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मजबूत इरादों से बनी पहचान

मजबूत इरादों से बनी पहचान

by pallavi anwekar
in महिला, मार्च २०१६
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नलिनी हावरे महिलाओं के आर्थिक रूप से सक्षम होने पर विश्वास रखती हैं। उनके द्वारा संचालित डेली बजार में कर्मचारी वर्ग से लेकर मैनेजर, सीए स्तर पर भी महिलाएं हैं। इनमें कई महिलाएं उनके साथ तब सेे हैं जब से डेली बजार की नींव रखी गई। उनकी सुविधा की दृष्टि से डेली बजार में दो शिफ्ट में काम होता है।

हिला कोई काम करने की अगर ठान लें तो वह सब कुछ कर सकती है। उसके लिए फिर न तो उम्र आड़े आती है, न सामाजिक पृष्ठभूमि और न ही शिक्षा। श्रीमती नलिनी हावरे ऐसी ही एक महिला है जिन्होंने इस बात को सच कर दिखाया है।

प्रारंभ
विवाह के बाद नलिनी ने महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव से मुंबई में कदम रखा। उनके पति उच्च शिक्षित थे परंतु नलिनी की शिक्षा बारहवीं तक ही थी। शुरूआती दौर में उन्हें यह बात कचोटती थी कि पति उच्चशिक्षित हैं और वे ग्रेजुएट भी नहीं हैं। मन की इसी कचोट ने उनमें कुछ कर दिखाने का हौसला जगाया। श्रीमती नलिनी के वैवाहिक जीवन की शुरूआत भी सामान्य महिलाओं की तरह ही रही। पति की सीमित तनख्वाह में सास, ननद, देवर और बच्चों का निर्वाह करने की जिम्मेदारी श्रीमती नलिनी पर थी। उन्होंने इसे बखूबी निभाया भी। घर के काम, बच्चों की देखभाल उनका पालन-पोषण इत्यादि में श्रीमती नलिनी रम गईं थीं। परंतु कुछ वर्षों के बाद जब बच्चे बड़े हुए, आर्थिक स्थिति सुधरी, परिवार के अन्य लोग भी अपने जीवन में रम गए तो श्रीमती नलिनी को लगने लगा कि अब वह समय आ गया है अपना कोई व्यवसाय किया जा सकता है। परंतु व्यवसाय करने के लिए उसके बारे में पूरी जानकारी और कुछ अनुभव होना आवश्यक है। अत: उन्होंने अशोक मेहता इंस्टिट्यूट से लिटिल ट्रेड मेनेजमैंट का कोर्स किया। इस कोर्स के दौरान उन्हें अपनी पूरी दिनचर्या बदलनी पड़ी। सुबह से शाम तक घर के विभिन्न कामों में समय व्यतीत करने वाली श्रीमती नलिनी अब सुबह से शाम तक ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में जाने लगीं। वहां उन्होंने पैकेजिंग जैसे सामान्य कामों को भी सीखा।

कोर्स करने के बाद भी किसी व्यवसाय को तुरंत शुरू करने का विचार उनके मन में नहीं था। सन 2005 में उनके पति सुरेश हावरे ने एक दिन अचानक उनसे कहा कि ‘8-10 दिन में तुम्हारी दुकान शुरू होने वाली है।’

वे यह मानती हैं कि जब उनके पति ने उन्हें डेली बजार शुरू करने का फैसला सुनाया तो वे थोड़ी चिंतित हुई थीं क्योंकि उन्हें घर परिवार, बच्चे आदि जिम्मेदारियों के साथ तालमेलबिठाकर डेली बजार सम्भालना था। इस काम में उनका अधिकतम समय गुजरने वाला था, परंतु जब उन्होंने सोचा कि इससे अन्य लोगों को भी लाभ होगा, कई परिवार चल सकेंगे तो उनके मन में उत्साह का संचार हुआ और अपने पति का प्रोत्साहन मिलते ही श्रीमती नलिनी ने डेली बजार नामक सुपर मार्केट की नींव रखी। डेली बजार शुरू करने का सारा श्रेय वे अपने पति को देती हैं।

डेली बजार ही क्यों?
श्रीमती नलिनी का हमेशा से ही यह उद्देश्य रहा कि उनके व्यवसाय के माध्यम से अधिकतम महिलाओं को रोजगार मिल सके। वे कहती हैं कि इस व्यवसाय में मुनाफे का प्रतिशत बहुत कम होता है परंतु उन्हें इस बात का संतोष है कि उनके व्यवसाय के कारण कुछ परिवारों का उदर निर्वाह हो रहा है। डेली बजार में काम करने वाली महिलाओं में से लगभग 90% महिलाएं अपनी कमाई से अपना घर चला रही हैं।

2005 में डेली बजार नवी मुंबई के एक उपनगर से शुरू किया गया था। आज 11 सालों में तीन उपनगरों में डेली बजार की शाखाएं हैं तथा इनका और विस्तार करने की उनकी योजना है। उनका पूरा ध्यान डेली बजार में मिलने वाले सामानों की गुणवत्ता पर रहता है।

श्रीमती नलिनी कहती हैं कि वे महिलाओं के आर्थिक रूप से सक्षम होने पर विश्वास रखती हैं। डेली बजार में कर्मचारी वर्ग से लेकर मैनेजर, सीए स्तर पर भी महिलाएं हैं। इनमें कई महिलाएं उनके साथ तब सेे हैं जब से डेली बजार की नींव रखी गई। उनकी सुविधा की दृष्टि से डेली बजार में दो शिफ्ट में काम होता है। साल में कभी भी डेली बजार बंद नहीं होता इसलिए महिलाएं भी आपसी समझदारी से तालमेल बिठाती हैं। कर्मचारी महिलाओं के साथ अगर कोई दुर्घटना होती है तो उसकी जिम्मेदारी भी श्रीमती नलिनी उठाती हैं। इससे महिलाओं के मन में उनके प्रति विश्वास बढ़ा है।

प्रगति
डेली बजार में अनाज तथा दैनिक उपयोग की वस्तुओं के अलावा बर्तन कपड़े इत्यादि की भी बिक्री की जाती है। डेली बजार के माध्यम से अब डेली पापड़ भी बनाए जाने लगे हैं। जिससे महिलाओं को और अधिक काम मिल सके। इस पापड़ को विभिन्न होटलों में बेचा जाता है। उनकी मांग के अनुसार पापड़ बनाये जाते हैं।

गृहिणी से उद्योगपति
श्रीमती नलिनी एक कुशल गृहिणी थीं। उद्योग भी कुशलता से चले इस हेतु उन्होंने स्वत: के साथ-साथ अपने परिवार को भी तैयार किया। काम के साथ-साथ धीरे-धीरे बढ़ने वाले अपने तजुर्बे के बलबूते पर श्रीमती नलिनी ने उद्योेग की भी कमान सम्भाल ली। भविष्य की योजनाओं के बारे में श्रीमती नलिनी कहती हैं कि उनकी यह योजना थी कि साड़ियों की भी बिक्री की जाए। उनका यह स्वप्न अब उनकी बड़ी बहू पूर्ण कर रही है। उन्होंने अपनी छोटी बहू को भी उद्योग करने हेतु प्रोत्साहित किया है और जल्द ही वह कॉफी शॉप खोलने जा रही है।

उनका कहना है कि जब महिलाएं कुछ करने की ठान लेती हैं तो उसे मदद करने वाले लोग भी बहुत मिल जाते हैं। आजकल तो लोन इत्यादि भी महिलाओं के लिए उपलब्ध हैं।

हावरे तथा डेली बजार
श्रीमती नलिनी हावरे के पति सुरेश हावरे जानेमाने बिल्डर हैं। उनकी पहचान एक कुशल उद्योगपति तथा सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में रही है। परंतु हावरे ब्रांड का प्रभाव कभी भी डेली बजार पर नहीं पड़ा। श्रीमती नलिनी गर्व से कहती हैं कि लोगों को तो शायद यह पता भी नहीं होगा कि डेली बजार हावरे परिवार का है। हावरे ब्रांड के कारण डेली बजार को कभी कोई विशेष लाभ या छूट नहीं मिली।

व्यक्तिगत उदाहरण देकर श्रीमती नलिनी बताती हैं कि उन्हें मेलों प्रदर्शिनियों में जाना पसंद हैं। वे एक बार साड़ियों की प्रदर्शनी में गई थीं। वहां उन्होंने सामान्य महिला की तरह ही मोलभाव करके साडियां खरीदीं। बिल बनाने के समय जब उन्होंने अपना नाम बताया और सुरेश हावरे की पत्नी के रूप में अपना परिचय दिया तब लोगों ने उन्हें पहचाना।

श्रीमती नलिनी को 2013 में उद्योगश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। आर्थिक रूप से सम्पन्न एक महिला अन्य महिलाओं की आर्थिक सम्पन्नता के लिए उद्योग शुरू करती है तथा उनका भविष्य उज्ज्वल करने की दृष्टि से भी प्रयासरत है। आज महिला सशक्तीकरण के दौर में इसे अभिनव प्रयोग कहा जाना चाहिए।

Tags: empowering womenhindi vivekhindi vivek magazineinspirationwomanwomen in business

pallavi anwekar

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