संघ एवं मंदिरों का सेवा कार्य
ये ऐसे लोग हैं जिन्हें मंदिरों में चढ़ावे तो दिखाई पड़ते हैं परन्तु सामाजिक और प्राकृतिक विपदाओं के समय जिस तरह से मंदिरों की ओर से आर्थिक और सामुदायिक सेवा की जाती है वह दिखाई नहीं देती। हमारे यहां मंदिरों को केवल धार्मिक स्थल के रूप में ही नहीं विकसित किया गया है बल्कि वहां नर और नारायण दोनों की सेवा की बातें की जाती हैं।