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महावीर जयंती: क्या हैं पंचशील सिद्धांत?

महावीर जयंती: क्या हैं पंचशील सिद्धांत?

by हिंदी विवेक
in विशेष, व्यक्तित्व, संस्कृति, सामाजिक
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भगवान महावीर के जन्मदिवस के अवसर को हम महावीर जयंती के रूप में मनाते है। भगवान महावीर जैन धर्म के अंतिम आध्यात्मिक गुरु थे जिन्हे आज भी पूरी श्रद्धा के साथ पूजा जाता है और उनके उपदेशों का पालन किया जाता है। भगवान महावीर का जन्म आज से करीब ढाई हजार साल पहले हुआ था उनकी जन्म स्थली बिहार थी। ईसा से करीब 599 साल पहले जन्मे महावीर ने मात्र 30 साल की अवस्था ही घर परिवार त्याग दिया था और ज्ञान की खोज में निकल गये थे। 25 अप्रैल को महावीर की जयंती है। बताया जाता है कि 12 साल की कठिन तपस्या के बाद उन्हे ज्ञान प्राप्त हुआ था। महावीर ने दीक्षा लेने के बाद दिगंबर को स्वीकार कर लिया। दिगंबर को जो स्वीकार करता है वह आकाश को ही अपना वस्त्र मानना है इसलिए वह किसी भी प्रकार का वस्त्र धारण नहीं करता है।

महावीर ने अपने उपदेशों से दुनिया को सही राह दिखायी और पूरी दुनिया को अपना परिवार बताया। उन्होने कहा कि आप किसी से भी बैर ना करे सभी को अपना समझें और सभी की मदद करें। आदमी के साथ साथ दुनिया के सभी जीव जन्तुओं और प्रकृति के प्रति भी प्रेम करने की बात उन्होंने कही। महावीर के मुताबिक इस दुनिया में आप हर उस चीज से प्रेम करें जिसमें जीवन है या फिर जो हमारे जीवन के लिए सहायक है। महावीर के उपदेशों को मानने वाले आज भी बहुत लोग है जो इसे मानते है। जैन धर्म के लोग इसका पूरी तरह से पालन करते है। पूरी दुनिया को संदेश देने वाले भगवान महावीर ने 72 वर्ष की आयु में देह त्याग दिया और मोक्ष की प्राप्ति हो गयी। रविवार को उनकी जयंती पर हम उनके विचारों को फिर से याद करते है और उसे अपने जीवन में धारण करने की कोशिश करते है।


भगवान महावीर के पंचशील सिद्धांत
भगवान महावीर के जीवन में अहिंसा सबसे बड़ा सिद्धांत था और वह सभी को यही संदेश देते थे कि अहिंसा का साथ कभी मत छोड़ो वरना जीवन में दुखों की संख्या बढ़ जायेगी। भगवान महावीर के पंचशील सिद्धांतों में अहिंसा को पहले स्थान पर रखा गया जबकि बाकी क्रमशः सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य और ब्रह्मचर्य को शामिल किया गया है।


कैसे मनाई जाती है महावीर जयंती
महावीर जयंती के दिन जैन धर्म के लोग सुबह में प्रभात फेरी निकालते है और लोगों को महावीर के उपदेशों से अवगत कराते है। इसके बाद महावीर जी की पालकी निकाली जाती है जिसमें एक भव्य जुलूस शामिल होता है। महावीर के मंदिरों में सोने और चांदी के कलश से महावीर का अभिषेक किया जाता है और मंदिरों पर ध्वजा चढ़ाई जाती है। इसके साथ ही पूरे दिन जैन समाज द्वारा धार्मिक कार्य किये जाते है और मजबूर लोगों की मदद की जाती है।

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Tags: digambarhindi vivekhindi vivek magazinejain communityreligioussubjectमहावीर जयंती

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