अंधाधुंध उत्पादन से बेहतर है संयम से खर्च

Continue Readingअंधाधुंध उत्पादन से बेहतर है संयम से खर्च

बिजली बनाने के हर सलीके में पर्यावरण के नुकसान की संभावना है। यदि उर्जा का किफायती इस्तेमाल सुनिश्चित किए बगैर उर्जा के उत्पादन की मात्रा बढ़ाई जाती रही तो इस कार्य में खर्च किया जा रहा पैसा व्यर्थ जाने की संभावना है और इसका विषम प्रभाव अर्थ व्यवस्था के विकास पर पड़ेगा।

मधुमेह ने बढ़ाया काले कवक का खतरा

Continue Readingमधुमेह ने बढ़ाया काले कवक का खतरा

आज जिसे म्यूकोसिस कहा जा रहा है वह वास्तव में बहुत पुराना रोग जाइगोमाइकोसिस ही है जो एक दुर्लभ कवक संक्रमण है। यह कवक हमारे परिवेश में मिट्टी, पत्तियों, सड़ी लकड़ी और सड़ी हुई खाद, किसी भी सीलन वाली जगह पर बड़े पैमाने पर होता है। म्यूकोंर्मासेट मोल्ड के कारण यह इंसान के जीवन पर घातक मार करता है। इसके चलते त्वचा का काला पड़ना, सूजन, लाली, अल्सर, बुखार के अलावा, यह ख़तरनाक बीमारी फेफड़ों, आंखों और यहां तक कि मस्तिष्क पर भी आक्रमण कर सकती है।

कोरोना की विध्वंसक लहर

Continue Readingकोरोना की विध्वंसक लहर

शर्मनाक तो ऑक्सीजन जैसी सामान्य सुविधा का अकाल पड़ना है। बिस्तरों की उपलब्धता, चिकित्सा स्टाफ को सही प्रशिक्षण और उन्हें इस तनाव के हालात में बेहतर सेवा देने लायक सुविधाएं देने में हम नाकाम रहे। ज़ाहिर है कि हमारा चिकित्सा तानाबाना इस समय बेदम हो कर गिर रहा है।

कोताही से बढ़ता कहर

Continue Readingकोताही से बढ़ता कहर

केवल सतर्कता, लापरवाहों पर कड़ाई और बेवजह सार्वजनिक स्थानों पर लोगों को आने से रोकना, गरीब लोगों के लिए रोजगार की व्यवस्था, व्यापार-उद्योग के नए सलीके से संचालन को अपनी जीवन शैली में स्थायी रूप से जोड़ना होगा। फिलहाल तो कोरोना का यही इलाज दिखाई दे रहा है।

गाद तो हमारे ही माथे पर है

Continue Readingगाद तो हमारे ही माथे पर है

एक तरफ प्यास से बेहाल होकर अपने घर-गांव छोड़ते लोगों की हकीकत है तो दूसरी ओर पानी का अकूत भंडार! यदि जल संकट ग्रस्त इलाकों के सभी तालाबों को मौजूदा हालात में भी बचा लिया जाए तो वहां के हर इंच खेत को तर सिंचाई, हर कंठ को पानी और हजारों हाथों को रोजगार मिल सकता है।

कहां खो गए वे पशु-पक्षी?

Continue Readingकहां खो गए वे पशु-पक्षी?

प्रकृति में हरेक जीव-जंतु का एक चक्र है, जैसे कि जंगल में यदि हिरण जरूरी है तो शेर भी। ...हर जानवर, कीट, पक्षी धरती पर इंसान के अस्तित्व के लिए अनिवार्य है। इसे हमारे पुरखे अच्छी तरह जानते थे, लेकिन आधुनिकता के चक्कर में हम इसे भूलते जा रहे हैं।…

पॉलिथीन पर पाबंदी के लिए चाहिए वैकल्पिक व्यवस्था

Continue Readingपॉलिथीन पर पाबंदी के लिए चाहिए वैकल्पिक व्यवस्था

बाजार से सब्जी लाना हो या पैक दूध या फिर किराना या कपड़े, पॉलिथीन के प्रति लोभ ना तो दुकानदार छोड़ पा रहे हैं, ना ही खरीदार। पॉलिथीन न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य को भी नष्ट करने पर आमादा है। इससे बचने के लिए वैकल्पिक उत्पादों पर हमें गौर करना होगा।

नारों से आगे नहीं बढ़ा स्वच्छता अभियान

Continue Readingनारों से आगे नहीं बढ़ा स्वच्छता अभियान

हम भारतीय केवल उत्साह, उन्माद और अतिरेक में स्वच्छता के नारे तो लगाते हैं, लेकिन जब व्यावहारिकता की बात आती है तो हमारे सामने दिल्ली के कूड़े के ढेर जैसे हालात होते हैं जहां गंदगी से ज्यादा सियासत प्रबल होती है। तीन साल से जारी स्वच्छ भारत अभियान का यही हाल फिलहाल दिख रहा है।

बिगड़ रही है नदियों की सेहत

Continue Readingबिगड़ रही है नदियों की सेहत

वडंबना है कि विकास की बुलंदियों की ओर उछलते देश में अमृत बांटने वाली नदियां आज खुद जहर पीने को अभिशप्त हैं. इसके बावजूद देश की नदियों को प्रदूषण-मुक्त करने की नीतियां महज नारों से आगे नहीं बढ़ पा रही हैं.

कूड़ा ढोने का मार्ग बन गई हैं नदियां

Continue Readingकूड़ा ढोने का मार्ग बन गई हैं नदियां

सुनने में आया है कि लखनऊ में शामे अवध की शान गोमती नदी को लंदन की टेम्स नदी की तरह संवारा जाएगा। महानगर में आठ किलो मीटर के बहाव मार्ग को घाघरा और शारदा नहर से जोड़ कर नदी को सदानीरा बनाया जाएगा। साथ ही इसके सभी घाट व तटों को चमकाया जाएगा। इस पर खर्च आएग

आखिर कहां जाता है परमाणु बिजली घरों का कचरा?

Continue Readingआखिर कहां जाता है परमाणु बिजली घरों का कचरा?

सालोंसाल बिजली की मांग बढ़ रही है, हालांकि अभी हम कुल ४७८० मेगावाट बिजली ही परमाणु से उपजा रहे हैं जो कि हमारे कुल बिजली उत्पादन का महज तीन फीसदी ही है। लेकिन अनुमान है कि हमारे परमाणु ऊर्जा घर सन २०२० तक १४६०० मेगावाट बिजली बनाने

End of content

No more pages to load