पर्यावरण, प्रदूषण और बच्चों की स्थिति

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खाद्य प्रदूषण भी विश्‍व के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है। आज खाने-पीने की हर वस्तु प्रदूषित है। रासायनिक प्रभाव प्रत्येक वस्तु पर दिखाई देता है। पेड़ पर लगने वाले फल और सब्जी भी प्रदूषित हैं क्योंकि खाद भी रासायनिक है। वायु में भी जहर है। जल भी प्रदूषित है तथा हथियारों की होड़ तथा आतिशबाजी में किए जा रहे बारूद के कण भी पूरे वातावरण में व्याप्त हैं।

गृहस्थी

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आज तनुज की बेरुखी हार गई थी और घरवालों का प्यार जीत गया था... आखिर जैसा भी है लेकिन मेरे बच्चों का पिता है वो, और गृहस्थी में तो छोटे-मोटे झगड़े चलते ही रहते हैं। इसका मतलब ये तो नहीं न कि हम रिश्तों से पलायन ही कर जाए..

प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना की सफलता

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‘‘गांव में रहने वाली तीन करोड़ से ज्यादा महिलाओं की जिंदगी उज्ज्वला योजना ने हमेशा-हमेशा के लिए बदल दी है। उन्हें सिर्फ गैस कनेक्शन नहीं मिला, उन्हें सुरक्षा मिली है, सेहत मिली है, परिवार के लिए समय मिला है।’’ - प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी

कचरे के ढेरों से बढ़ता प्रदूषण

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शहरी कचरे को ठिकाने लगाने के अवैज्ञानिक तरीकों के कारण शहरों के आसपास कूड़े के पहाड़ के पहाड़ खड़े हो गए हैं। इनसे निकलती लैंडफिल गैसों से जनजीवन ही नहीं, अन्य उपकरण भी संकट में पड़ गए हैं। कचरे से बिजली निर्माण के प्रयोग शैशवावस्था में ही हैं, बहरहाल केंचुओं के माध्यम से औद्योगिक कचरे से खाद निर्माण का प्रयोग सफल हुआ है। ऐसे प्राकृतिक उपाय करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।

नारों से आगे नहीं बढ़ा स्वच्छता अभियान

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हम भारतीय केवल उत्साह, उन्माद और अतिरेक में स्वच्छता के नारे तो लगाते हैं, लेकिन जब व्यावहारिकता की बात आती है तो हमारे सामने दिल्ली के कूड़े के ढेर जैसे हालात होते हैं जहां गंदगी से ज्यादा सियासत प्रबल होती है। तीन साल से जारी स्वच्छ भारत अभियान का यही हाल फिलहाल दिख रहा है।

स्वच्छ भारत: अभियान नहीं, आदत बने

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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भारत स्वच्छ चाहते हैं। आप और हमें भी चाहिए। लेकिन घर के सामने आने वाली कचरा गाड़ी में कचरे की थैली डालने के अलावा और कुछ करने की हमारी इच्छा नहीं होती, न हम कुछ करने को तैयार होते हैं। यदि ऐसा ही रहे तो कैसा होगा भारत स्वच्छ? जनता जब तक आंतरिक मन से कार्योन्मुख नहीं होती तब तक यह सपना अधूरा ही रहेगा।

पर्यावरण के लिए संकल्पित ‘सीईटीपी’

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इस सीईटीपी की कुल क्षमता २७ एमएलडी है (१२ एमएलडी क्षमता का प्लांट १९९७ में स्थापित किया गया है और १५ एमएलडी प्लांट की अतिरिक्त क्षमता २००६ में परिचालित की गई।) यह केंद्र लगातार सभी निर्धारित मानदंडों को लगातार पूरा कर रहा है

भटकाव की राह पर दलित राजनीति

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दलित राजनीति की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है कि दलित आंदोलन जिस आंबेडकरवादी विचारधारा को लेकर चला क्या दलित राजनीति डॉ.आंबेडकर के उन्हीं विचारों और सिद्धांतों के रास्ते पर चली या उसकी दिशा में भटकाव दिखाई देता है? कहीं यह २०१९ के लोकसभा चुनाव में भाजपा को घेरने की रणनीति तो नहीं?

स्वच्छता का महत्व तब और अब

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बात चाहे नदियों के संरक्षण की हो, पर्यावरण की हो अथवा बरसात के पानी से अशुद्धियां निकाल कर जल आपूर्ति की, इन सब में आधुनिक भारत प्राचीन भारत से बहुत कुछ सीख सकता है।

मोदी युग में पर्यावरण संरक्षण

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मोदी सरकार ग्रीन क्लीयरेंस, वनारोपण, स्वछता अभियान एवं गंगा सफाई पर पिछली सरकारों से काफी बेहतर काम कर रही है। औद्योगिकी प्रदूषण का मानकीकरण व उसकी निगरानी पहले से बेहतर हुई है। वर्ष २०१९ तक हर गांव, शहर, कस्बे को साफ रखना, टॉयलेट बनवाना, पीने के पानी की व्यवस्था तथा कचरा निस्तारण की व्यवस्था करना आदि का लक्ष्य रखा है।

हिंदू संस्कृति और पर्यावरण

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हिंदुत्व में हर व्याधि का समाधान दे सकने वाली शक्ति और क्षमता है परंतु इसके लिए पहले हम हिंदुओं को उस जीवन दर्शन के अनुसार जीना होगा। दुनिया का पथ प्रदर्शन करना अतीत में भी हमारा पावन कर्तव्य रहा है और हर परिस्थिति में हमें वही कार्य करना है ताकि निकट भविष्य में विश्‍व पर्यावरण का संकट टाला जा सके।

आधुनिक ऋषि -श्री भिडे गुरुजी

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भिडे गुरुजी महाराष्ट्र में निर्माण हुआ एक अजब रसायन है। अत्यंत तीव्र स्मरण शक्ति, अचंभित करने वाली बुद्धिमत्ता, शरीर में रोमांच पैदा करने वाली वक्तृत्व शक्ति, बला की सादगी एवं ८५ वर्ष की उम्र में भी बारहों माह चौबीसों घंटे चलने वाला अथक प्रवास- इसे क्या नाम दें? केवल आधुनिक ॠषि! राष्ट्रभक्ति, धर्मभक्ति, मातृभक्ति ये आदर्श आने वाली पीढ़ियों में उत्पन्न हो इसलिए ‘श्री शिवप्रतिष्ठान हिंदुस्थान’ के जरिए उनका समाज प्रबोधन-कार्य अतुल्य है।

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