानों के विरुद्ध नहीं है

”एक इतिहास तो है, उसको हम बदल नहीं सकते। वह इतिहास हमने नहीं बनाया। ना आज के खुद को हिन्दू कहलाने वालों ने बनाया। ना आज के मुसलमानों ने बनाया, उस समय घटा। इस्लाम बाहर से आया, आक्रामकों के हाथ से आया। उस आक्रमण में भारत की स्वतंत्रता चाहने वाले व्यक्तियों का मनोधैर्य खर्च करने के लिए देवस्थान तोड़े गए, हजारों हैं ! हिन्दू समाज का विशेष ध्यान जिन पर है, विशेष श्रद्धा जिनके बारे में है। ऐसे कुछ है, उनके बारे में मामले उठते हैं। अब इसका विचार क्या करना?

मुसलमानों के विरुद्ध नहीं सोचता है हिन्दू। आज के मुसलमानों के उस समय पूर्वज भी हिन्दू थे। उन सबको स्वतंत्रता से चीर काल तक वंचित रखने उनका मनोधैर्य दबाने के लिए किया गया, इसलिए हिन्दू को लगता है कि इसका पुनर्रूधार होना चाहिए।

हम तो कुछ नहीं कहते। हमने 09 नवंबर को कह दिया, एक राम जन्मभूमि का आंदोलन था, जिसमें हम अपनी प्रकृति के विरुद्ध किसी ऐतिहासिक कारण से, उस समय की परिस्थिति के अनुरूप हम उसमें शामिल हुए और हमने उस कार्य को पूरा किया। अब हमको कोई आंदोलन वगैरह करना नहीं है। लेकिन मुद्दे अगर मन में हैं तो कुछ घुटते हैं। यह किसी के विरुद्ध नहीं है और विरुद्ध मानना नहीं चाहिए। मुसलमानों ने तो यह नहीं ही मानना चाहिए, हिन्दुओं को भी ये नहीं करना चाहिए। अच्छी बात है कि ऐसा कुछ है।

आपस में मिल बैठ कर सहमति से कोई रास्ता निकालिए। लेकिन हर बार नहीं निकल सकता, इसलिए कोर्ट में जाते हैं। इसमें कोर्ट जो निर्णय देगा, उसे मानना चाहिए। अपनी संविधान सम्मत न्याय व्यवस्था को पवित्र, सर्वश्रेष्ठ मानकर उसके निर्णय हमको पालन करने चाहिए। उनके निर्णयों पर हमें प्रश्न चिन्ह नहीं लगाना चा​हिए। यह ठीक है कि प्रतिकात्मक हमारी कुछ विशेष श्रद्धा थी तो हमने उस मामले में कुछ ऐसा कहा लेकिन रोज एक मामला निकाल कर लाना, यह भी नहीं करना चाहिए।

झगड़ा क्यों बढ़ाना। ज्ञानव्यापी को लेकर हमारी कुछ श्रद्धा है, परंपरा से चलती आई है। हम कर रहे हैं, ठीक है। परंतु हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना? वह भी एक पूजा है। ठीक है, बाहर से आई है लेकिन जिन्होंने अपनाई है। वह मुसलमान बाहर से संबंध नहीं रखते। यह उनको भी समझना चाहिए। यद्यपि पूजा उनकी उधर की है, उसमें वे रहना चाहते हैं तो अच्छी बात है। हमारे यहां किसी पूजा का विरोध नहीं है। सबकी मान्यता और सबके प्रति पवित्रता की भावना है। परंतु पूजा वहां की होने के बाद भी वे हमारे प्राचीन सनातन ऋषि, राजाओं, क्षत्रियों के वंशज हैं।”

( नागपुर में संघ शिक्षा वर्ग, तृतीय वर्ष 2022 के समापन समारोह के दौरान संघ के सर संघ चालक श्री भागवत ने ज्ञानवापी के मुद्दे पर जैसा कहा, उस​का असंपादित अंश )

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