हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
महिलाएं अपराध की ओर क्यों मुड़ती हैं?

महिलाएं अपराध की ओर क्यों मुड़ती हैं?

by संगीता धारूरकर
in महिला, मार्च २०१६
0

नज़ाकत, सौंदर्य, शालीनता और ममता की मूरत मानी जाने वाली महिला का अपराध की राह पर कदम रखना सेहतमंद समाज के निर्माण का लक्षण नहीं होता। पीढ़ी को संस्कारों की मजबूत नींव पर खड़ा करने वाली महिला अगर अपराधों की दलदल में फंस जाती है तो उसका नतीजा पूरे समाज को भुगतना पड़ता है। क्यों बढ़ रही हैं महिलाएं अपराध की ओर? कौन हैं इसके जिम्मेदार?

भारत में बढ़ते अपराध चिंता का विषय तो है ही, किन्तु उससे भी अधिक चिंता का विषय है आपराधिक तत्त्वों में महिलाओं की संख्या में हो रहा इजाङ्गा। २००१ में भारतीय दंड विधान के अंतर्गत ८६,१७२ औरतों को विभिन्न अपराधों में गिरफ्तार किया गया था। स्थानीय एवं विशेष कानून के तहत पूरे देश में १,६५,२५८ औरतें हिरासत में ली गईं। पिछले पंद्रह सालों में ये आंकड़ें कई गुना बढ़े हैं। हिंदुस्थानी संस्कृति में परिवार की नींव जिस महिला के संस्कारों पर निर्भर है, उसी महिला के कदम अगर अपराध की ओर बढ़ने लगे तो हमारे भविष्य पर कई सवालिया निशान लग जाते हैं। अब यह मात्र आलोचना का नहीं अपितु चिंता का विषय है।

महाराष्ट्र अब महिला अपराध जगत में भी सब से आगे हैै। नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के पिछले ३ साल के आंक़ड़ों पर गौर करें तो इस राज्य की सर्वाधिक ९०,८८४ महिलाओं को विभिन्न अपराधों के तहत पुलिस ने पकड़ा है। महिला अपराध में महाराष्ट्र के बाद दूसरे पायदान पर आंध्र प्रदेश है। आंध्र प्रदेश में ३ सालों में ५७,४०६ महिलाएं आपराधिक मामलों में पुलिस के हाथ लगीं। मध्य प्रदेश में भी इसी कालांश में ४९,३३३ महिलाओं को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद गुजरात का नंबर आता है। वहां ३ सालों में ४१,८७२ महिलाओं को गिरफ्तार किया गया है। देश में २०१० से २०१२ तक ९३ लाख अपराधियों की गिरफ्तारी हुई है, जिनमें महिलाएं ६ ङ्गीसदी हैं।

आपराधिक मामलों में दोषी महिलाएं दबंग, निड़र व आक्रामक प्रवृत्ति की होती हैं; पर इतना तय है कि नज़ाकत, सौंदर्य, शालीनता और ममता की मूरत मानी जाने वाली, संस्कार, वात्सल्य जैसे गुणों की पहचान मानी जाने वाली महिलाओं का अपराध की राह पर जाना सेहतमंद समाज का लक्षण नहीं दिखता। महिला की ताकत एवं पहचान बने गुण ही आपराधिक राह पर विपरीत असर करते हैं। पीढ़ी को संस्कारों की मजबूत नींव पर खड़ा करने का दायित्व जिसके ऊपर माना जाता है वह अगर अपराधों की दलदल में फंस जाती है तो उसका नतीजा पूरे समाज को भुगतना पड़ता है। क्यों बढ़ रही हैं महिलाएं अपराध की ओर? कौन है इसके जिम्मेदार? अगर इन सवालों के जबाब ढूंढ़ने की कोशिश हम करते हैं, तो हमें एक दर्दनाक सच्चाई का सामना करना प़ड़ता है।

समाज के इस बदलाव को क्राइम रिपोर्टर के नाते मैंने नजदीक से महसूस किया है। जब मैंने क्राइम रिपोर्टर का काम शुरू किया तो हर पुलिस थाने में आपराधिक मामलों में महिलाओं की संख्या एवं बढ़ती संलिप्तता मुझे चौंकाने वाली थी। एक महिला होने के कारण खोज कर समाचार लिखना इसे केवल मेरे रोजमर्रा के काम के रूप में न देखते हुए मैं अधिक संवेदनशीलता से देखने लगी। आपराधिक मामलों में महिलाएं क्यों घसीटी जाती हैं? कौन सी मजबूरी उन्हें अपराध करने पर मजबूर करती है? इन कारणों की खोज करना मेरी आदत सी हो गई।

पुलिस के पास आने वाले आपराधिक मामलों में ज्यादा प्रमाण घरेलू विवाद, दो परिवारों के बीच झगड़ों का होता है। इसमें हर मामले में महिला की संलग्नता पुरूषों के बराबर होती है। कभी-कभी इन अपराधों की ज़ड़ में महिला की करतूत दिखाई पड़ती है। इन मामलों में महिला अपराध का कारण भी होती है और वही पी़िड़त भी होती है। हमारा समाज इस जमाने में भी घर में लड़कियों की उपेक्षा करता है। उसे सख्त नियंत्रण में रखने का प्रयास किया जाता है। इन असीम मर्यादाओं की प्रतिक्रिया स्वरूप इन लड़कियों के मन में बागी होने की भावना उभरती है। इन लड़कियों को परिवार के सदस्यों से ज्यादा बाहर के व्यक्तियों से भावात्मक जु़ड़ाव हो जाता है। महिला कीइसी मानसिकता का जब परिवार के बाहर का व्यक्ति गलत इस्तेमाल करता है तो एक संगीन अपराध का जन्म होता है। जब कोई मर्द किसी आपराधिक मामले में फंस जाता है तो पछतावे के पश्चात वह आम जिंदगी में लौट सकता है। ‘सुबह का भूला शाम का घर वापस आए तो उसे भूला नहीं कहते’ जैसी कहावतें उसे ङ्गिर से आम जिंदगी में शामिल कराने में कारगर होती है। लेकिन महिला जब किसी आपराधिक राह पर चलती है तो उसके साथ लैंगिक अत्याचार के आसार ज्यादा होते हैं। ऐसे मामले में फंसी महिला को आम जिंदगी में लौटने का रास्ता हमारा समाज लगभग बंद कर देता है। शीलभ्रष्टता, लिंगशुचिता के जो भ्रम हमारे समाज में प्रचलित हैं उनके चलते इन महिलाओं का आम जिंदगी में लौटना जब नामुमकिन हो जाता है तो ये महिलाएं और दृढ़ता के साथ आपराधिक माहौल में घसीटती जाती है। क्या ऐसी महिलाओं की मानसिकता सुधारने का कोई रास्ता नहीं है? क्या उनके सम्मानजनक पुनर्वास के लिए हम कुछ नहीं कर सकते? हमारे समाज में महिला की प्रतिष्ठा, घर में महिला का नियंत्रण, सास-बहू का नाता जैसे अनेक विषयों में महिला को ही महिला के खिलाङ्ग ख़ड़ा कर दिया गया है। महिलाओं से जु़ड़े ज्यादातर आपराधिक मामलों में अपराध करने वाली महिला होती है और पीड़ित भी महिला ही होती है।

आपराधिक मामलों में महिला की सहभागिता का बड़ा कारण अशिक्षा भी है। हमारे समाज में अभी भी बहुत बड़ा तबका ल़ड़कियों को पढ़ाने के लिए तैयार नहीं है। लड़कियों को पराया धन समझने के कारण उन्हें पढ़ाने की जरूरत ही महसूस नहीं होती। शिक्षा के क्षेत्र में लड़कियों को सहजता से भेजने के लिए सरल और अच्छा माहौल भी नहीं है। अशिक्षा के कारण पैदा हुई अंधश्रद्धा, भोलापन, सूचनाओं की कमी महिलाओं को अपराधी या अपराध पीड़ित बनाती है। एक तरङ्ग अशिक्षा को अपराध की वजह के रूप में हम देखते हैं तो दूसरी तरफ शिक्षित, हायप्रोङ्गाइल महिलाएं भी आपराधिक मामलों में कम नहीं हैं। यह एक कड़वा सच सामने खड़ा हो जाता है। हाल ही में मीड़िया में अधिकतम चर्चा में रहा इन्द्राणी मुखर्जी का मामला हम कैसे भूल सकते हैं? गरीब ल़ड़कियां तो अपराध की दुनिया में अपना पेट पालनेे के लिए आती हैं, जबकि अमीर घरों की ल़ड़कियां अपनी शान-शौकत बनाए रखने, महंगे शौक पूरे करने की लालसा से आती हैं। इंद्राणी जैसे मामलों में पारिवारिक परिस्थितियां आपराधिक प्रवृत्ति विकसित करती हैं। टूटे हुए परिवार, परिवार की आर्थिक स्थिति, परिवार में गलत अनुशासन, घर में अनैतिक वातावरण, मां-बाप का अपने-अपने कार्यक्षेत्र में व्यस्त रहना तथा सौतेले बच्चों के साथ दुर्व्यवहार करना आदि सभी ऐसे पारिवारिक कारण हैं, जो किसी भी ल़ड़की को अपराध करने के लिए प्रेरित कर देते हैं। इसी तरह ल़ड़की पर अति अनुशासन भी उसे भटकने में सहायता देता है।

हाई प्रोङ्गाइल महिला

तुरंत धन कमाने की आकांक्षा कई बार हाय प्रोङ्गाइल महिलाओं को अपराध में जाने के लिए प्रेरित करती है। औरंगाबाद जैसी पिछले कुछ सालों में तेजी से विकसित औद्योगिक नगरी में लापता होने वाली महिलाओं की संख्या बहुत ज्यादा है। धन के आकर्षण से ये महिलाएं अपना घर छोड़ गैरमर्द का हाथ पकड़ कर गायब हो रही हैं। भूमंड़लीकरण का जो असर अब समाज में दिखनेे लगा है उस में जरूरत से ज्यादा सुखासीन संसाधनों का आकर्षण, ऐशोआराम के नए मार्ग, नए महंगे साधनों को प्राप्त करने के लिए महिलाएं बड़ी सहजता से अपराध के मार्ग पर खिंचती जा रही हैं। महिला के सौंदर्यास्त्र का प्रयोग कार्पोरेट क्षेत्र में कैसे किया जाता है और उस चक्कर मे अंत में महिला कैसे प्रताड़ित, उपेक्षित होती है, उन्हें कैसे बुरे परिणामों को भुगतना पड़ता है इसका दर्दनाक चित्र ‘कार्पोरेट‘ जैसी ङ्गिल्म में ङ्गिल्माया गया है। नीरा रा़डिया जैसे हाय प्रोङ्गाइल आपराधिक उदाहरण हमारे समाज के सामने कौनसा आदर्श खड़ कर रहें हैं?आजकल समाज पर सबसे ज्यादा असरदार मीड़िया के रूप में टेलिविजन घर-घर में मौजूद है। इस पर ज्यादातर धारावाहिक महिलाओं को खलनायिका के रूप में स्थान दे रहे हैैं। बिंदी लगाने वाली, साड़ी पहने वाली भारतीय महिलाएं इन धारावाहिकों में सरेआम कत्ल करती दिखाई पड़ती हैं। इन धारावाहिकों में खलनायिकाएं अधिकतम सुंदर, आकर्षक, अनुकरणीय परिवेश में दिखाई जाती हैं। इन धारावाहिकों में ये महिलाएं अधिकतम समय पारिवारिक षड्यंत्र को अंजाम देने में लिप्त दिखाई देती हैं। हमारे जीवन की वास्तविकता से कई दूर यह चित्र क्या समाज को वहां तक ले जाने हेतु दिखाया जाता है? आने वाले समाज की क्या यही मान्यता होगी ?

आतंकवाद में महिलाएं

महिलाओं के आपराधीकरण की गहरी चिंता आतंकवाद की घटनाओं में महिलाओं की संलिप्तता से उत्पन्न हुई है। डी-गैंग का सरगना और हिंदुस्थान में आतंकवाद का डॉन दाऊद इब्राहिम के भारत से विदेश भागने के बाद मुंबई बम धमाकों में प्रमुख अभियुक्त होने के चलते उसने अपने गैंग की यहां की गतिविधियों पर अपना नियंत्रण रखना छो़ड़ दिया। तभी से उसके माङ्गिया कारोबार की कमान उसकी बहन हसीना पारकर संभाल रही है। पुलिस को यह पता है लेकिन उस के पास इस बाबत कोई पुख्ता सुबूत नहीं है। अरुण गवली की पत्नी आशा गवली, माङ्गिया सरगना अश्विन नाईक की पत्नी नीता नाईक, सुरेश मंचेकर की बूढ़ी मां लक्ष्मी और पत्नी सुप्रिया जैसी कई महिलाओं की चर्चा आपराधिक गिरोह चलाने के लिए होती रही है। मोनिका बेदी और अबू सलेम का नाम तो अनेक दिन आपराधिक मामलों में चर्चा में रहा। छोटा शकील गिरोह में रुबीना सिराज सैयद शमीम ताहिर मिर्जा बेग उर्ङ्ग पौल ये नाम शामिल थे।

मैं एक जौहरी की दुकान में किसी विषय पर साक्षात्कार लेने गई थी। तब देखते ही देखते बुर्का पहन कर आई चार महिलाओं ने वहां एक चोरी को अंजाम दिया। सीसी टीवी ङ्गुटेज में यह चोरी तो दिख रही थी लेकिन बुर्का पहनने के कारण चोर की शिनाख्त होना नामुमकीन सा था। क्या धार्मिक विशेषता का ऐसे गलत काम के लिए इस्तेमाल करना सही है? गुजरात में पुलिस मुठभेड़ में मारी गई आतंकवादी गिरोह की इशरत जहां राजनीतिक बहस का विषय बनाई गई। आतंकवादी होने के बावजूद उसे राजनीतिक पार्टियों ने अपनी राजनीति का मोहरा बनाने का प्रयास किया। इस तरह अल्पसंख्यक समाज की युवतियों में आतंकवाद के लिए गलत मान्यताएं तैयार होना शुरू हुआ। परिणामस्वरूप पुणे में आईएसआईएस में शामिल होने निकली एक किशोरी को हिरासत मे लेना पड़ा। हमारी युवतियों को हम कहां ले कर जा रहें हैं? पठानकोट में हिंदुस्थान के हवाई अड्डे पर आतंकवादी हमले में इस हवाई अड्डे की खुङ्गिया जानकारी हासिल करने के लिए आतंकवादी तथा हमारे दुश्मनों के हाथों ‘हनी ट्रैप’ का इस्तेमाल किए जाने की आशंका जताई गई थी। महिलाओं के अपराधीकरण का यह बड़ा ही संगीन परिदृश्य है जिसे रोकने हेतु गंभीर चर्चा एवं कारगर प्रयास जरूरी हैं। महिलाओं के अपराधीकरण को रोकने हेतु हमें अपने घर से प्रारंभ करना होगा। घर, पाठशाला, समाज इन तीनों जगह संस्कार, नैतिक शिक्षा, नारी सुरक्षा, नारी सम्मान, नारी समानता जैसे मूल्यों को न केवल वाणी में अपितु जीवनशैली में अपनाना होगा। नैतिक मूल्यों की शिक्षा को भगवाकरण का नाम देकर राजनीतिक आलोचना का विषय बनाना समाज को विनाश की दहलीज पर खड़ा कर रहा है।

 

Tags: empowering womenhindi vivekhindi vivek magazineinspirationwomanwomen in business

संगीता धारूरकर

Next Post
देह धरे को दण्ड

देह धरे को दण्ड

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0