प्लास्टिक और ई-कचरे का संकट

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नई-नई खोजों के साथ हमने प्लास्टिक और ई-उपकरणों की शृंखला खड़ी कर दी है; लेकिन इनसे उत्पन्न होने वाले कचरे के संकट का समाधान नहीं खोजा। यदि सृष्टि को बचाना है तो हमें इसका जवाब खोजना ही होगा।

स्वच्छता में निवेश का अर्थशास्त्र

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स्वच्छ भारत मिशन के स्वच्छाग्रह ने राष्ट्र की कल्पना को ठीक उसी तरह आकृष्ट किया है, जिस तरह दशकों पहले महात्मा के सत्याग्रह ने किया होगा। यह तेजी से एक जनांदोलन का रूप ले रहा है। अब हमारी बारी है कि अपना कर्तव्य निभाएं।

शुचिता चिंतन

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अंतरात्मा की प्रेरणा का सबब कही जा सकने वाली स्वच्छ जीवन पद्धतियों का अनुसरण व मार्गदर्शन प्राप्त करने की दिशा में निरंतर प्रयासरत रहना ही सफल मानव जीवन का भाव है। जीवन के हर क्षेत्र में शुचिता के बिना यह संभव नहीं है।

सभी मावल्यांग से सबक लें

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: भारत-बांग्लादेश की सीमा के करीब बसा मेघालय का मावल्यांग गांव भारत ही नहीं, एशिया का सब से स्वच्छ गांव माना जाता है। देश के अन्य गांव भी इससे सबक लें तो गांवों में गंदगी का वर्तमान साम्राज्य ही खत्म होगा और तब भारत स्वच्छ होने में देर नहीं लगेगी।

अभियान में जन भागीदारी आवश्यक

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हम समस्याएं खड़ी करने के विशेषज्ञ हैं; लेकिन उन समस्याओं के प्रभाव के प्रति हमारी स्थिति मूकदर्शक जैसी होती है। मुंबई के साथ ही देश के सभी प्रमुख शहरों में वाहनों की भीड़ से सड़कें तंग हो चली हैं। मिनटों का सफर घंटों में तय होना अब रोजमर्रा की बात हो गई है। विकास के नारों के बीच ज्यादातर नदियां दयनीय और रसायन मिश्रित हो चुकी हैं। देश की सभी नदियां मैला ढोने वाली गटर बन गई हैं। अनेक शहरों में कूड़ों के पहाड़ हो गए हैं जो जहरीली गैस से जनता का जीना बेहाल कर रहे हैं।

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