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पद्मश्री पीसी

पद्मश्री पीसी

by दिलीप ठाकुर
in जून २०१६, फिल्म
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पीसी अर्थात प्रियंका चोपड़ा की उड़ान रोल मॉडल है। एक वातविकता की जानकारी कराने वाली यात्रा का प्रारंभ है। किसी फिल्मी कलाकार को इतनी कम आयु में प्राप्त होना अपने आप में अनोखा एवं अपने क्षेत्र में पूरी लगन एवं समर्पण का द्योतक है। कुछ कर गुजरने का माद्दा रखने वाले युवाओं को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए।

पारंपरिक लोकप्रिय फिल्म कलाकार मुख्यत: दर्शकों का मनोरंजन करता है। प्रतिष्ठित पुरस्कारों हेतु उसका विचार नहीं हो सकता और उसे अपेक्षा भी नहीं रखनी चाहिए इस प्रकार की प्रचलित धारणा को तोड़ने वाली घटना घटित हुई है। सिनेमा में काम करने वाली लोकप्रिय अभिनेत्री प्रियंका चोपडा को पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त हुआ है। इस हेतु उनका अभिनंदन।
प्रियंका चोपडा अर्थात पीसी (यह आजकल के अंग्रेजी प्रसार माध्यमों द्वारा किया हुआ शॉर्ट फॉर्म है) जैसी अभिनेत्रियां मसालेदार फिल्म में शोभा की वस्तु, पेज थ्री पार्टी की ग्लैमरस डॉल एवं गॉसिप्स मैगजीन की सेक्स सिम्बॅल छवि के साथ पहचानी जाती हैं। मिस इंडिया का खिताब जीतने वाली पीसी विश्व सुंदरी का खिताब जीतने में भी सफल रही थी। तब भी मूलत: बरेली (उप्र) की यह युवती अभिनय के क्षेत्र में नहीं आना चाहती थी। हालांकि अभिनय क्षेत्र में आने में उसने देर की और जब आई तब भी उसने तेलगु फिल्म को पसंद किया। तेलगु में उसने गाना भी गाया।

हिंदी फिल्म में उसका पदार्पण भी उसकी सेक्स सिम्बल प्रतिमा के कारण ही था। कुछ याद आया? 2003 में राज कंवर द्वारा निर्देशित अंदाज फिल्म? अभय कुमार की रोमांटिक भूमिका वाली यह फिल्म रोमांस से भरी थी। पीसी और लारा दत्ता इन दोनों में सबसे ज्यादा हॉट कौन? यही प्रतिस्पर्धा लगी थी। लारा की भी पहली ही फिल्म थी। उस समय ऐसा नहीं लगा था कि ये दोनों अभिनय के क्षेत्र में कुछ विशेष करेगी। पीसी ने भी प्रारंभ में ग्लेमरस भूमिकाओं को ही पसंद किया। जो भी हो अब्बास मस्तान निर्देशित ऐतराज में पीसी की खलनायिका की भूमिका उत्कृष्ट थी। नायिका करीना कपूर की अपेक्षा पीसी की भी सुंदरता की तारीफ हुई। अक्षय व पीसी में के बीच कुछ चल रहा है ऐसा भी उस समय लगा। शायद इसी भूमिका के बाद पीसी ने अमिनय को गंभीरता से लेना शुरू किया। परंतु केवल इच्छा होने से सब कुछ नहीं होता। उसके लिए अवसर भी मिलना चाहिए। पीसी को वह मिलता गया एवं उसने भी अपनी छाप छोड़ते हुए सफलता प्राप्त की एवं अपनी विश्वसनीयता बढ़ाई।
आशुतोष गोवारीकर की ‘व्हाट्स योर राशि’ में बारह भिन्न स्वभावों वाली बारह भूमिकाओं, विशाल भारतद्वाज की ‘सात खून माफ’ में सात विभिन्न छटाओं की सात भूमिकाएं व मधुर भंडारकर की ‘फैशन’ में इमोशनल टच वाली ग्लैमरस भूमिका, इस प्रकार की कुल 20 व्यक्ति रेखाओं में पीसी की अभियान क्षमता सिद्ध हुई। उसकी सर्वांगीण प्रतिमा नजर आई। आपका काम बोलना चाहिए। यही आपकी सच्ची पहचान निर्माण करता है।

पीसी ने ‘गुंडे’ जैसी निम्न स्तरीय फिल्म भी की एवं ‘डॉन 2’ जैसी स्टाइलिश फिल्म भी। ‘अग्निपथ’ के रीमेक से वह संजय लीला भंसाली के बाजीराव मस्तानी तक पहुंची। दीपिका पदुकोन की मस्तानी की भूमिका की अपेक्षा पीसी की अदाकारी बेहतर रही। पीसी दिखी भी बहुत सुंदर। पिंगा गाने में भी वही ज्यादा प्रभावशाली रही। छोटे-छोटे संवादों से उसने अपनी प्रतिभा दिखाने में सफलता पाई। इस अभिनय के लिए उसे राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ। इसमें कुछ आश्चर्यजनक नहीं, क्योंकि उसने स्वत: की क्षमता को सिद्ध किया था। फिल्मों में शो पीस की तरह काम करने वाली अभिनेत्री इतनी ऊंची उड़ान भरेगी ऐसा अगर किसी ने पहले ‘अंदाजा‘ व्यक्त किया होता तो शायद उसे मूर्ख ठहराया जाता। पीसी ने अपनी क्षमता सिद्ध की इसलिए उसकी स्पेस व अस्तित्व बढ़ता गया। उसकी नई पहचान निर्मित हुई। एक साक्षात्कार के दौरान जब पीसी को जानने का मौका मिला तो उसके सकारात्मक दृष्टिकोण व परिवर्तन की भी अच्छी पहचान हुई। कोई भी कलाकार केवल नसीब से बड़ा होता है ऐसा नहीं है, उसके लिए योग्य अवसर का मिलना व उसका उपयोग करना भी महत्वपूर्ण है।

इन परिवर्तनों के समय हिंदी फिल्म भी अपनी केंचुली बदल रहा था। व्यावसायिकता के साथ कुछ अलग प्रयोग भी हो रहे थे। ओमंग कुमार की ‘मेरी कोम’ यह एक ऐसी ही अलग फिल्म रही। पीसी ने यह चुनौतीपूर्ण भूमिका स्वीकार तो की ही, परंतु उसे पर्दे पर उतारने के पहले की जो तैयारी उसने की वही पीसी को दूसरों से अलग दर्शाती है।

पीसी यहीं रुकी नहीं यह अधिक अच्छा रहा। वह अमेरिका गईं। पीसी ने क्वांटिको नामक धारावाहिक में भूमिका प्राप्त कर ग्लोबल युग में कदम रखा। आजकल कलाकार ऊंची उड़ान की सोच और गति रखते हैं यह तारीफ करने योग्य है। पीसी का कार्यकाल हिंदी फिल्म के परिवर्तन का भी काल है। व्यावसायिकता को ध्यान में रखते हुए भी कुछ अलग प्रयोग किए जा रहे हैं। इसका पीसी ने अपने ग्लेमरस अंदाज से अच्छा फायदा उठाया।

लोकप्रियता, पारितोषिक, ग्लैमर आदि से आगे बढ़ कर भी बहुत कुछ प्राप्त कराती है। उससे किसी विषय की अच्छी पहचान, किसी यशस्वी व्यक्तित्व के निर्माण इन सबकी जानकारी मिलती है। पीसी को यह बाजीराव मस्तानी की काशीबाई इस व्यक्ति रेखा एवं मेरी कोम की भूमिका के माध्यम से मिला। पीसी में यह बदलाव उसके द्वारा प्राप्त अवसर एवं उसका उसके द्वारा सकारात्मक उपयोग का परिणाम है।

पीसी की उड़ान रोल मॉडल है। एक वातविकता की जानकारी कराने वाली यात्रा का प्रारंभ है। हम पीसी की खूब तारीफ करें। अपने डॉक्टर पिता अशोक के बाबत पीसी बहुत सेन्सेटीव है। उनकी मृत्यु के बाद पीसी को संभलने में बहुत कष्ट हुआ। अपने काम का आनंद लेते हुए पीसी पुन: खुद खड़ी हुई। यही तो महत्व का होता है।
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Tags: actorsbollywooddirectiondirectorsdramafilmfilmmakinghindi vivekhindi vivek magazinemusicphotoscreenwritingscriptvideo

दिलीप ठाकुर

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