11 मार्च 1689 छत्रपति सम्भाजी महाराज का बलिदान

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पिछले दो हजार वर्षों में संसार का स्वरूप बदल गया है । बदलाव केवल शासन करने के तरीके या राजनैतिक सीमाओं में ही नहीं हुआ अपितु परंपरा, संस्कृति, जीवनशैली और सामाजिक स्वरूप में भी हुआ है । किंतु भारत इसमें अपवाद है । असंख्य आघात सहने के बाद भी यदि…

‘हिन्दवी स्वराज्य’ की संकल्पना हो शासन का आधार

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भारतवर्ष जब दासता के मकड़जाल में फंसकर आत्मगौरव से दूर हो गया था, तब शिवाजी महाराज ने ‘हिन्दवी स्वराज्य’ की घोषणा करके भारतीय प्रजा की आत्मचेतना को जगाया। आक्रांताओं के साथ ही तालमेल बिठाकर राजा-महाराज अपनी रियासतें चला रहे थे, तब शिवाजी महाराज ने केवल शासन के सूत्र मुगलों से अपने…

पालखेड़ का ऐतिहासिक संग्राम

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द्वितीय विश्व युद्ध के प्रसिद्ध सेनानायक फील्ड मार्शल मांटगुमरी ने युद्धशास्त्र पर आधारित अपनी पुस्तक ‘ए कन्साइस हिस्ट्री ऑफ़ वारफेयर’ में  विश्व के सात प्रमुख युद्धों की चर्चा की है। इसमें एक युद्ध पालखेड़ का है, जिसमें 27 वर्षीय बाजीराव पेशवा (प्रथम) ने संख्या व शक्ति में अपने से दुगनी…

भारत के प्रथम हिंदू हृदय सम्राट- छत्रपति शिवाजी महाराज

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महाराष्ट्र के ही नहीं अपितु पूरे भारत के महानायक छत्रपति शिवाजी महाराज। एक अत्यंत कुशल महान योद्धा और रणनीतिकार थे। वीर माता जीजाबाई के सुपुत्र वीर शिवाजी महाराज का जन्म ऐसे समय में हुआ था जब महाराष्ट्र ही नहीं अपितु पूरा भारत मुगल आक्रमणकारियों की बर्बरता से आक्रांत हो रहा…

भरतपुर के महाराजा सूरजमल जाट 

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मुगलों के आक्रमण का प्रतिकार करने में उत्तर भारत में जिन राजाओं की प्रमुख भूमिका रही है, उनमें भरतपुर (राजस्थान) के महाराजा सूरजमल जाट का नाम बड़ी श्रद्धा एवं गौरव से लिया जाता है। उनका जन्म 13 फरवरी, 1707 में हुआ था। ये राजा बदनसिंह ‘महेन्द्र’ के दत्तक पुत्र थे।…

तान्हाजी मालुसरे का हिंदवी स्वराज्य के लिए बलिदान

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सिंहगढ़ का नाम आते ही छत्रपति शिवाजी महाराज के वीर सेनानी तान्हाजी मालसुरे की याद आती है। तान्हाजी ने उस दुर्गम कोण्डाणा दुर्ग को जीता, जो ‘वसंत पंचमी’ पर उनके बलिदान का अर्घ्य पाकर ‘सिंहगढ़’ कहलाया। छत्रपति शिवाजी महाराज को एक बार सन्धिस्वरूप 23 किले मुगलों को देने पड़े थे।…

स्वराज्य के प्रतीक हैं छत्रपति शिवाजी महाराज के किले : संदीप माहिंद ‘गुरुजी’

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सूर्या फाउंडेशन के तत्वावधान में स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के अंतर्गत आयोजित ‘श्री शिवछत्रपति दुर्ग दर्शन यात्रा’ पूर्ण, गौरवशाली इतिहास को अपने हृदय में संजोकर लौटे 13 राज्यों के 70 युवा नईदिल्ली। छत्रपति शिवाजी महाराज के किले केवल पर्यटन के स्थल नहीं हैं। ये पवित्र तीर्थ हैं। भारत की स्वाधीनता के लिए…

बुंदेलखंड के महाराजा छत्रसाल बुंदेला

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छत्रसाल का जन्म टीकमगढ़ के कछार कचनई में 4 मई 1649 को चंपत राय और सारंधा के घर हुआ था। वह ओरछा के रुद्र प्रताप सिंह के वंशज थे । छत्रसाल 12 वर्ष के थे जब महोबा के उनके पिता चंपत राय को औरंगजेब के शासनकाल के दौरान मुगलों ने…

भारतीय इतिहास के साथ एक सुनियोजित खिलवाड़

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भारतीय इतिहास की पाठय पुस्तकों में औरंगजेब और शिवाजी महाराज के संघर्ष के पश्चात चुनिन्दा घटनाओं को ही प्राथमिकता से बताया जाता हैं जैसे की नादिर शाह और अहमद शाह अब्दाली द्वारा भारत पर आक्रमण करना, प्लासी की लड़ाई में सिराज-उद-दौलाह की हार और अंग्रेजो का बंगाल पर राज होना…

पुण्यश्लोक मां अहिल्या महान (कविता)

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इस तपोवन मे है बिखरी ज्योती एक तेजवान पुण्यश्लोक जननी है वो नाम अहिल्या है महान अहिल्या अहिल्या अहिल्या अहिल्या महान आशिष है शिवशंभू का करे ईश भी मंत्रोपचार छत्र धरे सर पर स्वयं जेजुरी मल्हार अहिल्या अहिल्या अहिल्या अहिल्या महान नित बरसता पुण्य यहां है नर्मदा मैया महान मालवा…

तपस्वी राजमाता अहिल्याबाई होल्कर

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भारत में जिन महिलाओं का जीवन आदर्श, वीरता, त्याग तथा देशभक्ति के लिए सदा याद किया जाता है, उनमें रानी अहिल्याबाई होल्कर का नाम प्रमुख है। उनका जन्म 31 मई, 1725 को ग्राम छौंदी (अहमदनगर, महाराष्ट्र) में एक साधारण कृषक परिवार में हुआ था। इनके पिता श्री मानकोजी राव शिन्दे…

इस्लाम की आंधी को हिंदूओं ने अपने शौर्य से रोका

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1400 साल पहले अरब से जब इस्लामिक आंधी उठी तो इसने कई राष्ट्रों और कई सभ्यताओं का नामोनिशान मिटा दिया। ईरान से पारसियों का साम्राज्य पर्शिया का नामोनिशान मिटा दिया, इराक के यजीदी दुनिया में अब ढूंढे नहीं मिलते हैं। अफ्रीका से लेकर एशिया तक कितने सभ्यताएं और कितने साम्राज्य…

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