भारत में किसानों की आय हो रही है दोगुनी

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केंद्र सरकार द्वारा किए गए उक्त वर्णित कई उपायों के चलते फसलों और पशुधन की उत्पादकता में वृद्धि हुई है, संसाधनों के उपयोग में दक्षता आने से उत्पादन लागत में कमी आई है, फसल की सघनता में वृद्धि दर्ज हुई है, उच्च मूल्य वाली खेती की ओर विविधिकरण हुआ है, किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य मिल रहा है एवं अतिरिक्त श्रमबल को कृषि क्षेत्र से हटाकर गैर कृषि क्षेत्र के पेशों में लगाया गया है। इस सबका मिलाजुला परिणाम यह हुआ है कि किसानों की शुद्ध आय में वृद्धि दृष्टिगोचर हो रही है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों रूप से किसानों की आय बढ़ती हुई दिखाई दे रही है।

उपजाऊ भूमि का मरुस्थल में बदलना गंभीर संकट

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विश्व में जमीन का मरुस्थल में परिवर्तन होना गंभीर समस्या एवं चिन्ता का विषय है। भारत में भी यह चिंता लगातार बढ़ रही है। इसकी वजह यह है कि भारत की करीब 30 फीसदी जमीन मरुस्थल में बदल चुकी है। इसमें से 82 प्रतिशत हिस्सा केवल आठ राज्यों राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, जम्मू एवं कश्मीर, कर्नाटक, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) द्वारा जारी “स्टेट ऑफ एनवायरमेंट इन फिगर्स 2019” की रिपोर्ट के मुताबिक 2003-05 से 2011-13 के बीच भारत में मरुस्थलीकरण 18.7 लाख हेक्टेयर बढ़ चुका है। सूखा प्रभावित 78 में से 21 जिले ऐसे हैं, जिनका 50 फीसदी से अधिक क्षेत्र मरुस्थलीकरण में बदल चुका है।

किसानों-कृषि को मजबूती देने में अग्रणी शिवराज सरकार

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खेती-किसानी और उससे जुड़े व्यवसाय मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था एवं विकास की धुरी हैं। यह बात मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं उनकी सरकार बखूबी समझती है। मुख्यमंत्री श्री चौहान के हाथ में जब से प्रदेश की कमान है, तब से उन्होंने लगातार किसानों की बेहतरी के लिए प्रयास किए हैं। केंद्र में मोदी सरकार और राज्य में शिवराज सरकार, दोनों ने अपनी प्राथमिकता में किसानों को रखा है। मध्यप्रदेश के राजगढ़ में आयोजित ‘किसान-कल्याण महाकुंभ’ के आयोजन से सरकार ने यही संदेश देने का प्रयास किया है कि वह किसानों के हितों की चिंता करने में सदैव की तरह अग्रणी रहेगी।

गाय मानवता के लिए वरदान है

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‘बाचा: द राइजिंग विलेज’ को मिली सराहना के बाद हमारे समूह का उत्साह बढ़ा। अब हम नये वृत्तचित्र के लिए नयी कहानी खोज रहे थे। एक कार्यक्रम के निमित्त भोपाल स्थित शारदा विहार आवासीय विद्यालय जाना हुआ। वहां कई कहानियां थीं, जिन्हें हम सुना सकते थे। भौतिकी की खुली प्रयोगशाला…

जलवायु परिवर्तन का भारतीय फसलों पर असर

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वैज्ञानिकों ने 60 साल से अधिक वक्त के आंकड़ों का उपयोग कर यह पता लगाया है कि दीर्घकाल तक जलवायु परिवर्तन ने कैसे भारत के तीन प्रमुख अनाज – चावल, मक्का और गेहूं की फसलों पर असर डाला है। अमेरिका में इलिनोइस विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने पता लगाया कि किसान…

जागरूकता का माध्यम ‘मन की बात’

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अक्टूबर, 2014 में शुरू हुए ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 99 एपिसोड में प्रधानमंत्री ने कई विषयों पर बात की है। आकाशवाणी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कार्यक्रम को प्रेरणा का एक विश्वसनीय स्रोत तथा कृषि और उद्यमिता विकास के लिए व्यापक जागरूकता के माध्यम के रूप में माना…

अमृत सरोवर योजना : जल संरक्षण से बदलेगी स्थिति

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पृथ्वी हमारा निवास स्थान है। मनुष्य सहित सभी प्राणी इसी धरती पर जन्म लेते हैं और इसी पर जीवन यापन करते हैं। पृथ्वी हमारे जीवन का आधार है। पृथ्वी से हमें वायु, जल और भोजन प्राप्त होता है। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि पृथ्वी ने मनुष्य व अन्य सभी…

बीजों के प्रमाणीकरण के लिए ‘साथी’ पोर्टल, मोबाइल ऐप

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कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को नकली बीजों की बिक्री पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से उसके बारे में पता लगाने और प्रमाणीकरण के लिए पोर्टल तथा मोबाइल ऐप का उद्घाटन किया। इसे एनआईसी ने कृषि मंत्रालय के सहयोग से ‘उत्तम बीज-समृद्ध किसान’ विषय पर विकसित किया है।…

किसानों के लिए वरदान है मोटा अनाज – पीएम मोदी

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प्रधानमंत्री  मोदी ने ‘वैश्विक श्री अन्न सम्मेलन’ के उद्घाटन के बाद कहा कि देश के लिए यह बड़े सम्मान की बात है कि भारत के प्रस्ताव और प्रयासों के बाद संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को ‘अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ घोषित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत मोटे अनाज या…

सुरक्षित जीवन: जरूरी है ‘मोटा-अनाज’

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गेहूं और चावल जैसे अनाजों की बहुतायत के बीच एक ओर हमारे परम्परागत अनाज हाशिए पर चले गए, दूसरी ओर बहुत सारी ऐसी बीमारियों ने घर बनाना शुरू कर दिया जिनके विषय में हमारे पूर्वजों ने कभी सोचा भी न था। प्र्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र…

पतायत साहू जी को मिला पद्मश्री पुरस्कार

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लुंगी और गमछा में जिस व्यक्ति को आप देख रहे हैं उनका नाम पतायत साहू है। पतायत जी को इस बार पद्मश्री पुरस्कार मिला है। पतायत जी ओडिशा के कालाहांडी जिले के रहने वाले हैं। इनके गांव का नाम नान्दोल है। पतायत जी अपने घर के पीछे 1.5 एकड़ ज़मीन…

अब पूरी दुनिया में बजेगा मोटे अनाज का डंका

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एक जनवरी 2023 से अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष आरम्भ हो गया है इसके फलस्वरूप सभी घरों की थालियों से गायब हो चुके मोटे अनाज के दिन फिर से बहुरने वाले हैं। मोटा अनाज और उनकी कृषि को प्रोत्साहन देने के लिए स्वयं प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत सरकार ने…

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