निर्गुण और सगुण में भेद होने के बावजूद ईश्वर एक है

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सुमेर की आशाओं पर पानी फिर गया। वह सोचकर आया था कि भगवान के साथ सेल्फी लेगा। परंतु मंदिर में मोबाइल फोन लेकर जाना मना था। उसने मंदिर कार्यालय में जाकर कोशिश की लेकिन अनुमति नहीं मिली। वह दर्शन करने के बाद अपना सा मुंह लेकर लौट रहा था कि…

ताकि आलोक की साधना हमारा संस्कार बने

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हमारी मान्यता है कि प्रभु श्रीराम लंका विजय के पश्चात् सीता, लक्ष्मण व वानर भालू योद्धाओं के साथ अयोध्या वापस लौटे तो अयोध्यावासियों ने पूरे नगर को दीपों से सजाकर अपनी प्रसन्नता उजागर की. तभी से उस अवसर की स्मृति में प्रतिवर्ष दीप-

सत्यसाई के कर्मयज्ञ का चमत्कार

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पुट्पर्ती के श्री सत्य साईबाबा अपने‡आप में एक चमत्कार थे। उन्होंने जनसेवा को जो विशाल रूप दिया उसकी कोई मिसाल नहीं है। स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्राम विकास, पेयजल आपूर्ति आदि क्षेत्रों में हुआ कार्य चकित करने वाला है। इस सेवा का एकमात्र उद्देश्य केवल जनता कल्याण था।

आज भी राम-फ्रकल्फ के रंग में रंगे हैं सुहास बहुलकर

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वरिष्ठ चित्रकार सुहास बहुलकर से इन दिनों बात करें तो वे चित्रकूट और रामदर्शन-फ्रकल्फ की ही बात करेंगे। हालांकि उनका वह एसाइनमेंट कब का फूरा हो चुका है फर आज भी उनकी मन चित्रकूट और राम मेंं ही रमा हुआ है।

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