हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result

गुजरात चुनाव भाजपा जीती, पर

by कृष्ण्मोहन झा
in जनवरी २०१८, राजनीति
0

भारतीय जनता पार्टी इस बार गुजरात विधान सभा के चुनावों में अपनी सफलता पर खुशी से फूली नहीं समा रही है. १८२ सदस्यीय विधान सभा की ९९ सीटों पर उसने जो जीत हासिल की है उस पर पार्टी को जश्न मनाने का भी पूरा हक है; क्योंकि २२ सालों तक सत्तारूढ़ रहने के बाद अगर किसी पार्टी को फिर पांच सालों तक की बागड़ोर संभालने का जनादेश प्राप्त हो जाए तो यह निश्चित रूप से उस पार्टी के लिए गर्व का विषय है.

भारतीय जनता पार्टी को इस समय उसके १५० सीटों के दावे से कम सीटें मिलीं. यही नहीं, पिछले सदन में उसकी शक्ति से उसे अब मिलीं सीटें १६ से कम हैं. कांग्रेसाध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनावों में अपनी पार्टी के परिणामों पर कोई निराशा व्यक्त नहीं की है. गुजरात में राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी के चुनाव अभियान की बागड़ोर कस कर अपने हाथों में थाम रखी थी. पार्टी के पक्ष में सामाजिक राजनीतिक समीकरण बैठाने के लिए रणनीति निर्धारित करने में उन्हीं की भूमिका प्रमुख रही इसलिए गुजरात विधान सभा चुनावों में कांग्रेस को इस बार पिछले चुनावों से १६ अधिक सीटें जीतने का श्रेय भी मुख्य रूप से उन्हें ही दिया जा रहा है. इस तरह कांग्रेस के नए अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी की स्वीकार्यता जनता के बीच ब़ढ़ना भाजपा के लिए चिंता का विषय हो सकता है.
दरअसल गुजरात विधान सभा के इन चुनावों में कांग्रेस पार्टी की टक्कर भारतीय जनता पार्टी से नहीं बल्कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की करिश्माई लोकप्रियता एवं भाजपाध्यक्ष अमित शाह के रणनीतिक कौशल से थी जिसका लाभ सत्तारूढ़ भाजपा को मिलना ही था. इसके अलावा केन्द्रीय मंत्रिमण्डल के अधिकांश मंत्री, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों, सांसदों, विधायकों ने भी अपनी उपस्थिति से भाजपा को विजयी बनाने में यथासंभव योगदान किया. भाजपा की इस विशाल फौज का मुकाबला करने के लिए राहुल गांधी के नेतृत्व में वह कांग्रेस पार्टी चुनावी रणभूमि में खड़ी थी जिसका संगठनात्मक ढांचा इतना कमजोर था कि उसके अधिकांश दिग्गजों को चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ा. कांग्रेस को पाटीदार समाज के नेता हार्दिक पटेल तथा दलित और ओबीसी नेता द्वय अल्पेश ठाकोर तथा जिग्नेश मेवाणी को साधने में सफलता जरूर मिली परंतु इस तिकड़ी में वह क्षमता नहीं थी कि वह कांग्रेस पार्टी को सत्ता की दहलीज तक पहुंचाने में सफल हो पाती. प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में मणिशंकर अय्यर की अमर्यादित टिप्पणी, कपिल सिब्बल द्वारा अयोध्या मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में २०१९ के लोकसभा चुनावों के बाद प्रारंभ करने के लिए पेश की दलीलें, मणिशंकर अय्यर का काफी समय पूर्व किया गया पाकिस्तान प्रवास एवं अय्यर के घर पर ही पाकिस्तान राजनयिकों के साथ पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी एवं सेनाध्यक्ष दीपक कपूर की सौजन्य मुलाकात को प्रधान मंत्री मोदी ने इस तरह चुनावी मुद्दा बनाया कि कांग्रेस बचाव की मुद्रा अपनाने के लिए विवश हो गई. शायद यही वजह थी कि भाजपा को चुनावों में पहले चरण के मतदान की तुलना में दूसरे चरण के मतदान में कहीं अधिक सफलता मिली.
गुजरात विधान सभा के इन चुनावों के परिणामों की घोषणा के पश्चात भारतीय जनता पार्टी जिस तरह खुशी से फूली नहीं समा रही है वह खुशी दरअसल इस बात की है कि गुजरात में पिछले चुनाव की तुलना में इस बार १६ सीटों का घाटा सहने के बावजूद वह सत्ता बचाने में कामयाब हो गई. परंतु भाजपा इस हकीकत से कैसे इंकार कर सकती है कि उसने पिछले तीन विधान सभा चुनाव मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जीते थे जबकि इन चुनावों में पार्टी के प्रचार अभियान की बागडोर प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों में थी. भाजपाध्यक्ष अमित शाह के रणनीतिक कौशल और प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की करिश्माई लोकप्रियता के बल पर तो इस चुनाव में भाजपा को सचमुच ही १५० सीटों पर अपनी जीत का लक्ष्य अर्जित करने में समर्थ होना चाहिए था परंतु वह ९९ पर ही सिमट गई . मोदी और शाह के कद का कोई नेता कांग्रेस के पास न होने तथा भाजपा जैसा मजबूत संगठनात्मक ढांचा न होने के बावजूद अगर कांग्रेस पिछले चुनाव से १६ सीटें अधिक जीतने में कामयाब हो गई है तो उसकी खुशी भाजपा से द्विगुणित होना स्वाभाविक ही मानी जा सकती है.
यहां यह भी विशेष गौर करने लायक बात है कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने गुजरात के चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद यह गर्वोक्ति करने से परहेज किया कि अब देश कांग्रेस मुक्त भारत बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर हो रहा है. गुजरात में कांग्रेस अब एक सशक्त विपक्षी पार्टी की भूमिका में आ चुकी है और अपने बेहतर प्रदर्शन ने उसे केवल संजीवनी ही प्रदान नहीं की है बल्कि एक नए उत्साह और का संचार भी उसके अंदर कर दिया है. यह कहना गलत नहीं होगा कि यह साल उसे नयी उम्मीदें, नया उत्साह और नई उमंग देकर विदाई ले रहा है. अगले साल देश के उन राज्यों की विधान सभाओं के चुनाव में जहां भाजपा शानदार बहुमत के साथ सत्तारूढ़ है कांग्रेस को उसकी नई उम्मीद, नया उत्साह कितना लाभ पहुंचाता है यह काफी कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि कांग्रेसाध्यक्ष राहुल गांधी कांग्रेस संगठन को मजबूत करने के लिए कौन से प्रभावी कदम उठाते हैं. उनकी नेतृत्व क्षमता अगर अगले साल होने वाले विधान सभा चुनावों में और निखर कर सामने आती है तो उसका लाभ २०१९ में होने वाले लोकसभा चुनावों में पार्टी को मिलना तय है. कांग्रेस के कुछ नेता अभी से अति उत्साह में आकर राहुल गांधी को भावी प्रधान मंत्री बताने लगे हैं. व्यक्ति पूजा की यही मानसिकता पार्टी को वर्तमान स्थिति तक लाने के लिए जिम्मेदार है. अगर पार्टी को अपना खोया जनाधार पुन: प्राप्त करना है तो व्यक्ति पूजा की मानसिकता का परित्याग करके पार्टी को मजबूत करने के प्रयासों में जुटने की आज कहीं अधिक आवश्यकता है.
राहुल गांधी ने गुजरात के चुनाव परिणामों को भाजपा के लिए खतरे की घंटी बताते हुए यह संकेत दे दिए हैं कि वे राज्य में कांग्रेस के प्रदर्शन से निराश नहीं हैं. राहुल गांधी ने आगे भाजपा पर और तीखे प्रहार करने के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार कर लिया है. जिस तरह से गुजरात चुनावों में उनकी स्वीकार्यता बढ़ी है उसी के अनुरूप उनका मनोबल भी और बढ़ा दिखाई देने लगा है. राहुल गांधी का यह बढ़ा हुआ मनोबल पार्टी के उन कार्यकर्ताओं का मनोबल उठाने में महत्वपूर्ण कारक सिद्ध हो सकता है जो एक-एक करके अधिकांश राज्यों में पार्टी के हाथ से सत्ता की बागड़ोर छिन जाने से हताशा की स्थिति मेें पहुंच चुके थे. यह कहना तो अभी जल्दबाजी होगा कि राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस और भाजपा के बीच बराबरी के मुकाबले की स्थिति बन चुकी है परंतु इतना अवश्य कहा जा सकता है कि राहुल गांधी पूरे उत्साह के साथ राजनीति में वापसी करने में सफल हो गए हैं.

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: hindi vivekhindi vivek magazinepolitics as usualpolitics dailypolitics lifepolitics nationpolitics newspolitics nowpolitics today

कृष्ण्मोहन झा

Next Post

बिगड़ रही है नदियों की सेहत

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0