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हर दिल में नमो नमः  नमो का बोलबाला

हर दिल में नमो नमः नमो का बोलबाला

by गंगाधर ढोबले
in मार्च-२०१४, राजनीति
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इन पंक्तियों को जब आप पढ़ रहे होंगे तब लोकसभा चुनाव की धमाचौकड़ी शुरू हो चुकी होगी। चुनावी हथकण्डे, वार-पलटवार, भितरघात की चौसर बिछाई जा रही होंगी। यह तो राजनीतिक दलों, उनके नेताओं और कार्यकर्ताओं की अंदरुनी बात होगी, लेकिन उसके बाहर सब का राजा ‘मतदाता’ बैठा हुआ है और उसकी इन घटनाओं पर पैनी नजर होगी। उसके मन में यह स्वाभाविक प्रश्न उभरेगा कि आखिर कौन? नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल या अन्य कोई? किसके पक्ष में वह वजन रखें? और क्यों?

इस बार के चुनाव का चित्र जितना स्पष्ट है उतना शायद पहले किसी चुनाव में नहीं था। स्पष्ट इसलिए कि दो प्रमुख दलों के नेता सीधे आमने-सामने हैं। भाजपा ने नरेंद्र मोदी (नमो) को प्रधान मंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है तो कांग्रेस ने राहुल गांधी को आगे बढ़ाया है। आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल की दिल्ली फतह के बाद दोनों प्रमुख दलों ने उन्हें तवज्जो देना शुरू कर दिया है। दोनों पार्टियों के लिए केजरीवाल ‘दाल भात में मूसरचंद’ हैं। इसलिए कोई मुगालते में नहीं रहना चाहता। अपने प्रतिद्वंद्वी के वोट केजरीवाल के जरिए कैसे कटवाए यही तिकड़म होने वाली है। इनके अलावा कथित तीसरे मोर्चे का राष्ट्रीय स्तर पर कोई नामलेवा भी नहीं है। अन्य क्षेत्रीय दल हैं, जो सत्ता के समीकरण के समय काम आ सकते हैं।

इस तरह दो ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस तथा उनके नेता नरेंद्र मोदी व राहुल गांधी राष्ट्रीय स्तर पर मैदान में दिखाई देते हैं। अन्य किसी की चर्चा ही निरर्थक होगी। कौन इस प्रश्न के उत्तर के लिए सामान्य सी मात्र दो कसौटियां ही लगाइये। पहली कसौटी पार्टी की। पिछले साठ से अधिक वर्षों में कांग्रेस सिमटती गई और भाजपा का उत्तरोत्तर विकास होता गया। जनता भाजपा के अधिकाधिक निकट आती गई; क्योंकि कांग्रेस के कुशासन से वह तंग आ चुकी है। भाजपा शासित राज्यों में सुशासन के कारण ही उसका विस्तार होता गया। दूसरी कसौटी वर्तमान नेतृत्व की। नरेंद्र मोदी परिपक्व राजनेता हैं, लेकिन राहुल गांधी अधकचरे नेता। अब कौन इस प्रश्न का उत्तर स्वयंमेव आ जाएगा- मोदी ही और केवल मोदी ही! कुछ प्रश्नों के उत्तर सब को मालूम होते हैं। यह प्रश्न भी ऐसा ही है। मोदी या भाजपा विरोधी पार्टियां या नेता दलगत आधार पर सार्वजनिक रूप से कुछ भी कहें लेकिन सब को यह पता है कि मोदी ही दांव जीतने वाले हैं। उन्हें भी जनता में हो रहे बदलाव का आभास है। चुनाव-पूर्व हुए सर्वेक्षण में यह बात उजागर हो चुकी है।

अब इस पार्श्वभूमि में विचार करें तो नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व के आगे सब फीके दिखाई पड़ते हैं। दूरदृष्टि, प्रभावशाली वक्तृत्व, विकास की ठोस रूपरेखा, गुजरात में उनका प्रत्यक्ष कार्य, प्रशासन पर मजबूत पकड़, सामाजिक जीवन का प्रदीर्घ अनुभव, देश के प्रति बेलाग निष्ठा, कार्य के प्रति पूरा समर्पण, फौलादी इरादें, स्पष्ट दृष्टिकोण और उसके अनुसार कृति और सब से बड़ी बात स्वच्छ चरित्र जैसे नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व के अनुकरणीय पहलू हैं। इस आधार पर राहुल गांधी या केजरीवाल, मोदी के मुकाबले बौने ही नहीं, बचकाने ही मालूम होंगे। इसलिए मोदी ने देश के समक्ष भविष्य के भारत की जो रूपरेखा पेश की है वह निश्चित रूप से आकर्षण का विषय है।

आइये देखें मोदी ने किस तरह देश के समक्ष अपना विचार मंथन रखा है-

चाय पे चर्चा

नरेंद्र मोदी व भाजपा के प्रचार कार्यक्रमों पर गौर करें तो दिखाई देगा कि यह सारी कोशिश समाज के आखिरी घटक तक पहुंचने की है। उन्हें सतर्क और जागरुक करने की है, ताकि वे किसी भुलावे में न आए। ‘चाय पे चर्चा’ इसी तरह का कार्यक्रम है। फरवरी में ही इस कार्यक्रम की शुरुआत हुई। ‘चाय पे चर्चा’ मोदी का चहेता कार्यक्रम है। (याद रहे कि मोदी चाय वाले के बेटे हैं और खुद भी दुकान पर चाय देते रहे हैं तथा इसका उन्हें गर्व भी है)। उनका आम आदमी से सीधा वास्ता रहा है और उनकी समस्याओं को वे बखूबी जानते हैं। गांवों में चाय की छोटी-छोटी दुकानें चौपाल का काम करती हैं। वहां गरमागरम राजनीतिक बहसें होती हैं। वहां जाकर मोदी लोगों से वार्तालाप करेंगे। उनकी बात सुनेंगे, अपनी बात कहेंगे। देश में किसी शीर्ष नेता ने इस तरह आम आदमी से सीधा संवाद स्थापित नहीं किया होगा। यह हमारे जीवंत लोकतंत्र का एक अनोखा उदाहरण है।

                                           मोदी ट्विट

सोशल साइट्स जो संदेश घूम रहे हैं वे जन भावनाओं को उजागर करते हैं। कुछेक देखिए-
* फिर से सोने की चिड़िया बनाना है, तो हिंदुस्तान को मोदीमय बनाना होगा।
* मोदी जी की निकली सवारी
उड़ गए सारे भ्रष्टाचारी
* सागर की लहरों में भी मोदी वेव है लहराए
इसकी शीतलता में भी मोदी वेव है लहराए
* नमो का विजन
मेरे सपोर्ट का रीजन
साबरमती को साफ किया
अब गंगा, यमुना की बारी

विकास माडल

उन्होंने देश के समक्ष विकास का माडल रखा है। इसे वे ‘ब्रांड इंडिया’ कहते हैं। इसका लक्ष्य देश को विकास के पथ पर लाकर सम्पन्न बनाना है। बुलेट ट्रेन, सौ शहरों और उपनगरों का विकास, आईएमएस, आईटीआई और एम्स जैसे शीर्ष अस्पतालों की हर राज्य में स्थापना आदि उनकी विकास अवधारणा के अंग हैं।

विकास के लिए उन्होंने पांच-टी का मंत्र दिया है। ये पांच-टी हैं- टैलेंट, ट्रेडिशन, टुरिजम, ट्रेड और टेक्नालॉजी। हमारे देश में ज्ञान की कोई कमी नहीं है, खास कर युवकों में। उनकी प्रतिभा का उपयोग कर और उनके कौशल को बढ़ाकर हम विकास की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। हमारे परम्परागत मूल्यों और समृद्ध संस्कृति ने हमें एकात्म भाव से काम करने की सीख दी है। गुजरात के विकास का माडल सारे देश के विकास का माडल हो सकता है।

इंद्रधनुषी मंत्र

भारत समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और विशाल प्राकृतिक सम्पदा से सम्पन्न है। भारत ने हमेशा चुनौतियों पर विजय पाई है और अपनी सशक्त पहचान बनाई है। भारत ने विश्व को मातृशक्ति और उसकी मानवी जीवन में उपादेयता की पहचान कराई है। पारिवारिक प्रणाली और संस्कृति के मूल्यों की रक्षा में मातृशक्ति का अतुलनीय योगदान है। इसके लिए उनका ‘इंद्रधनुषी मंत्र’ है। इंद्रधनुष्य के सातों रंगों का अर्थ भी उन्होंने स्पष्ट किया है। पहला रंग है परिवार प्रणाली, जिससे न केवल हमारा संरक्षण होता है, अपितु प्रगति भी होती है। दूसरा रंग है हमारे गांव, तीसरा रंग है मातृशक्ति, चौथा रंग है हमारे जलस्रोत, वन, भूमि एवं पर्यावरण, पांचवां रंग है हमारी युवा शक्ति, छठा लोकतंत्र और सातवां रंग ज्ञान।

युवा नीति

उन्होंने 21वीं सदी में कुशल युवा शक्ति के महत्व को रेखांकित किया है। देश में 35 वर्ष तक उम्र के 65 प्रतिशत लोग हैं। यह युवा शक्ति देश को नई ऊंचाई पर ले जा सकती है। वे चाहते हैं, युवाओं को विकास के अवसर उपलब्ध कराए जाएं, उनकी प्रतिभा को विकसित किया जाए, उन्हें सही दिशा दी जाए, उन्हें विश्व स्पर्धा के लिए तैयार किया जाए। उन्हें ऐसे अवसर उपलब्ध कराए जाए कि वे स्वयं अपना विकास कर सकें। इससे परिवर्तन आएगा। वे गरीबी की बेड़ियों तोड़ सकेंगे और अपनी प्रगति और सम्पन्नता की इबारत लिख सकेंगे।

पर्यावरण

वाराणसी की शंखनाद रैली में मोदी ने कहा, “गुजरात आइये और साबरमती नदी को देखिए। यदि साबरमती गुजरात के जीवन में परिवर्तन ला सकती है तो गंगा देश के जीवन में परिवर्तन क्यों नहीं ला सकती।” हमारा कर्तव्य है कि देश के पर्यावरण की हम रक्षा करें। प्राकृतिक संसाधनों, धरोहरों और देश के राष्ट्रीय स्मारकों की रक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।

सब के लिए न्याय

केवल भौतिक विकास तक वे सीमित नहीं हैं। उन्होंने ‘सत्यमेव जयते’ और ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ को भी अपनी अवधारणा में शामिल किया है। वे ऐसा भारत बनाना चाहते हैं जहां सत्य और अहिंसा सर्वोपरि हो, सभी धर्म-पंथों के प्रति समान न्याय हो, हर व्यक्ति एक परिवार की तरह शांतिपूर्वक और सौहार्द्रपूर्ण जीवन जिये, सम्पन्नता व खुशियां सर्वदूर हो, गरीब की सेवा ही ईश्वर की सेवा हो, महिलाओं का सम्मान हो और हमारी मातृभूमि स्वर्ग से भी बेहतर हो।

इंडिया फर्स्ट

इसके लिए उनका मंत्र है ‘इंडिया फर्स्ट’। उनकी राय में धर्म और विचारधाराओं के मुकाबले देश सर्वोपरि है। उनका लक्ष्य देश की 125 करोड़ जनता की भलाई है। देश विभिन्न समस्याओं से जूझ रहा है और विकास ही एकमात्र आशा की किरण है। यह समय की मांग है कि सब मिलजुलकर विकास की दिशा में आगे बढ़े और देश को सुनहरा भविष्य दें। उनका कहना है कि सरकार का एक ही मजहब होता है और वह है सर्वोपरि भारत- इंडिया फर्स्ट!

                                            नमो मंत्र

* किसी ने पूछा, मेरे सपनों का भारत कैसा हो। मैंने कहा, मेरे सपनों में भारत का मन, मंदिर हो और तन, लोहा हो। -मोदी
* ये देश गरीब नहीं है- ये देश अमीर है- लोग भी अमीर बन सकते हैं- हमें 2014 में इसी बात की लड़ाई लड़नी है। -मोदी
* पूरे हिंदुस्तान की दशा और दिशा बदल सकती है। मैं वादा करता हूं कि श्वेत क्रांति के तहत मैं यह बदलाव लाऊंगा – मोदी
* शासक को आपने 60 वर्ष दिए, सेवक (मुझे) को आप 60 माह दीजिए। आपको सुखमय और शांतिपूर्ण जीवन देने का वादा करता हूं।- मोदी

वोट फॉर इंडिया

मोदी का एक और मंत्र है- वोट फॉर इंडिया। वे कहते हैं, किसी दल, समूह, व्यक्ति के लिए नहीं, देश के लिए वोट दें। सही चुनाव करें। भाजपा में हम लोग सिर्फ देश का ही विचार करते हैं। जनता के दुःख में दुःखी होते हैं, जनता के सुख में सुखी। यदि भाजपा जैसा सशक्त संगठन और उसका सक्षम नेतृत्व नहीं होता तो ‘मेरे जैसा ट्रेन पर चाय बेचने वाला साधारण सा लड़का इतनी ऊंचाइयों पर नहीं पहुंच सकता।’ हमारा (भाजपा) एक ही मजहब है और वह है सर्वोपरि भारत। हमारा एक ही धर्मग्रंथ है, वह है भारतीय संविधान, हम एक ही बात की अर्चना करते हैं और वह है भारत।

मोदी भारत को भ्रष्टाचार, घोटाले और आतंकवाद से मुक्त और विकसित बनाना चाहते हैं। हर भारतीय का यही सपना है और इस सपने को पूरा करने के उनके फौलादी इरादें लोगों को उनकी ओर आकर्षित करते हैं। फिल्मों के ‘दबंग’ सलमान खान की राजनीतिक ‘दबंग’ मोदी व गुजरात की प्रशंशा इसका उदाहरण है।

नमो ब्रांड

नरेंद्र मोदी (नमो) राजनीतिक क्षेत्र में एक ब्रांड (नाम सम्पदा) बन गए हैं। बिहार और झारखंड में तो उनके चहेतों ने अपनी दुकानों तक को ‘नमो’ नाम दे दिया है। सूरत के कपड़ा व्यापारियों ने अपने कपड़ों को ‘नमो’ लेबल लगा दिया है। साड़ियों पर ‘नमो मंत्र’ छपा है, जिसमें संदेश है ‘मोदी लाओ, देश बचाओ।’ अहमदाबाद के बर्तन निर्माताओं ने तो अपने बर्तनों को ‘नमोमय’ कर दिया है। इसके अलावा शर्ट, रुमाल, स्कार्फ, बैग भी ‘नमो’ नाम से बाजार में आ गए हैं। किसी राजनीतिक नेता का इस तरह सर्वमय होना पहली बार दिखाई दे रहा है।

विश्व नेताओं में स्थान

उनके व्यक्तित्व का ही प्रभाव है कि उन्हें ब्रिटेन के ‘टाइम्स’ समाचार-पत्र ने विश्व के सर्वश्रेष्ठ 30 व्यक्तियों की सूची में 7वें क्रमांक पर रखा है। विश्व के 13 देशों में यह सर्वेक्षण किया गया। इस सूची में माइक्रोसाफ्ट के बिल गेट पहले नम्बर पर हैं। पहले दस लोगों में जिन चार भारतीयों के नाम हैं उनमें मोदी के अलावा क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंडुलकर, पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम और उद्योगपति रतन टाटा शामिल हैं। अन्य विशिष्ट व्यक्तियों में हैं अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतीन, पोप फ्रांसिस, दलाई लामा, वारेन बफे, महारानी एलिजाबेथ आदि।

मोदी के इन विचारों से उनके मन में भविष्य के भारत एक तस्वीर उभरती है। भारत की इस छवि में सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक क्षेत्र में एक सम्पन्न व शक्तिशाली भारत दिखाई देता है। हर कोई ऐसा भारत चाहता है, इसलिए मोदी की दो घोषणाएं जनता के दिल को छू जाती हैं। इससे देश में एक वैचारिक चहल-पहल है। वादे लोग बहुत देख चुके हैं, अब इरादें देखना चाहते हैं। जनभावना यही है। इससे मोदी ‘गेम चेंजर’ दिखाई देते हैं। बदलाव आसन्न दिखाई देने पर भी भाजपा को किसी मुगालते में नहीं रहना चाहिए, क्योंकि आखिर चुनाव एक युद्ध है और युद्ध, युद्ध की तरह ही लड़ना होता है। नमो नमः!

 

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