पहचान
‘आख़िर थोइबा ने अपनी मणिपुरी पहचान और विरासत को स्वीकार कर लिया था। प्रशांत को लगा कि उसकी पत्नी लीला भी स्वर्ग में से अपने बेटे का अपनी मणिपुरी पहचान को स्वीकार कर लेना देख कर बेहद प्रसन्न हो रही होगी।”
‘आख़िर थोइबा ने अपनी मणिपुरी पहचान और विरासत को स्वीकार कर लिया था। प्रशांत को लगा कि उसकी पत्नी लीला भी स्वर्ग में से अपने बेटे का अपनी मणिपुरी पहचान को स्वीकार कर लेना देख कर बेहद प्रसन्न हो रही होगी।”
‘रास्ते भर ज्योति के सुद़ृढ़, विश्वासपूर्ण वाक्य कानों में टकराते रहे- ‘मैं नारी को छले जाते रहने की परिपाटी को तोड़, इन्हें सबक सिखाकर ही रहूंगी, भाई साहब! ताकि इन्हें पता चले, झूठ बोलने का नतीजा क्या होता है। लेकिन कहानी यहां थोड़े खत्म होती है....”
उसका नाम था गुलशन। छोटी-सी प्यारी-सी गुड़िया। उम्र कोई 10-11 साल। जैसे गुलशन में फूल महकते हैं और अपनी आभा बिखेरते हैं, वह भी अपने नाम के अनुरूप, अपने गुणों, अपनी योग्यता और अपनी वाणी से अपने घर और आसपास के वातावरण को महकाती रहती थी।
उस चूहे ने चारों ओर देखा। तभी उसे एक सांप नजर आया। सांप ही 'बचाओ-बचाओ' चिल्ला रहा था। सांप के ऊपर एक बड़ा सा पत्थर रखा था।' चूहे को देख कर सांप ने कहा,'चूहा भाई, मुझे आजाद करो। इस पत्थर के नीचे दबा होने के कारण मैं रेंग नहीं पा रहा हूं।'
बात तब की है जब हम बहुत छोटे थे। इतने छोटे कि हमारे मन में भूत-जिन्न, डायन- जोगी आदि अपना स्थाई डेरा जमाए रहते। रात में अकेले उठने में नानी मरती। कभी उल्लू महोदय जोर से चिल्लाते हुए उड़ते तो हमारी घिग्घी बंध् जाती।
चील और लोमड़ी एक चील और लोमड़ी काफी लंबे अर्से से एक अच्छे पड़ोसी की तरह रहते चले आ रहे थे। चील का घोसला पेड़ के ऊपर स्थित था और लोमड़ी की माँद उसी पेड़ के नीचे।.
बाल हृदय चोट खाकर तिलमिलाता हुआ घर पहुंचा था, ‘‘मम्मा, पापा को कहो कितनी भी देर हो जाए, वह मुझे कार से ही स्कूल पहुंचाएं. लड़के मेरा मज़ाक उड़ा रहे थे. वैभव कह रहा था, ‘मेरे घर तो 3 कारें हैं… मेरे पापा 200 रु. कमाते हैं.’’ स्मिता को 200 रु. सुनकर हंसी आ गई कि बच्चों को अभी सौ और हज़ार-लाख की क्या समझ, फिर भी उसका मन कड़वाहट से भर उठा.
राजन बाबू आज ही कनाडा से लौटे हैं। कनाडा में उनका शाकाहारी रेस्टोरेन्ट है। वे रमन के मित्र हैं। इसलिए वे रमन से मिलने रमन के घर पहुँचे परन्तु सन्ध्या ने उन्हें बताया कि वे संन्यास लेकर सिद्धेश्वर मंदिर में ही रहते हैं। अब वे घर नहीं आते। यह सुनकर राजन बाबू सिद्धेश्वर मंदिर की ओर चल दिए। रास्ता चलते हुए वे सोच रहे थे कि ऐसा क्या हुआ होगा, जिसने रमन को संसार और परिवार से विरक्त कर दिया।
कुत्ते के मालिक होते हैं यह तो आपने हमने सबने सुना है। और मालिक के साथ चलते हुये कुत्ते का गरूर देखते ही बनता है। यह जीभ बाहर निकाल कर बेवजह लम्बे समय तक मुंडी हिलाता रहता है।
एक बार की बात है कि एक कुत्ते का पिल्ला अपने मालिक के घर के बाहर धूप में सोया पड़ा था। मालिक का घर जंगल के किनारे पर था। अतः वहां भेड़िया, गीदड़ और लकड़बग्घे जैसे चालाक जानवर आते रहते थे।
एक समय की बात है। कि एक छोटे से गांव में रामू नाम का व्यक्ति रहता था। वह बहुत गरीब था वह अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए वह दिन रात मेहनत करता और उससे जो चार पैसे मिलते वह अपने बच्चों की किताबे व कॉपी लाता और फीस जमा कर देता था ।
एक घने जंगल में एक बड़ा-सा नाग रहता था। वह चिड़ियों के अंडे, मेढ़क तथा छिपकलियों जैसे छोटे-छोटे जीव-जंतुओं को खाकर अपना पेट भरता था।