लोग भाषा साहित्य संस्कृति

Continue Readingलोग भाषा साहित्य संस्कृति

सभ्यता खान-पान, रहन-सहन जैसी भौतिक चीजों से सम्बंधित है वहीं संस्कृति वस्तुतः जीवन के प्रति दृष्टिकोण है। इस तरह यह धर्म के ज्यादा निकट है। जिस तरह पृथ्वी के अन्दर का तारल्य और हलचल धरती के ऊपर की वनस्पतियों में अभिव्यक्त होती है, उसी तरह मानव के भीतर के आवेग-संवेग उसके व्यवहार में छलकते हैं और यही मनोभाव संस्कृति के उपादान बनते हैं।

केदारखण्ड (गढ़वाल) की सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

Continue Readingकेदारखण्ड (गढ़वाल) की सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

महाराजा प्रद्युम्नशाह के उत्तराधिकारी युवराज सुदर्शन शाह ने अपने खोये हुए राज्य को प्राप्त करने के लिये ईस्ट इण्डिया कम्पनी से सहायता मांगी। अंग्रेजों ने गढ़वाल राज्य के बदले पांच लाख रूपये राजा से मांगे लेकिन राजा के पास इतना धन न होने से आधा गढ़वाल अंग्रेजों को युद्ध के हर्जाने के रूप में देना पड़ा और आधे हिस्से पर सुदर्शन शाह का आधिपत्य हो गया।

गढ़वाली संस्कृति का आईना गढ़वाली लोकगीत

Continue Readingगढ़वाली संस्कृति का आईना गढ़वाली लोकगीत

हमारे लोकगीत समय के सही दस्तावेज हैं। जिस लोक में लोकलाज भी व्याप्त है, वह न ऊंचा देखता है न नीचा। लोक को जो उचित लगता है उस पर गीत तैयार कर इतिहास रच देता है।

गढ़वाल की आंचलिक संस्कृति

Continue Readingगढ़वाल की आंचलिक संस्कृति

मांस-भक्षण करने वाले गढ़वाली कहते हैं कि यह बाणासुर की धरती है इसलिए यहां आसुरी परम्परा है। यह उनकी बुद्धि का भ्रम है जो ॠषि भूमि को अपने अज्ञान से इस प्रकार कलुषित करते हैं। ब्राह्मणों की कितनी ही जातियां है जो मांस खा लेती है और कितनी ही ऐसी भी है जो मांसाहारी नहीं हैं। मद्य के विषय में यह नहीं कहा जा सकता कि इनमें से कोई नहीं पीता या सभी पीते हैं। यह उनकी रूचि पर निर्भर है।

महापुरूषों की उत्तराखंड यात्राएं

Continue Readingमहापुरूषों की उत्तराखंड यात्राएं

हिमालय के इस मध्य भूभाग यानी आज के उत्तराखंड में महत्वपूर्ण हस्तियों की निरंतर यात्राएं होती रही हैं। इनमें साधु-संत, समाज सुधारकों से लेकर स्वतंत्रता संग्राम के नेतृत्वकर्ताओं तक और राजनीति से लेकर साहित्य जगत के दिग्गज तक शामिल हैं।

End of content

No more pages to load