जयंती: धनपत राय से बने मुंशी प्रेमचंद्र

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मुंशी प्रेमचंद एक ऐसा नाम जिसे सुनते ही मन में हजारों कहानियां मन में घूमने लगती है, सैकड़ों किताबें याद आने लगती है। एक सफल लेखक, शिक्षक, कुशल वक्ता, संपादक और उपन्यास सम्राट जैसे कई गुणों से भरपूर थे अपने मुंशी जी। उनके लेखन का दौर करीब 1880 से लेकर 1936…

प्रमोद भार्गव को डॉ. सरोजिनी कुलश्रेष्ठ सम्मान

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शिवपुरी। प्रसिद्ध लेखक एवं पत्रकार प्रमोद भार्गव को उपन्यास एवं कहानी लेखन के क्षेत्र में डॉ. सरोजिनी कुलश्रेष्ठ सम्मान दिया जाएगा।मध्यप्रदेश लेखक संघ द्वारा प्रतिवर्ष यह सम्मान ऐसे लेखक को दिया जाता है, जिसने उपन्यास और कहानी लेखन के क्षेत्र में देश में अपनी विशेष पहचान व प्रतिष्ठा बनाकर प्रदेश…

मूर्ख भेड़िया और समझदार पिल्ला

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एक बार की बात है कि एक कुत्ते का पिल्ला अपने मालिक के घर के बाहर धूप में सोया पड़ा था। मालिक का घर जंगल के किनारे पर था। अतः वहां भेड़िया, गीदड़ और लकड़बग्घे जैसे चालाक जानवर आते रहते थे।

स्व-सामर्थ्य की पहचान

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स्वयं पर विश्वास होना यह सबसे बड़ी शक्ति है। अपने सामर्थ्य का आत्मबोध बहुत आवश्यक है। वह यदि नहीं होगा तो किसी आकस्मिक संकट के समय मनुष्य घबरा जाता है। डर के कारण ‘पॅनिक’ हो जाता है। परंतु जो आत्मनिर्भर है वह संकटों से नहीं डरता। उसे स्वयं के सामर्थ्य…

करुणाकंद

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“एक ओर तो मुझे अपराध-बोध हो रहा था कि मैं स्वयं सिद्धि और देव के लिए कुछ नहीं कर पाया; दूसरी ओर मेरा मन कह रहा था- धन्य हो करुणाकंद! आपने सिद्धि को वापस लाकर देव जैसे करोड़ों लोगों की आस्था को टूटने से बचाया है।”

कुत्ता भले हो, पर फंछी भी हैं

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भांप के छल्लों से फूरे रसोईघर में गर्माहट थी। विभिन्न फकवानों की गंध शरीर में समा रही थी। एकदम फवित्रता, उत्साह, हल्कापन महसूस होने लगा। हर सांस एकदम तलुए तक जाकर फिर लौटने लगी। कानों केें किनारे भी किंचित गर्म हो गए। बालों में भी मामूली गीलापन आ गया। थोड़ी भांफ छंटने के बाद रसोइये, अन्य कर्मचारी स्वच्छ, गंभीर और आश्वासक देवदूत जैसे दिखाई देने लगे।

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