हर शहर में एक उन्मादी भीड़

Continue Readingहर शहर में एक उन्मादी भीड़

  शहर में कितना भीड़-भड़क्का है। हर तरफ भीड़ से भरे हैं हमारे शहर। आजादी की यह सबसे महान उपलब्धि है कि गांव वीरान होते गए और शहर भीड़ से भरते गए। अगर यूपी और बिहार न होते तो मुंबई इतनी ठसाठस नहीं होती। भला हो उन सरकारों का जिन्होंने…

हिंदु उत्सवों पर हमलों का मूल कारण समझना होगा!

Continue Readingहिंदु उत्सवों पर हमलों का मूल कारण समझना होगा!

अहिंसा परमो धर्म, धर्म हिंसा तथैव च। महाभारत के शांतिपर्व की यह पंक्ति गांधी जी की सबसे पसंदीदा और उनके अहिंसा दर्शन का मूल है। इस पंक्ति के प्रथम भाग में अहिंसा को परम धर्म कहा गया है। किंतु यह पूर्ण होती है इसके अगले भाग में। जो स्पष्ट करती…

सुनियोजित हिंसा की नई सुरक्षा चुनौती

Continue Readingसुनियोजित हिंसा की नई सुरक्षा चुनौती

हिंदू धर्म की शोभा यात्राओं पर हमले का क्रम राजधानी दिल्ली तक पहुंच गया । जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती की शोभायात्रा पर भीषण हमला और आगजनी ठीक वैसे ही है जो हम मध्य-प्रदेश के खरगोन से गुजरात के खंभात तक देख चुके हैं । राजस्थान के करौली से लेकर देश…

बांग्लादेश में हिन्दू उत्पीड़न सदियों पुरानी व्यथा-कथा

Continue Readingबांग्लादेश में हिन्दू उत्पीड़न सदियों पुरानी व्यथा-कथा

क्या शिक्षा वाकई कट्टरपंथ की प्रभावी काट है? शायद नहीं। कम से कम बंगाल के मामले में तो ऐसा नहीं लगता है। 19वीं सदी में बंगाल के दो प्रमुख अलगाववादी मुस्लिम संगठनों का गठन हुआ। साल 1863 में मुहम्मडन लिटरेरी सोसायटी और 1877 में सेंट्रल मोहम्मडन एसोसिएशन। इन दोनों को चलाने वाले मुस्लिम अभिजात्य वर्ग के लोग थे।

End of content

No more pages to load