स्वामी विवेकानंद कहते हैं ‘इंडिया इज द यूनियन ऑफ दोस हार्ट्स व्हिच बीट् टुगेदर’ अर्थात ‘भारत में ऐसे ह्रदय एकत्रित...
अब सवाल यह उठता है कि क्या भारतीय मूल का इस्लामी नागरिक इस्लामी कट्टर प्रवृत्ति का वारिस बनना चाहता है?...
समाज अपने प्रश्नों को जिस पद्धति से हल करता है, उससे उस समाज के विकास स्तर को जाना जा सकता...
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