बदल्यो म्हारा देस
राजस्थान रजवाड़ों, उनके आलीशान महलों, ऐतिहासिक किलों, समृद्ध परम्पराओं और लजीज व्यंजनों के लिए तो प्रसिद्ध है ही; उसकी चित्रकारी, रंग कला, वास्तु कला, संगीत और नृत्य कला भी लाजवाब है ।
राजस्थान रजवाड़ों, उनके आलीशान महलों, ऐतिहासिक किलों, समृद्ध परम्पराओं और लजीज व्यंजनों के लिए तो प्रसिद्ध है ही; उसकी चित्रकारी, रंग कला, वास्तु कला, संगीत और नृत्य कला भी लाजवाब है ।
वर्तमान राजस्थान पूर्व में अनेकों रियासतों में विभक्त था। रियासतों की सुरक्षा हेतु सभी शासकों ने अपने-अपने क्षेत्रों में किलों का निर्माण करवाया। ठीक इसी प्रकार ठिकानेदारों ने भी अपनी आवश्यकता के अनुरूप किलों का निर्माण करवाया था। यहां कुछ मुख्य दुर्गों का विवरण दिया गया है।
हमारा भारत वर्ष सदैव ही आध्यात्म से परिप्ाूर्ण रहा है। विभिन्न मतों-सम्प्रदायों के विभिन्न श्रद्धा स्थान हैं। स्थान-स्थान पर बने मन्दिरों के कारण लोगों की भि क्त आज भी जागृत होती है।
राजस्थान में शौर्य और पराक्रम की परम्परा प्राचीन काल से है। स्वतंत्रता के बाद भी जो चार युद्ध हुए उनमें राजस्थान के श्ाूरमा शौर्य और पराक्रम में सबसे आगे रहे।
बहुत दिनों से समाचार पढ़ते और टी.वी. देखते हुए यह ध्यान में आया कि भारत में एक नयी तरह की बीमारी अपना पैर पसार रही है। यह बीमारी है नेताओं की जुबान फिसलने की।
सामाजिक क्षेत्र में देश में सबसे बड़ा योगदान मारवाड़ी समाज ने ही दिया है। ज्यादातर लोगों का मानना है कि मारवाड़ी समाज के लोग सिर्फ व्यापारउद्योग के क्षेत्र में ही सलग्न हैं, पर ऐसा नहीं है।