मुस्लिम वोट के ध्रुवीकरण का नतीजा है कर्नाटक

जेडीएस का वोट 2018 में 18 प्रतिशत था और 2023 में 13 प्रतिशत है.. यानी 5 प्रतिशत वोट घटा । ये 5 प्रतिशत जेडीएस का वोट, कांग्रेस में शिफ्ट हो गया और कांग्रेस जिसका वोट 2018 में 38 प्रतिशत था 2023 में बढ़कर 43 प्रतिशत हो गया और कांग्रेस को 135 से ज्यादा सीटों पर जीत मिल गई।

बीजेपी का वोट 2018 में 36 प्रतिशत था और 2023 में 35 प्रतिशत है यानी बीजेपी का वोट सिर्फ एक प्रतिशत ही घटा है । लेकिन बीजेपी को सीटों का बड़ा नुकसान इसलिए हुआ क्योंकि जेडीएस से 5 प्रतिशत वोट टूटकर कांग्रेस पार्टी को चला गया ।

ओल्ड मैसुरू जेडीएस का गढ़ है और यहां जेडीएस का मूल वोट बैंक मुस्लिम + वोकाल्लिगा था । दरअसल देवेगौड़ा वोकाल्लिगा जाति से आते हैं और उनकी पार्टी जेडीएस MV समीकरण यानी मुस्लिम + वोकाल्लिगा वोट समीकरण पर जीतती आ रही थी। लेकिन अब तक जेडीएस को वोट देते आ रहे मुस्लिम समाज PFI के बैन के बाद जाग्रत हो उठा और उसने खुलकर कांग्रेस को अपना पूरा वोट शिफ्ट कर दिया । जिससे कांग्रेस पार्टी को जमकर पूरा मुस्लिम वोट मिल गया और कांग्रेस पार्टी को वोट बेस और बड़ा हो गया

दूसरी तरफ लिंगायत और वोकालिग्गा की जातिगत लड़ाई ने हिंदू समाज को कमजोर किया । कर्नाटक में बासव राज बोमई लिंगायत हैं और वोकालिग्गा जाति के लोगों ने ये विचार किया कि अब कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डी के शिवकुमार को ही सपोर्ट करेंगे जो कि वोकालिग्गा हैं । यानी वोकालिग्गा अपनी जाति का सीएम चाहते थे इसलिए अब तक जो वोकालिग्गा परंपरागत रूप से जेडीएस को वोट देते आए थे उन सभी ने डी के शिवकुमार के नाम पर कांग्रेस को वोट कर दिया और इस तरह कांग्रेस पार्टी के वोट बेस में मुस्लिम के साथ साथ वोकाल्लिग्गा वोट भी बढ गया और कांग्रेस के वोट बेस में बंपर इजाफा हो गया ।

यानी मूल बात ये है कि मुस्लिम वोट एकजुट हुआ और हिंदू (वोकाल्लिग्गा) वोट का बड़ा चंक कांग्रेस में चला गया । यानी अगर देखा जाए तो साफ है कि बजरंग दल और बजरंग बली के मुद्दे पर हिंदू वोट बीजेपी के साथ खड़ा ही नहीं हुआ ।

बीजेपी के बढ़ते प्रभाव, हिंदू राष्ट्र की मांग ने मुस्लिम वोट को पूरे देश के अंदर और ज्यादा एग्रेसिव और ध्रुवीक्रत किया है ! 2022 में यूपी में मुस्लिम वोट 90 प्रतिशत तक सपा को गया था । इसकी वजह से बीजेपी को यूपी में कम से कम 20 सीटों का नुकसान हुआ । मेरा आज भी यही मानना है कि अगर यूपी में योगी नहीं होते तो यूपी में दोबारा चुनाव जीत पाना बीजेपी के लिए बहुत मुश्किल हो जाता ।

हिंदू समाज को हमें अभी और जगाना होगा ताकी वो एकजुट हो जबकि मुस्लिम समाज थोड़ा सा झटका लगने पर भी फौरन इकट्ठा हो जाता है । मूल बात ये है कि मुस्लिम एक राजनीतिक प्राणी होता है और हिंदू को इकट्ठा कर पाना आज भी तराजू पर मेढक तोलने जितना कठिन कार्य है ।

कांग्रेस पार्टी का अपने घोषणापत्र में बजरंग दल को बैन करने का वादा एक सोची समझी रणनीति थी जिसके जरिए कांग्रेस ने जेडीएस के मुस्लिम वोट को अपनी तरफ और ज्यादा कॉसोलिडेट किया । कुल मिलाकर, हिंदू वही ढाक के तीन पात… जाति के नाम पर बंटा हुआ रहा और सत्ता की मलाई अब मुस्लिमों के हाथ लगेगी और मुस्लिम अपने वोट की पूरी कीमत वसूलता है अब कर्नाटक और ज्यादा इस्लामीकरण के करीब जाएगा ।

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