अनूठी पहल

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****सायली साटम**** अंग्रेजों के आने के पहले सभी भारतीय गांव स्वावलंबी थे। गांव की, जलस्रोतों की स्वच्छता रखना वे अपना कर्तव्य समझते थे। ग्रामीण समाज शारीरिक मेहनत करने के कारण स्वस्थ तथा बलवान हुआ करता था। अंग्रजों ने सोचा अगर गावों की इस स्वावलंबन रूपी र

शायर निदा फाज़ली

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***संगीता जोशी*** मशहूर शायर निदा फाज़ली हिंदी, उर्दू और गुजराती में लिखते थे। वे देश में एकात्मता के उद्घोषक थे। भारत का विभाजन उन्हें मंजूर नहीं था। विभाजन के बाद उनके माता-पिता पाकिस्तान चले गए, लेकिन उन्होंने हिंदुस्तान में ही रहना पसंद किया। उनके जा

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आंतरिक ऊर्जा

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रिज़वान अडातिया फाउंडेशन की स्थापना दानशूर, प्रेरणास्पद वक्ता एवं सीओजीईएफ ग्रुप अफ्रीका के चेयरमैन श्री रिज़वान अदातिया ने की है, जो मूलतः भारत के पोरबंदर (जहां महात्मा गांधी का जन्म हुआ) के हैं। श्री रिज़वान को लगता है कि सौभाग्य से उन्हें भारी सफलता मिल

नवोन्मेष

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महाराष्ट्र स्थित पुणे शहर के सदाशिव पेठ निवासी चंद्रकान्त पाठकजी एवं उनके पुत्र केदार ने ऊर्जा निर्मिति के क्षेत्र में अनोखे प्रयोग किए और उन्हें सफल बनाकर नए-नए यंत्र निर्माण किए। केवल बैलगाड़ी के पहिए को घुमाकर बिजली निर्मिति उनका अनोखा प्रयोग है। इसी

जमदग्नि की तपोस्थली***जौनपुर***

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विभिन्न संस्कृतियों की झांकी का साक्षीदार रहा जौनपुर जनपद अपनी ऐतिहासिकता को बहुत अतीत तक समेटे हुए हैं। नदी गोमती के तट पर बसा यह शहर एक परम्परा के अनुसार महर्षि जमदग्नि की तपोस्थली रहा है। जिस कारण इसका प्रारम्भिक नाम जमदग्निपुर पड़ा तथा कालान्तर में जमदग्निपुर ही जौनपुर के रूप में परिवर्तित हो गया।

समावेशी शिक्षा के माध्यम से नेतृत्व का पोषण

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वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम, ने अपनी ‘ग्लोबल रिस्क्स रिपोर्ट   २०१५’ द्वारा निम्न पांच श्रेणियों में भारत को २८वां स्थान प्रदान किया है। ये श्रेणियां हैं- अर्थिक, पर्यावरणीय, भूराजकीय, सामाजिक और तंत्रज्ञानीय। इससे स्पष्ट है कि हमें केवल प्रतिभाशाली नेतृत्व की आवश्यकता ही नहीं; बल्कि ऐसी विचारशील प्रतिभाओं की जरूरत पड़ने वाली है

रा. स्व.संघ के सहसरकार्यवाह सर कार्यवाह मा. दत्तात्रेय होसबोलेजी का भाषण

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रा. स्व.संघ के सहसरकार्यवाह सर कार्यवाह मा. दत्तात्रेय होसबोलेजी का भाषण

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सांस्कृतिक समन्वय की भूमि

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पूर्वोत्तर भारत को सांस्कृतिक संगम भूमि माना जाता है। सांस्कृतिक वैविध्य और भाषाई वैविध्य इस धरती के निवासियों की अमूल्य धरोहर है। यहां का लोक सांस्कृतिक स्वरुप अदभुत है। पूर्वोत्तर भारत का जो चित्र प्रचार तंत्रो द्वारा प्रस्तुत किया गया है वह आधा-अधूरा और कोहरे में लिपटा हुआ है।

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पूर्वोत्तर का कल्पवृक्ष

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बांस तेजी से बढ़ने एवं फैलने वाली वनस्पति है। कम से कम व्यय में अनेक जीवन उपयोगी चीजों का, तथा गृह सज्जा की अनेक चीजों का निर्माण, बांस से किया जाता है।

अशान्त पूर्वोत्तर और अनजान भारत

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‘मुस्लिम आबादी बढ़ाओ’ इस अभियान को तीव्र बनाते हुए आज असम के ९ जिले मुस्लिम बहुल बने हैं। असम का धुब्री जिला जहां साढे दस हजार मुस्लिम मतदाता हैं, यहां रहनेवाला हिंदू समाज किस प्रकार असुरक्षित और अशांत वातावरण में जीवन बिताता होगा, इसकी हम कल्पना कर सकते हैं।

शंकरदेव की बुद्धिमत्ता

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चूने की डिबिया में ‘हाथी’ भर कर लाना या मगध के मल्ल ‘अजिंक्य’ को ‘परास्त’ कर देना वैष्णव संत शंकर देव के लिए सामान्य सी बात थी। कूचबिहार दरबार की ये दोनों कथाएं रंजक और उपदेशक दोनों हैं।

उ. तिरतसिंह

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कैप्टन लिस्टर पहले राजकीय एजेंट बने। उन्होंने उ.तिरतसिंह को बर्मा में ‘‘सरीम तेना’’ जेल में भेजने का आदेश दिया। बाद में कोलकाता की ब्रिटिश कौंसिल ने निर्णय बदलकर उ.तिरतसिंह को ढ़ाका की जेल में भेजा। वहां एक घर में उन्हें नजरबंद रखा गया। सन १८३४ में उनका देहान्त हुआ।

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