सारस और लोमड़ी

एक बार एक लोमड़ी ने अपने दोस्त सारस को खाने की न्यौता दिया और खाने में खीर बनाया और उसे बड़े थाली में परोस दिया फिर सारस और लोमड़ी थाली में परोसे खीर को खाने लगे थाली काफी चौड़ी थी जिससे सारस के चोच में खीर की थोड़ी ही मात्रा आ पाती थी जबकि लोमड़ी अपने जीभ से जल्दी जल्दी सारा खीर खा लिया

जबकि सारस का पेट भी नही भरा था जिससे लोमड़ी अपनी चतुराई से मन ही मन खुश हुई तो फिर सारस ने भी लोमड़ी को खाने का न्योता दिया फिर अगले दिन सारस ने भी खीर बनाया और और लम्बे सुराही में भर दिया जिसके बाद दोनों खीर खाने लगे सारस अपने लम्बे चोच की सहायता से सुराही में खूब खीर खाया

जबकि लोमड़ी सुराही लम्बा और उसका मुह छोटा होने के कारण वहा तक पहुच ही नही पाता जिसके कारण वह सुराही पर गिरे हुए खीर को चाटकर संतोष किया फिर इस प्रकार सारस ने अपने अपमान का बदला ले लिया और लोमड़ी को अपने द्वारा किये हुए इस व्यव्हार पर बहुत पछतावा हुआ

कहानी से शिक्षा

“जैसे को तैसा की सोच आधारित यह कहानी हमे यही सिखाती है की हमे कभी भी किसी का अपमान नही करना चाहिए क्यू ऐसा अपमान अपने साथ भी सो सकता है”

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  1. Anonymous

    Where are Question Answers

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