श्रीराम के दिव्य रूप और कृत्रिम चित्रों में अंतर

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भगवान् श्री रामचन्द्र जी का एआई (AI) निर्मित चित्र न तो वाल्मीकि रामायण न ही रामचरितमानस के अनुकूल दिखाई देता है। AI को इन दोनों ग्रन्थों पर ट्रेन करके यह चित्र बनाया गया, यह दावा भी गलत है। हमारे चित्रकार शास्त्रों के गहन अध्ययन के बाद श्रीभगवान् के अलौकिक दिव्य…

आगम ग्रंथों में राम और उनके चरित्र के चिंतन

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हमारी संस्कृति पेगस ग्रीस की तरह बौद्धिक संस्कृति नहीं है, यह पुराने चीन की तरह नैतिकता की भी संस्कृति नहीं। भारत एक आध्यात्मिक संस्कृति है। इस आध्यात्मिक संस्कृति का प्रस्थान बिन्दु 'साधना' है। इसी साधना का उद्घोष 'अथातो ब्रह्म जिज्ञासा', 'अथातो धर्म जिज्ञासा' तथा 'अथातो शक्ति जिज्ञासा' के माध्यम से…

थाईलैंड में है श्रीराम पुत्र कुश के वंशजों का राज

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भारत के बाहर थाईलैंड में आज भी संवैधानिक रूप में राम राज्य है l वहां भगवान राम के छोटे पुत्र कुश के वंशज राज्य कर रहे हैं , जिन्हें राम कहा जाता है l भगवान राम का संक्षिप्त इतिहास वाल्मीकि रामायण एक धार्मिक ग्रन्थ होने के साथ एक ऐतिहासिक ग्रन्थ…

राम कथा और राष्ट्रीय अस्मिता

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यदि कोई पूछे कि भारतीय संस्कृति की परिभाषा क्या है, तो नि:संकोच कहा जा सकता है कि राम का उदात्त चरित्र ही भारतीयता है। राम कथा का आदि स्त्रोत है वाल्मीकि रामायण।

मानव मात्र के आराध्य दाशरथि राम

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भारत ऋषि-मुनियों का देश है। ऋषियों की प्रज्ञा मानवता के संविधान वेद के मन्त्रों का प्रत्यक्ष दर्शन किया करती थी- ऋषय मंत्रद्रष्टार:। उन ऋषियों ने ही भारतभूमि को देवभूमि, यज्ञभूमि, योगभूमि, त्यागभूमि, आर्यभूमि के रूप में कीर्ति प्रदान की है। इस भूमि में उन्होंने जीवन की सम्पूर्णता के, जीवन के सौन्दर्य के दर्शन किये थे।

संत रविदास की राम-कहानी

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संत रविदास की राम-कहानी कवि देवेन्द्र दीपक की प्रथम औपन्यासिक रचना है। लेकिन इसमें एक अनोखापन है। अधिकतर जीवनियां जिस ढ़ंग से लिखी जातीं हैं, वह उतनी प्रभावी नहीं हो पाती, क्योंकि जीवनी पात्र पाठक से सीधा संवाद स्थापित नहीं कर पाते हैं।

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