आध्यात्मिक राजधानी बनेगी अयोध्यापुरी

रामलला का दर्शन करने मात्र से लोगों में स्वाभिमान एवं आत्मविश्वास की लहरें हिलोरे मारने लगेगी। राम मंदिर की आध्यात्मिक ऊर्जा से देश में सकारात्मक वातावरण की निर्मिति होगी, जिससे उत्साहित होकर सभी क्षेत्रों में देशवासी पूरे मनोयोग से अपने-अपने कार्यक्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करेंगे।

अयोध्या में राम मंदिर में श्रीराम के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि और शुभ घड़ी ज्यों-ज्यों समीप आती जा रही है, स्वत: ही सारा वातावरण राममय होता जा रहा है। ब्रह्मांडीय प्रकृति जो सभी स्पंदनों की जननी मां है, के स्पंदनों से राम नाम की लहर ने सीमाओं के बंधनों की बाड़ को बंधन मुक्त कर दिया है।

राम नाम की ऊर्जा से अमेरिका में भी राम के चरित्र के आदर्श से प्रेरित राम भक्त एक वेबिनार आयोजित कर चुके हैं। राम की व्यापकता और स्वीकार्यता ने धर्म और मजहब की दीवारें खड़ी करने वाली शक्तियों को निस्तेज कर दिया है। दुनिया में सबसे बड़े मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया, त्रिनिदाद, श्रीलंका, थाईलैंड, ब्रिटेन, रूस, खाड़ी के देशों, यहां तक की पाकिस्तान में भी अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्सुकता और उत्कंठा है।

अयोध्या जिस तरह से संवर रही है, उसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि भविष्य के विश्व की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और धार्मिक राजधानी आकार ले रही है। क्या यह राम नाम ही वह गॉड पार्टिकल (हिग्स बोसॉन) है, जो स्पंदित होता है तो सकल संसार उसी धारा प्रवाह में बह रहा है। अयोध्या की धरती से स्पंदित होने वाली ऊर्जा से प्रेरित हो पड़ोसी देश नेपाल में मां सीता के मायके जनकपुर धाम से उप महानगर पालिका के अध्यक्ष 500 से अधिक श्रद्धालुओं के साथ पुष्प, फल, मिष्ठान, वस्त्र, सोने चांदी के आभूषण सहित 3 हजार उपहार ले कर अयोध्या पहुंच चुके है। मंदिर के लिए राजस्थान के पहाड़पुर का पत्थर, नेपाल से शालिग्राम की शिलाएं पहुंची हैं। जोधपुर से 600 किलो गौ घृत पवित्रता बनाए रखने के लिए राम मंदिर में अखंड ज्योति और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए अयोध्या में आरती हेतु स्वीकार किया गया है। 2100 किलो का घंटा, 1100 किलो वजनी विशाल दीपक, 108 फीट लम्बी अगरबत्ती, 10 फीट का ताला चाबी, 8 देशों का समय एक साथ बताने वाली घड़ी, सोने की खड़ाऊं ऐसे उपहार हैं जो देश के अलग-अलग हिस्सों से श्रद्धा से उत्पन्न ऊर्जा को प्रसारित कर रहे हैं।

रामराज्य की कल्पना को साकार रुप में धरती पर उतारने के लिए 2014 से संकल्पबद्ध प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि प्रभु राम की कथा मां शबरी के बिना संभव नहीं है। गरीबों, वंचितों, सुदूर वनवासियों के कल्याण की योजनाओं से मिलने वाली खुशी को प्रधान मंत्री श्रीराम की प्रेरणा से अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा की खुशी से एकाकार करते है।

उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ उस गोरक्ष पीठ के पीठाधीश्वर भी हैं, जिसकी राम जन्मभूमि की मुक्ति में खास भूमिका रही है। योगी कहते हैं कि उनका जन्म और जीवन ही राम काज से जुड़ा है। एक समाचार पत्र को दिए साक्षात्कार में योगी आदित्यनाथ का कहना है कि लम्बे कालखंड से उपेक्षा का शिकार सात पुरियों में एक अयोध्या प्रथम पुरी के रूप में अपने आभा मंडल के साथ देश, प्रदेश और दुनिया को आकर्षित कर रहा है। राम कभी पुष्पक विमान से यहां उतरे थे। अब अयोध्या को वायुयान, सड़क और रेल मार्ग से जोड़ दिया गया है। जल मार्ग से भी जुड़ जाएगा। योगी आदित्यनाथ का मानना है कि 22 जनवरी 2024 की पुण्य तिथि भारत के स्वाभिमान और सम्मान के पुनर्स्थापना की पावन तिथि है। प्रभु श्रीराम के 500 वर्षों बाद पुनः अपने भव्य मंदिर में स्थापित होने से राम राज्य की स्थापना होगी।

जिस तरह से राम की ऊर्जा से ओत-प्रोत श्रद्धालु कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक से अयोध्या आ रहे हैं। वे अपने साथ आध्यात्मिक ऊर्जा की शक्ति लेकर पूरे भारत में जाएंगे तो सभी क्षेत्रों में सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। अब मथुरा, काशी, कांची, अवंतिका, माया और द्वारिका धाम भी प्राचीन पुरियों की तरह विकसित होंगी। भारत का आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक और अध्यात्मिक विकास होगा। अयोध्या उसकी बानगी है… राम मंदिर के निर्माण के साथ ही प्राण प्रतिष्ठा को लेकर देश-विदेश में उत्साह उमंग का वातावरण है।

रामलला की शक्ति से अयोध्या नगरी की कायापलट तो हो ही रही है। घर में अक्षत पवित्र पूजा स्थान में रखे हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम राम के बारे में जानने के लिए उन पर लिखी पुस्तकों की मांग बहुत बढ़ चुकी है। क्या बच्चे, क्या बड़े, क्या बूढ़े सब राम को अपने मानस में उतारना चाहते हैं। राम के साथ भावना से भी एकाकार होने का संकल्प ले रहे हैं। अयोध्या के साथ राम मंदिर और रामलला के दर्शन के लिए गांव के दूरस्थ क्षेत्र में रहने वाले निर्धन हों या फिर मध्यम और उच्च वर्ग सब लालायित हैं।

परिवार के साथ माता-पिता, दादा-दादी और वृद्ध परिजनों के साथ बच्चों, यहां तक कि नवजातों को भी एक बार अयोध्या ले जाने को कृत संकल्पित हो गए हैं। उन राम के आदर्श पुन: समाज में उतारने से रामराज्य की परिकल्पना साकार होने का बीज अंकुरित हो चुका है।

अयोध्या आनेवाले श्रद्धालु एक नई ऊर्जा शक्ति ले जाएंगे, जिससे उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा और वे आत्मविश्वास से लबरेज हो जाएंगे। प्रभु श्रीराम के आध्यात्मिक ऊर्जा शक्ति से सम्पन्न होने के बाद सभी क्षेत्रों में भारतीय अपने शक्ति सामर्थ्य के साथ प्रगति की ओर अग्रसर होंगे। यही है राम जो देश काल, जाति, धर्म, सम्प्रदाय, ऊंच-नीच, क्षेत्र के बंधनों से मुक्त हर हृदय में वास करते हैं और भारत के साथ विश्व कल्याण के लिए हर मन और आत्मा में स्पंदित होने लगे हैं। राम नाम का उच्चारण करने मात्र से आत्मिक उन्नति का मार्ग सुलभ हो जाता है।

                                                                                                                                                                                               – निशीथ जोशी 

Leave a Reply