कृषि कानून को लेकर किसान अपना आंदोलन हर तरह से कठिन करते जा रहे है और इस जिद पर है कि सरकार कानून वापस ले जबकि सरकार की तरह से कानून में बदलाव का प्रस्ताव दिया गया है और बातचीत के लिए भी रास्ता खुला रखा गया है लेकिन किसी एक मानसिकता से प्रेरित यह किसान कानून वापस लेने की जिद के साथ धरने पर बैठे हुए है। किसान संगठनों की तरफ से सोमवार को भूख हड़ताल की जा रही है हालांकि यह एक दिन की ही भूख हड़ताल होगी जो सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे के लिए है।
किसान संगठन अब दिल्ली आने वाले सभी रास्तों को बंद करने की तैयारी कर रहे है। संगठनों की तरफ से यह ऐलान किया गया है कि अगर सरकार उनकी बात नहीं मानती है तो वह दिल्ली आने वाले सभी रास्तों को बंद कर देंगे। दिल्ली जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग को भी बंद करने की कोशिश की जा रही है हालांकि पुलिस बल शक्ति से इनसे निपट रहा है। आंदोलन को मजबूत करने के लिए सोमवार से सभी जिला मुख्यालयों पर भी धरना प्रदर्शन शुरु किया जायेगा।
सोमवार से शुरु हुआ किसानों का भूख हड़ताल सिर्फ सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए किया जा रहा है हालांकि इससे पहले सोशल मीडिया पर कई वीडियो और तस्वीरें वायरल हो रही थी जिसमें किसानों को मिठाई और पीज्जा बांटे जा रहे थे तब यह सवाल उठा था कि आखिर यह कैसा आंदोलन है जहां पिज्जा खाकर सरकार का विरोध किया जा रहा है क्योंकि इससे पहले ऐसा हाईटेक किसान विरोध प्रदर्शन देखने को नहीं मिला था।
किसानों की तरफ से बार बार यह सफाई दी जा रही है कि यह सिर्फ एक किसान आंदोलन है लेकिन पिछले दरवाज़े से राजनीतिक दल इस आंदोलन की आग में अपनी भी रोटी सेंकने में लगे हुए है। तमाम विपक्षी दल किसानों को समर्थन देने की बात कह रहे है और उनके सपोर्ट में आँदोलन को और भी आगे बढ़ा रहे है जिससे उन्हे भी आंदोलन का फायदा मिल सके और वह सरकार के खिलाफ आवाज़ उठा सके। विपक्षी दलों के पास सीधे तौर पर सरकार पर हमला करने का कोई भी अवसर नहीं है क्योंकि मोदी सरकार की तरफ से करीब 6 सालों में एक भी घोटाले की खबर नहीं सुनायी पड़ी है जिससे विपक्षी दल सरकार का सीधे तौर पर विरोध नहीं कर पा रहे है।
सोमवार को कांग्रेस और आम आदमी पार्टी आंदोलन को कैप्चर करती नजर आयी। दोनों ही राजनीतिक दलों अपना अपना स्टेज बांध दिया और किसानों के समर्थन में उतर गये। अपने अनशन के लिए मशहूर केजरीवाल ने भी किसानों के साथ भूख हड़ताल पर बैठने का ऐलान कर दिया है। केजरीवाल को इससे पहले भी अनशन के लिए जाना जाता है। संभू बार्डर के पास कांग्रेस ने भी अपना वीवीआईपी स्टेज तैयार कर लिया और सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरु कर दिया है। किसानों की तरफ से बार बार यह मांग की जा रही है कि सरकार कृषि बिल वापस ले ले जबकि कई दौर की बैठक बाद सरकार ने सिर्फ बिल में कुछ संशोधन करने की बात कही है। सरकार की तरफ से यह कहा गया है कि सिर्फ चंद लोगों के विरोध की वजह से देश के करोड़ो किसानों का नुकसान नहीं किया जा सकता है।