महर्षि दयानंद सरस्वती का वेद-विषयक दृष्टिकोण
१. ऋक्, यजुः, साम और अथर्व - ये चार मंत्र संहिताएं ही ‘वेद’ हैं। इन चार मंत्र संहिताएं ही ईश्वर-प्रणीत...
१. ऋक्, यजुः, साम और अथर्व - ये चार मंत्र संहिताएं ही ‘वेद’ हैं। इन चार मंत्र संहिताएं ही ईश्वर-प्रणीत...
इसी सूची में भगत सिंह के दादा जी अजीत सिंह का नाम भी आता है। भगत सिंह कहा था कि...
गौतम बुद्ध को इसीलिए वेदों के विरुद्ध आवाज उठानी पडी। लेकिन स्वामी दयानंद सरस्वती ने वेदों का सही और युक्तिसंगत...
वैदिक ज्ञान विज्ञान के तत्वों को संसार के समक्ष अपने विशुद्ध रूप में रख कर इस विषयक अज्ञान को दूर...
हमें महर्षि देव दयानंद सरस्वती के रूप में एक ऐसी विद्युत अग्नि के दर्शन हुए जिसने अपनी कड़कती प्रखर प्रज्ञा...
महर्षि दयानंद का ‘सत्यार्थ प्रकाश’ एक अद्भुत ग्रंथ है। इसमें उन्होंने शैतान व्यक्ति से पाप करवाता है इस भ्रांति कोे...
काकड़वाड़ी आर्य समाज वर्षों तक वैदिक धर्म प्रचार का केन्द्र रहा और अब भी है। मुंबई प्रदेश आर्य प्रतिनिधि सभा...
महर्षि दयानंद ने वेद की पुनः संस्थापना का अद्भुत कार्य किया और युगों से पड़े हुए रूढ़िग्रस्त विचारों को पल...
मानव अल्पज्ञ है। एक मात्र परमात्मा ही सर्वज्ञ है। मानव को जहां विचार और कर्म की स्वतंत्रता दी गई है,...
आर्य समाज की यह मान्यता है और सही मान्यता है कि वैदिक धर्म के अनुायियों के पास समस्त मानव जाति...
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों के प्रेरणास्रोत स्वामी दयानन्द सरस्वती द्वारा स्थापित आर्य समाज ने सत्य सनातन वैदिक धर्म...
किसी गाँव में एक ताले वाले की दुकान थी। ताले वाला रोजाना अनेकों चाबियाँ बनाया करता था। ताले वाले की...
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