जीएसटी संग्रहण का अप्रेल 2023 माह में उच्चतम स्तर 

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भारत में वित्तीय वर्ष 2023-24 की शुरुआत ही अप्रेल 2023 माह से हुई है एवं नए वित्तीय वर्ष के प्रथम माह में ही अर्थात अप्रेल 2023 माह में वस्तु एवं सेवा कर संग्रहण 187,035 करोड़ रुपए का रहा है और यह एक नए रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया है। पूर्व…

जम्मू एवं कश्मीर भारत में निवेश का नया केंद्र

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ऐसा कहा जाता है कि जम्मू एवं कश्मीर में धारा 370 लागू करना तत्कालीन नेहरू सरकार की सबसे बड़ी राजनैतिक भूल थी, क्योंकि इसके कारण जम्मू एवं कश्मीर के नागरिकों का अत्यधिक नुक्सान हुआ है। दरअसल पूरे देश में  नागरिकों के हितार्थ भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही कई योजनाओं का…

‘धन’ कमाना बुरा नहीं है उसका सदुपयोग करना आना चाहिए

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पैसे की अधिकता के कारण ही कोई मनुष्य श्रेष्ठ नहीं माना जा सकता । "श्रेष्ठ" कार्य ही मनुष्य को "श्रेष्ठ" बना सकते हैं । यदि पैसे ने आज तक किसी को श्रेष्ठ बनाया होता तो संसार के धनवान लोग किसी निर्धन को प्रतिष्ठा पाने ही न देते । वे एक…

रेपो दर वृद्धि को रोकना, रिजर्व बैंक का सही निर्णय

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पिछले एक वर्ष से भी अधिक समय से पूरे विश्व में लगभग सभी देश लगातार बढ़ती मुद्रा स्फीति की दर को नियंत्रित करने के उद्देश्य से ब्याज दरों में वृद्धि करते जा रहे हैं। अभी हाल ही में अमेरिका ने यूएस फेड दर में 25 आधार अंकों की एवं ब्रिटेन…

चीनी अर्थव्यवस्था के गुब्बारे की निकलती हवा

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विशेषज्ञों का मानना है कि चीनी अर्थशास्त्रियों द्वारा किए गए तमाम दावें निराधार हैं। एक तरफ चीन का पक्ष लेने वाले लोग कहते हैं कि आने वाले समय में चीन की अर्थव्यवस्था अमेरिका की तीन चौथाई को पार कर जाएगी, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल कोरी बातें…

भारतीय विकसित देशों की नागरिकता क्यों ले रहे हैं

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केंद्र सरकार ने दिनांक 9 दिसम्बर 2022 को भारतीय संसद को सूचित किया कि वर्ष 2011 से 31 अक्टोबर 2022 तक 16 लाख भारतीयों ने अन्य देशों, विशेष रूप से विकसित देशों, की नागरिकता प्राप्त कर ली है। वर्ष 2022 में 225,000 भारतीयों द्वारा अन्य देशों की नागरिकता ली गई…

बाज़ारवाद के इस दौर में क्या ग्राहक वाकई राजा है?

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आज हम जिस दौर में जी रहे हैं वो है बाज़ारवाद और उपभोक्तावाद का दौर। अब पहला प्रश्न यह कि इसका क्या मतलब हुआ? परिभाषा के हिसाब से यदि इसका अर्थ किया जाए तो वो ये होगा कि आज उपभोक्ता (यानी किसी भी वस्तु का उपयोग करने वाला) ही राजा…

आर्थिक प्रगति में शुचितापूर्ण नीतियां अपनाना जरूरी

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हाल ही के समय में भारत के आर्थिक विकास की दर में बहुत तेजी आती दिखाई दे रही है एवं आगे आने वाले समय में आर्थिक प्रगति की गति और अधिक तेज होने की उम्मीद की जा रही है। किसी भी क्षेत्र में बहुत तेजी से आगे बढ़ने के अपने…

रुपया वैश्विक स्तर पर बन रहा है भुगतान का माध्यम

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भारत में कच्चा तेल, स्वर्ण एवं रक्षा उपकरण जैसे उत्पादों का आयात सबसे अधिक होता है। आज भारत द्वारा सबसे अधिक तेल का आयात रूस से किया जा रहा है जिसका भुगतान रुपए अथवा रूबल में हो रहा है। “आत्मनिर्भर भारत” की घोषणा के बाद से रक्षा उपकरणों को भारत…

राजनीतिज्ञों के भ्रष्टाचार पर लगाम क्यों नहीं?

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राजनीति भी शेष जीवन की भांति, विरोधाभासों से भरी हुई है। दिल्ली और पंजाब में शासित आम आदमी पार्टी ('आप') गांधीवादी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन (वर्ष 2011) से जनित राजनीतिक दल है। किंतु विडंबना देखिए कि उसका शीर्ष नेतृत्व वित्तीय कदाचार और शराब घोटाले में जेल में बंद…

महिलाओं को मिले नेतृत्व के समान अवसर

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हर किसी को पता है कि महिलाओं के उत्थान के बिना समाज और राष्ट्र का उत्थान असम्भव है। लेकिन सामाजिक स्तर पर उनकी प्रगति को लेकर उदासीनता का माहौल है। हालांकि वर्तमान भारत सरकार ने महिलाओं को लेकर कई सारी योजनाएं शुरू की हैं तथा उनके सफल क्रियान्वयन को लेकर…

मुद्रा स्फीति पर अंकुश क्यों जरूरी

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Rising food cost and grocery prices surging costs of supermarket groceries as an inflation financial crisis concept coming out of a paper bag shaped hit by a a finance graph arrow with 3D render elements.
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कोरोना महामारी के बाद से पूरे विश्व में मुद्रा स्फीति बहुत तेजी से बढ़ी है। भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रा स्फीति 7 प्रतिशत के ऊपर एवं थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रा स्फीति 13 प्रतिशत के ऊपर निकल गई थी। कई विकसित देशों में तो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित…

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