हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
एक गलती,खेल खतम…

एक गलती,खेल खतम…

by माधुरी ताम्हने
in महिला, मार्च २०१५
0
रात के साढ़े ग्यारह बजे थे। गाड़ी में माल भरकर विजापुरके ढाबे पर भोजन कर ट्रक की ओर बढ़ी, तब खटिया पर बैठे दो-तीन ड्रायवरों ने एक दूसरे को इशारे किए, जो मेरी नजरों से बच नहीं पाया। आईने में देखा तो वे अब भी मेरी तरफ देखते दिखाई दिए। ड्रायविंग सीट पर एक युवती बैठी है इस बात को वे हजम नहीं कर पा रहे थे। अर्थात यह हमेशा की बात है। हां, परसो मिले एक वयोवृद्ध सरदारजी ने मुझे सीधे सैल्यूट ही ठो दिया और कहा, ‘‘हमें बहुत खुशी है कि आप यह काम कर रही हैं! आपने यह साबित कर दिया है कि आज की नारी में भरपूर हिम्मत है। बेटा मेरा आपको आशीर्वाद है!’’ मेरी आंखें नम हो गईं। मैंने कहा, ‘‘सच है पापाजी! आखिर मंजिल उन्हीं को मिलती है जो रास्तों से दोस्ती कर लेते हैं। और हमने ग्यारह सालों से ये दोस्ती बखूबी निभाई है।’’
घनघोर अंधरे को चीरते हुए मेरा ट्रक लम्बे रास्ते से तेजी से गुजर रहा था। ठण्डी हवाओं के झोंके चेहरे पर थपेड़े मार रहे थे। अचानक ध्यान में आया कि एक जीप बहुत देर से मेरा पीछा कर रही है। एक बार उस जीप को रास्ते के किनारे दबाया और रॉंग साइड़ से गाड़ी आगे निकाली। फिर भी उसका पीछा जारी ही था! सामने एक गांव में एटीएम के सामने भीड़ दिखाई दी और वहीं गाड़ी रोकने का इरादा किया। गाड़ी रोकी और सामने ही गई उस जीप के, सब भागे, केवल एक मिला, उसका गिरेबान ही पकड़ लिया! कहा, ‘‘ क्यों रे! क्यों पीछा कर रहा है मेरा? देखूं तू पुलिस वाला है कि आरटीओ वाला? याद रखो, फिर पीछा किया तो गाड़ी तुम्हारी जीप पर ऐसी चढ़ा दूंगी कि एक न बचेगा।’’ मेरा क्रोध देखकर तीनों जीप लेकर भागे। अरे, स्टीअरिंग हाथ में हो तो क्यों घबराना? सामने वाले से बेहिचक लड़ें। अधिक से अधिक क्या होगा? वह मरेगा या हम मरेंगे! एक न एक दिन तो मरना ही है।
हाल में चम्बल की घाटी से गुजर रही थी कि जान पर आन पड़ी। हुआ यूं कि शाम को पिपरिया में गाड़ी लोड़ की और हायवे पर पहुंची। एक ने कहा कि ‘आप गलत रास्ते से जा रही हैं। आप सामने वाला रास्ता पकड़ें। वह बड़ा है।’’ सोचा, चलो चलते हैं इसी रास्ते से। आधा किमी जाने के बाद पता चला कि यह रास्ता तो बंद ही है। गाड़ी रास्ते के किनारे लगाई। रात के साढ़े बारह बजे थे। रास्ता पूरा सुनसान थां इसी बीच कहीं से तीन मोटर साइकिल वाले आए। उन्होंने कहा, ‘‘आप यहां कहीं ट्रक टर्न नहीं कर पाएंगी। इसी रास्ते से आगे जाइये।’’ निकली उसी रास्ते से आगे। लेकिन हाय! एक बड़ा नाला मटमैले पानी से भरा बह रहा था। गाड़ी घुमाना असंभव था। फिर वही तीन मोटर साइकिल वाले मिले। कहा, ‘‘आगे सड़क है। आप और थोड़ा आगे जाइये।’’ अलग रास्ते से जाने पर सारा ऊबड़खाबड़ पहाड़ों वाला रास्ता! वहां ट्रक फंसना ही था। मैं रुक गई। वे तीनो मेरा पीछा कर रहे थे। अब मेरा संयम टूटा। मैं ट्रक से उन तीनों पर चिल्लाई, ‘‘खबरदार यदि मुझे छेड़े तो… गाड़ी चढ़ा दूंगी तुम लोगों पर…’’ आगे कुछ ठीक रास्ता दिखाई दिया। उस रास्ते पर निकली तो अचानक सामने बिजली के तार लटकते हुए दिखाई दिए। ट्रक उनमें जा फंसा। मैं ट्रक के टप पर चढ़ गई। लकड़ी से वायर ऊंची उठाई। तभी क्षण में उस गांव की लाइट चली गई। घनघोर अंधेरा हो गया। अभी तो मुझे भागना ही है। नहीं तो गांव वाले मेरा चक्का जाम कर देंगे। तुरंत सीट पर बैठी। गाड़ी थोड़ आगे बढ़ाई तो फिर वायरों का जाल। सोचा भागो यहां से। कोई बीस कदम आगे बढ़ी ही थी कि लाइट चली जाने से रुके भजन मंडल के लोग सामने ही आ डटे। मैं पहले ट्रक में रखा बड़ा सा लोहे का रॉड निकाला। कहा, ‘‘तुम लोगों में से कोई भी मेरे पास नहीं आएगा। मुझे हाथ नहीं लगाएगा। आपके वायर टूटे उसका मुआवजा मैं दूंगी!’’ तभी वे पहले वाले तीन आगे आए। वे उस गांव के गुंडे होंगे। वे चिल्लाए, ‘‘जरूर कुछ गड़बड़ है! दो नम्बर का माल लेकर भागती है! चलो जला देंगे इसका ट्रक!’’ मैंने हाथ की सब्बल पटकी। कहा, ‘‘खबरदार यदि कोई मेरे ट्रक को हाथ लगाए तो… इज्जत की रोटी कमाती हूं! कोई गलत काम नहीं करती। बुलाओ पुलिस को..’’ यह कहते हुए मैंने उस भजन मंडली के बीच ही बैठक लगा दी। एक महिला सामने आईं उसने मुझे पानी दिया। फिर वहीं स्टोव जलाया। दालभात पकाने डाला। तब तक लोग कुछ शांत हो गए थे। दो लोग पुलिस को बुलाने चौकी पर गए। बाकी लोग मुझे भजन गाने का आग्रह करने लगे। सोचा, जो होगा देखा जाएगा! पेट्रामैक्स की रोशनी में मैंने भजन गाना शुरू कर दिया, ‘‘कान्हा रे कान्हा आन पड़ी रे तेर द्वार..’’ कुछ देर बाद पुलिस आई। मेरे मोबाइल के नम्बर जांचे। अब वे गुंड़े अड़ गए तीन हजार रु. का मुआवजा मांगने के लिए। मैंने कहा, ‘‘आपके जो वायर टूटे वे पांच सौ के भी नहीं है। चुपचाप ये पांच सौ रुपये ले लो और फूटो। अन्यथा वह भी नहीं दूंगी।’’ फिर पुलिस ने ही गाड़ी टर्न करने में मेरी मदद की। चौकी पर ले गए। चाय दी और सही रास्ते पर लाकर छोड़ा। हम जैसा बर्ताव करते हैं वैसा समाज आपसे बर्ताव करता है। सिर उठाके खुल के जीयो तो हर पल आसान है।
इस व्यवसाय में अड़चनों के पहाड़ हैं। विशेषकर महिलाओं के लिए। इसलिए कोई महिला जान जोखिम में डालकर इस ‘लाइन’ में आना नहीं चाहती। मैं तो क्लीनर भी न लेते हुए मीलो-दर-मील अकेली गाड़ी चलाती हूं। उनका तंबाकू खाना, शराब पीना मुझे नापसंद है। मैं तो मुंह में लौंग- इलायची रख लेती हूं। जोरदार आवाज में गाने लगाती हूं और आगे बढ़ती हूं। हां, रात-बेरात झपकी आने लगे तो किसी गांव में सड़क के किनारे गाड़ी लगाती हूं और माल पर ढंकी ताड़पत्री पर तानके सो जाती हूं। आजतक कभी मैं होटल में नहीं रूकी। मुझे गाड़ी ही अधिक सुरक्षित लगती है। कभी कभी फ्रेश होने की जरूरत हो तो मुंह पर दुपट्टा बांध लेती हूं, बदन पर शर्ट-पैंट होती है… कोई छिपावन देखती हूं और मुक्त हो जाती हूं। लेकिन जहां तक बने रात में किसी की नजर में न आने की मैं कोशिश करती हूं। हां दिन हो जाने पर खुलकर लोगों के सामने आती हूं। उन्हें दिखाती हूं कि मैं अब ट्रक लेकर जा रही हूं। तब लोग आंखें फाड़कर मेरी ओर, ट्रक की ओर देखते हैं। तब मुझे खूब मजा आता है। गर्व होता है खुद पर! मजबूरी में ही सही लेकिन जिंदगी ने मुझे इस मकाम पर पहुंचाया है।
ग्यारह साल पहले मेरे पति दुर्घटना में अचानक चल बसे। तब मैं कहां जानती थी कि आगे क्या परोसा है। वे वकील थे। लेकिन वकीली छोड़कर परिवहन के क्षेत्र में आए। मैं बी.कॉम. थी। विवाह के बाद एलएल.बी. किया। तब हमारे पास तीन ट्रक थे। लेकिन पति का अचानक निधन हो गया और सम्पत्ति को लेकर विवाद शुरू हो गए। हमारे तीनों ट्रकों, बैंक खातों आदि सम्पत्ति पर स्टे आया। एक दिन मेरे पास सौ रु. भी नहीं थे। पुत्र यशवीन पांच साल का, पुत्री यासिका दस वर्ष की थी। मैं न्याय का इंतजार करते बैठती तो ट्रक पड़े रहते। मुझे उन्हें चलाने की अदालत ने अनुमति दी। आरंभ में ड्रायवर रखे। लेकिन धंधे में काफी नुकसान हुआ। तब तक मैंने कार तक न चलाई थी। एक दिन पक्का निर्णय किया और ट्रक चलाना सीख गई। मेरे समक्ष और विकल्प भी नहीं था। लेकिन मेरी मजबूरी को कोई, मेरे खून के रिश्तेदार भी समझ नहीं रहे थे। एक दिन बच्चों को करीब लिया, समझाया, अकेले कैसे रहे, खुद को कैसे सम्हाले… मेरी दस साल की यासिका उस दिन से यशवीन की मां बन गई। मेरा पकाया भोजन खत्म होने पर भोजन पकाना, ऊधमी यशवीन को सम्हालना, उसकी पढ़ाई लेना… सब कुछ वह सम्हालने लगी और मैं ट्रक लेकर घर के बाहर निकली।
मेरे ट्रक पर नारा लिखा है, One Mistake Game Over! अर्थात, ‘एक गलती खेल खतम! आरंभ में ट्रांसपोर्ट का धंधा नहीं जमता था। ड्राइविंग नहीं जमती थी। घाट में गिअर डालते हुए गाड़ी चलाने की अपेक्षा ब्रेक पर गाड़ी चलाती रही और एकदम ब्रेक फेल हो गए। तेजी से गाड़ी से नीचे उतर कर चक्के के नीचे पत्थर सरकाया और खाई से चार कदम पर गाड़ी रुक गई। मेरी आंखों के सामने मेरे दो नन्हें बच्चे आए।
आज रिश्तेदारों ने मेरी कोई सुध नहीं ली। उन्हें लगता है, मैं शर्ट-पैंट पहनती हूं। स्त्रीत्व भूलकर पुरुष बन गई हूं। लेकिन अरे, मेरे बीच की ‘मां’ अपने नौनिहालों के लिए यह कर रही है! मिले, फोन किया तो कहते हैं, ‘‘तू ट्रक लेकर गांव में आई तो हमारी इज्जत जाएगी! ट्रक गांव के बाहर छोड़कर आना।’’ उसी क्षण मैंने मायके से मुंह मोड़ लिया। मेरा ट्रक मेरी मां है। जान है तब तक उसे नहीं छोडूंगी। उससे मुझे रोज जीने की उम्मीद मिलती है…
यह स्मरण करते- करते उजास का प्रहर आ गया। ट्रक सुरंग से बाहर निकल रहा है… धीरे-धीरे बढ़ते उजास से मार्ग साफ हो रहा है… और उसके साथ मेरी अगली यात्रा भी…..
Tags: empowering womenhindi vivekhindi vivek magazineinspirationwomanwomen in business

माधुरी ताम्हने

Next Post
महिला आंदोलन के पुरुष सारथी

महिला आंदोलन के पुरुष सारथी

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0