सोशल मीडिया के अमेरिकी भेड़ियों की दादागिरी

17 दिसंबर को इलोन मस्क महोदय ने mestadone और koo को अपना भविष्य का प्रतिस्पर्धी मानते हुए ट्विटर से बैन कर दिया। लगभग एक माह पहले 21 नवंबर को सोशल मीडिया पर मैंने एक पोस्ट लिखा था, “ट्विटर के घाटे व अनिश्चित भविष्य से दुनिया भर में जर्मनी का Mastodone सोशल मीडिया मंच जबरदस्त लोकप्रिय हो रहा है। ट्विटर और फेसबुक का अहंकार भारत में स्वदेशी Koo तोड़ेगा।” यह अनायास ही नहीं लिखा था।

Koo के अल्गोरिथम और सेवा सुरक्षा के उत्कृष्ट मानकों के कारण ट्विटर और फेसबुक की हालत ख़राब है। यकीं मानिये भारत के देश भक्तों की, राष्ट्रवादियों की एक किक मिलने की देर है …… बस

यह बैन लगाना इंटरनेट विश्व और सोशल मीडिया पर यह पहली इस तरह की घटना है। ट्विटर के नए मालिक ने संसार भर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ढिंढोरा पीटने वाले इंटरनेट विश्व में एक नया निम्न स्थापित किया है। इस मामले में उच्च मूल्यों को पालन करने वाली कंपनी गूगल की सेवाओं पर उसके प्रतिस्पर्धी उत्पादों के भी प्रोडक्ट्स के प्रचार प्रसार की अनुमति होती है।

साथ ही अब इंटरनेट बिरादरी के ये शेर की खाल ओढ़े बड़े बड़े अमेरिकी भेड़िये, सूचनाओं के चोरी करने, एवं दूसरे प्रतिस्पर्धियों को इस तरह से प्रतिबंधित करने जैसे घटनाओं के साथ यह सिद्ध कर रहे हैं की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का स्वांग दरअसल दुनिया के देशों की स्थापित व्यवस्थाओं में सेंध लगा अपने बाज़ारवाद को प्रश्रय देने का एक कुत्सित कुचक्र है।

एक तरफ चीन ने इन अमेरिकी शक्तियों को अपने घर में घुसने ही नहीं दिया तो दूसरी और यूरोप के शक्तिशाली क़ानून General Data Protection Regulation ने इन पर नकेल कस रखी है। यह GDPR क़ानून, सामान्य डेटा संरक्षण अधिनियम 2016/679 यूरोपीय संघ कानून में यूरोपीय संघ और यूरोपीय आर्थिक क्षेत्र के भीतर सभी व्यक्तियों के लिए डाटा संरक्षण और गोपनीयता पर एक अधिनियम है। भारत का हर इंसान के बैडरूम और बाथरूम तक की डिटेल अमेरिका के पास है।

एक वैश्विक सेवाओं के सलाहकार के रूप में जब मैं यूरोप के लिए इतने शक्तिशाली क़ानून को देखता हूँ तो दुनिया के सबसे बड़े बाजार भारत को बहुत दयनीय स्थिति में पाता हूँ।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India) ने गूगल पर 1,337.76 करोड़ रुपये का जुर्माना सूचना चोरी हेतु लगाया है। भारत के लचर कानून को ठेंगा दिखाते गूगल ने देश को उस जुर्माने को देने से मना कर भारत सरकार के विरुद्ध भारत के सुप्रीमकोर्ट में लड़ाई लड़ रहा है क्यों की उसे पता है की भ्रष्ट न्यायपालिका उसे बहुत आसानी से भारत के कानूनों और सम्प्रभुता की छाती पर मूंग दलने की सुविधा का रास्ता निकाल लेगी।

वहीँ दूसरी ओर इसी माह में अमेरिका के फेडरल गवर्नमेंट ने कोविड के समय में अमेरिकी नागरिकों की असुविधा हेतु एयर इंडिया पर 1000 करोड़ का जुर्माना लगाया है जिसे भारत की टाटा कंपनी को अदा करना है। TCS पर भी एक बहुत बड़ा जुर्माना अमेरिका द्वारा विद्वेष पूर्ण रूप से पिछले साल लगाया गया था।

चीन इस कुचक्र से पहले से सावधान है परन्तु हम नहीं। भारत को इसकी बहुत बड़ी कीमत अदा करनी होगी भविष्य में। अभी वक्त है सम्हलने का।

– शिवेश प्रताप 

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