स्वामी विवेकानन्द जी की राष्ट्रीय प्रेरणा

Continue Readingस्वामी विवेकानन्द जी की राष्ट्रीय प्रेरणा

सन १८६३ के प्रारंभ में, १२ जनवरी को स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ हैं. उस समय देश की परिस्थिति कैसी थी? १८५७ के क्रन्तियुध्द की ज्वालाएं बुझ रही थी. यह युध्द छापामार शैली में लगभग १८५९ तक चला. अर्थात स्वामी विवेकानंद के जन्म के लगभग ४ वर्ष पहले तक. इस…

समाचारपत्रों को बनाया वेदांत के प्रसार का माध्यम

Continue Readingसमाचारपत्रों को बनाया वेदांत के प्रसार का माध्यम

माँ भगवती की कृपा से स्वामी विवेकानंद सिद्ध संचारक थे। उनके विचारों को सुनने के लिए भारत से लेकर अमेरिका तक लोग लालायित रहते थे। लेकिन हिन्दू धर्म के सर्वसमावेशी विचार को लेकर स्वामीजी कहाँ तक जा सकते थे? मनुष्य देह की एक मर्यादा है। भारत का विचार अपने वास्तविक…

स्वामी विवेकानंद भारत की महत्ता एवं एकता के पोषक

Continue Readingस्वामी विवेकानंद भारत की महत्ता एवं एकता के पोषक

स्वामी विवेकानन्द जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकत्ता में हुआ था। आपका बचपन का नाम श्री नरेंद्र नाथ दत्त था। बचपन से ही आपका झुकाव आध्यात्म की ओर था। आपने श्री रामकृष्ण परमहंस से दीक्षा ली थी एवं अपने गुरु जी से बहुत अधिक प्रभावित थे। आपने बचपन में…

सच्चे प्रेम में स्वार्थ नहीं होता

Continue Readingसच्चे प्रेम में स्वार्थ नहीं होता

श्री रामकृष्ण परमहंस नरेंद्र के प्रति बहुत अनुराग रखते थे। जब कई दिन तक नरेंद्र नहीं आते तो स्वामीजी स्वयं उन्हें बुलवा लेते थे। नरेंद्र नहीं चाहते थे कि स्वामीजी उनके साथ इतने ज्यादा जुड़ जाएँ कि फिर उन्हें ईश्वर की साधना में बाधा आए और उनके हृदय को कष्ट…

स्वामी विवेकानन्द की राष्ट्रीय प्रेरणा

Continue Readingस्वामी विवेकानन्द की राष्ट्रीय प्रेरणा

सन 1863 के प्रारम्भ में, 14 जनवरी को स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ। उस समय देश की परिस्थिति कैसी थी? 1857 की क्रान्ति की ज्वालाएं बुझ रही थीं। यह युद्ध छापामार शैली में लगभग 1859 तक चला।

कितने दूर कितने फास

Continue Readingकितने दूर कितने फास

स्वामी विवेकानंद तथा डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के विचारदर्शन फर मुंबई में एक कार्यशाला का आयोजन करने का जब निर्णय हुआ, तब अनेक कार्यकर्ताओं ने तरह-तरह की आशंकाएं उफस्थित कीं।

दु:ख मुक्ति: तथागत, विवेकानन्द और बोधिसत्व

Continue Readingदु:ख मुक्ति: तथागत, विवेकानन्द और बोधिसत्व

हमारे देश में एक महान व्यक्ति, भगवान गौतम बुद्ध हुए थे। उनका कार्य इतना महान एवं बड़ा था कि उन्हें ईश्वर का अवतार माना जाता है। आश्चर्य की बात यह है कि स्वयं भगवान गौतम बुद्ध ने ईश्वर के अस्तित्व को अस्वीकार किया है।

End of content

No more pages to load