एकल परिवार और संस्कारों से दूर होते बच्चे

हर कुछ दिनों बाद हिन्दु नवयुवती की खबर आती है, आत्महत्या या हत्या?? तथा ज्यादातर इसमें मुस्लिम युवक और हिन्दु लडकियों के प्रेम संबंध के मामले सामने आऐ है।मेरे ख्याल से ऐसी घटनाओं का एक महत्वपूर्ण कारण है “एकल “परिवार का चलन दूसरा माता-पिता अपने कामकाज में व्यस्तता तथा बच्चों से ना कोई खुद जुडते है। बस घर घर-परिवार को उच्चवर्गीय दर्जा के चलते, कामवाली पर पूरा दायित्वबोध और खुद सामाजिक और राजनीतिक कार्यो में व्यस्त रहकर भी बच्चों पर असर होगा ही वे भी कभी कोई संघर्ष नही किये होते हैं, माता-पिता के गलत विचार कि हम तो बच्चों को हर एक चीज़ बोलते ही देते है तो क्या कमी है??ये बिल्कुल गलत सोच विचार है। यदि आपकी कुछ सही देना हो तो परिवार के साथ समय दीजिए तथा उनसे पूछिये उनके दोस्त, मित्रगण कौन है तथा कैसे परिवार से हैं तो ये आपके दिऐ सच्चे उपहार होंगे।

उसके बावजूद नवयुवकों तथा युवतियों को आए दिन न्यूज तथा आसपड़ोस के जरिये पता ही होता है। मुस्लिम समुदाय के युवक एवं तथा हिन्दु लडकियों के चर्चा पर बहुत ही दोस्ती, शादी, विवाह का अंजाम गल्त ही देखते, सुनते हैं। फिर भी वही इतिहास दोहराना कहां की चतुराई है। किन्तु हमें भी थोडे परिवार के साथ बैठकर चर्चा करना चाहिए और समाज में भी इन मूल्यों को एकजुट होकर उससे होने वाली गल्त उद्देश्य से किये जाने वाले कृत्यों को रोकना हम सभी भारतीयों का कर्तव्य होना चाहिए। सदा हमारी बहने ,बेटियां और स्त्री ही क्यों गलत लोगो की शिकार बने। समय आ गया है, सभी जागरूक हो तथा समाज में जहां भी ऐसी गल्त गतिविधियों की हलचल महसूस हो निवेदन है आप चुप ना रहे ये बोलकर की हमारा क्या जा रहा?? हम क्यों फंसे?? हमें तकलीफ होगी?? वगैरह-वगैरह…

अजीब भयावह हादसा, किसी भी बेटी के साथ होते देख रोंगटे खडे होते है, जैसे श्रद्धा केस में पैंतीस टुकडों को भिन्न-भिन्न प्रकार से भिन्न-भिन्न जगहों पर छुपाना ये कोई सामान्य मानसिकता नही कह सकतें। ये तो राक्षसी मानसिकता और समाज में बहुत गलत संदेश देते है। क्यों लडकियां आनलाईन तथा फेसबुक आदि मीडिया के माध्यम से अनचाहे युवकों से दोस्ती करने में माहिर समझकर ही खुद को जोखिम में डालती है। यदि ऐसे ही सोच विचार होगी तो कौन रक्षा करेगा??, युवतियों को भी समझना जरूरी है कौन, और कैसे युवक से दोस्ती करे। तथा हरेक उनकी गतिविधियो पर पैनी नजर रखे। जितना हो सके अपने जीवन को यूं किसी के लिए खुद की बलि ना चढ़ाएं तथा अपने पीछे अपने परिवार के विषय में सोचे तो जरूर सही निर्णय ले सकते हैं। धन्यवाद।

– डॉ. आनंदी सिंह रावत

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