जागरूकता का माध्यम ‘मन की बात’

अक्टूबर, 2014 में शुरू हुए ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 99 एपिसोड में प्रधानमंत्री ने कई विषयों पर बात की है। आकाशवाणी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कार्यक्रम को प्रेरणा का एक विश्वसनीय स्रोत तथा कृषि और उद्यमिता विकास के लिए व्यापक जागरूकता के माध्यम के रूप में माना जाता है। आईसीएआर-मैनेज के एक ताजा अध्ययन में यह जानकारी दी गई है।

एक सरकारी बयान में कहा गया है कि मन की बात के किसानों और अन्य अंशधारकों के बीच प्रभाव और सीखने के माहौल का आकलन करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (मैनेज) द्वारा एक अध्ययन किया गया था।

इस अध्ययन के निष्कर्षों के अनुसार, प्राकृतिक खेती, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, और एकीकृत कृषि प्रणाली (विविधीकरण) को अपनाने की इच्छा मन की बात के एपिसोड में शामिल छोटे किसानों का सबसे पसंदीदा विषय थे। अध्ययन में कहा गया है, ‘‘मन की बात को कृषि और उद्यमशीलता के विकास के लिए प्रेरणा का एक विश्वसनीय स्रोत और बड़े पैमाने पर जागरूकता का माध्यम माना जाता है।’’

कृषि मंत्रालय ने कहा कि इसके अलावा, मन की बात कार्यक्रम ने कृषि-स्टार्टअप को किसानों को लाभान्वित करने वाले नवीन समाधानों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम के दायरे में लिये गए कृषि-ड्रोन पर किए गए अध्ययन ने संकेत दिया कि अधिकांश किसानों (अनुकूल दृष्टिकोण वाले) ने ड्रोन को कृषि कार्यों के लिए एक उपयोगी तकनीक के रूप में माना।

मोटे अनाज के किसानों के साथ एक अन्य आकलन से पता चला है कि कृषि विज्ञान केंद्र के पेशेवरों द्वारा मन की बात और अनुवर्ती कार्रवाई के माध्यम से दिए गए संदेश ने मोटे अनाज की उन्नत किस्मों को अपनाने की प्रक्रिया और उत्पादन प्रणाली पर किसानों की धारणा को मजबूत किया है।

साथ ही में, अध्ययन में कहा गया है कि रेडियो कार्यक्रम किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) पर कृषि-व्यवसाय को आसान बनाने, उच्च मूल्य वाली फसलों के आदानों की आसान उपलब्धता और सामूहिक कार्रवाई के लिए एक अनुकूल वातावरण भी बना सकता है जो किसानों की खेती की लागत को कम कर सकता है।

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