उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

उत्तराखंड के नवनियुक्त मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी की आयु मात्र 45 वर्ष है। इनकी कैबिनेट में कुल 11 मंत्री हैं। सभी आयु एवं राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव में मुख्यमंत्री जी से काफी वरिष्ठ हैं। विधानसभा चुनाव में मुश्किल से 9 माह का वक्त बचा है। ऐसे में अभी तक का सबसे युवा मुख्यमंत्री का चयन कर भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखण्ड का पूरा राजनीतिक परिदृश्य ही बदल डाला है।

रविवार, 4 जुलाई 2021 को सायं 5 बजे के बाद श्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड राज्य की 21वें साल की यात्रा में 11वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। इस प्रकार श्री पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखण्ड राज्य के पहले ऐसे मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ जो विधायक की कुर्सी से सीधे मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे। श्री पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखण्ड में पहली पहचान तब मिली जब 2001 में राज्य के द्वितीय मुख्यमंत्री भगत दा ने उन्हें अपना मुख्य कार्यकारी अधिकारी (जडऊ) नियुक्त किया। ततपश्चात प्रदेश संगठन ने लगातार दो बार धामी जी को भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जिसे उन्होंने बड़ी कुशलता से निभाया। इस दौरान श्री पुष्कर धामी ने अनेक बार उत्तराखण्ड राज्य का सघन दौरा किया। अनेक युवाओं को भाजपा से जोड़ा। राज्य की युवा शक्ति के मध्य भजो का जनाधार खड़ा किया। अपने सरल, सौम्य, हंसमुख स्वभाव से लोकप्रियता प्राप्त की। राज्य की भौगोलिक, सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक और राजनीतिक बारीकियों को जाना व समझा। 2012 के विधानसभा चुनाव में जब भाजपा ने धामी जी को खटीमा विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया तो उन्होंने पहली बार खटीमा सीट भाजपा की झोली में डाल दी। 2017 में पुनः वे खटीमा सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे।

राजनीति की राह बड़ी अनिश्चित होती है। राजनीति में कब किसे बनवास मिल जाये, किसका राजतिलक हो जाये कोई नहीं जनता। मुख्यमंत्री बनने के बाद पहले संबोधन में धामी जी के कुछ ऐसे ही उद्गार उनके श्रीमुख से निकले जब उन्होंने कहा कि 2017 में प्रचंड बहुमत के साथ उत्तराखंड में भाजपा की सरकार बनने के बाद वह मंत्रिमंडल में शामिल होना चाहते थे परन्तु असफल रहे। उसके बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड का प्रदेश अध्यक्ष पद हासिल करना चाहा लेकिन विफल रहे। श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए श्री तीरथ सिंह रावत के मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री बनने के प्रयास भी परवान न चढ़ सके। लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते विपक्ष की आलोचना से आहत मुख्य चुनाव आयुक्त के 5 मई 2021 को जारी पत्र जिसमे देश के हालत सामान्य होने तक उप चुनाव पर रोक लगाने से जब  श्री तीर्थ सिंह रावत के विधान सभा सदस्य बनने के रास्ते जब बंद हो गए तब अचानक पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री पद का दायित्व दे दिया जिसकी उन्होंने कल्पना तक न की थी। राजनीति ऐसा भाग्य का खेल पहले भी खेलती रही है। कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता नरसिंह राव, जनता दल (एस) के देवगौड़ा, इंद्र कुमार गुजराल तथा ड़ॉ मनमोहन सिंह ने भी ऐसे ही अकल्पनीय रूप से देश के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित किया था।

देखा जाये तो मात्र 7 वर्ष की अल्पावधि में दुनिया के शीर्ष नेतृत्व में अपना प्रमुख स्थान बनाने वाले भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश का राजनीतिक परिदृश्य ही बदल डाला है। साथ ही भारतीय जनता पार्टी का कल्चर भी वे इस तरह बदल रहे हैं कि आने वाले समय में भारतीय जनता पार्टी युवा भारत, आकांक्षी भारत, आधुनिक भारत, समृद्ध भारत और आत्मनिर्भर भारत का दुनिया में सही प्रतिनिधित्व कर सके। उनके नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी में यह सोच घर कर चुकी है कि ऐसे भारत के निर्माण का भार युवाओं के सबल कंधे ही वहन कर सकते है। दो वर्षों की लम्बी प्रतीक्षा के बाद हाल ही में किया गया केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।जिसमे देश के हर क्षेत्र से, हर वर्ग से पढ़े-लिखे युवाओं को वरीयता दी गयी है।

उत्तराखंड के नवनियुक्त मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी की आयु मात्र 45 वर्ष है।इनकी कैबिनेट में कुल 11 मंत्री हैं। सभी आयु एवं राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव में मुख्यमंत्री  जी से काफी वरिष्ठ हैं। विधानसभा चुनाव में मुश्किल से 9 माह का वक्त बचा है। ऐसे में अभी तक का सबसे युवा मुख्यमंत्री का चयन कर भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखण्ड का पूरा राजनीतिक परिदृश्य ही बदल डाला है। भाजपा की विधायक दल की बैठक में श्री पुष्कर सिंह धामी का विधायक दल के नेता चुने जाने के ऐलान के बाद एक बार तो ऐसा लगा कि अगले दिन मुख्यमंत्री जी कैबिनेट के सदस्यों के साथ शपथ ले पाएंगे अथवा अकेले ही शपथ लेंगे। परन्तु  मुख्यमंत्री पद पर चयन होने के अगले दिन निर्धारित समय पर जिस प्रकार सभी कैबिनेट मंत्रियों ने मंत्री पद की शपथ ग्रहण की उससे धामी जी के राजनीतिक कौशल का परिचय जन सामान्य को सहज ही मिल गया। उनके राजनीतिक कौशल का परिचय एक बार फिर तब मिला जब उन्होंने 3 भारी-भरकम विभाग लोक निर्माण विभाग , ऊर्जा और स्वास्थ्य विभाग अपने 3 वरिष्ठ मंत्रियों को सौंप दिए।यह तीनों विभाग जनसामान्य की दैनिक जरूरतों से जुड़े हैं। जिसका लाभ जनता को मिलना शुरू हो गया है।

प्रशासनिक दृष्टि से देखे तो बिना समय गंवाए मुख्य सचिव पद पर उत्तराखंड कैडर के वरिष्ठ नौकरशाह श्री एस एस संधू की नियुक्ति कर देना मुख्यमंत्री जी के एक चौंकाने वाले कदम के रूप में देखा जा रहा है। श्री संधू जी की छवि एक तेज-तर्रार, ईमानदार और सरकारी नीतियों को तेजी से अमल में लाने वाले ऑफिसर की रही है। उम्मीद की जा रही हैं कि अब केंद्र और राज्य सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाएं तथा कार्यक्रम तेजी से धरातल पर दिखाई देने लगेंगे। जिसका भरपूर लाभ प्रदेश की जनता को शीघ्र ही मिलना शुरू हो जायेगा। फ़िलहाल प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री उत्साह से लबरेज हैं। एक सप्ताह में दो बार दिल्ली हो आये हैं। उत्तराखण्ड राज्य में केंद्र सरकार की जो अनेकानेक जनहितकारी योजनाएं और कार्यक्रम चल रहे हैं उन सभी केंद्रीय मंत्रियों से मिल कर उनका सहयोग और आशीर्वाद पाने में वे सफल रहे हैं।

उत्तराखण्ड बनने के बाद यहां की राजनीति में दोनों राष्ट्रीय दलों अर्थात कांग्रेस और भाजपा का ही वर्चस्व रहा है। उत्तराखण्ड क्रांति दल जो यहां का क्षेत्रीय राजनीतिक दल है वो नेताओं की आपसी खींचतान की वजह से राज्य में अपनी जड़े जमाने में पूरी तरह विफल रहा है। राज्य निर्माण आंदोलनकारियों पर यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा गोली चलवाये जाने और महिलाओं का शारीरिक उत्पीड़न कराये जाने का आरोप लगने के कारण समाजवादी पार्टी कभी भी यहां अपना कोई आधार नहीं बना सकी। 2022 के आम चुनाव में इस बार आम आदमी पार्टी जरूर ताल ठोकने के लिए प्रयासरत है। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री सिसोदिया जी दोनों देहरादून का दौरा कर चुके हैं। केजरीवाल ने 300 यूनिट बिजली फ्री देने का पासा यहां भी फेंका है। यहां के युवाओं पर उनकी विशेष नजर है। उत्तराखण्ड की युवा शक्ति को लोभ-प्रलोभन के जाल में फंसाकर भाजपा के किले में सेंध लगाने का केजरीवाल का दिवास्वप्न राज्य को युवा मुख्यमंत्री देकर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने एक ही झटके में धराशायी कर दिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पिछले लगभग एक साल से बड़ी चतुराई के साथ खुद को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आबाद करने के लिए ताना-बाना बुन रहे थे।उनका कहना था कि उत्तराखण्ड में भाजपा से सत्ता छीनने के लिए कांग्रेस को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करना जरूरी है। उनकी मुहीम परवान चढ़ती उससे पहले ही भाजपा के इस दाव से वह पंक्चर हो गयी। इस प्रकार चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने श्री पुष्कर सिंह धामी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाकर एक तीर से अनेक शिकार कर लिए।

धामी जी को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बने अभी मात्र 15 दिन हुए हैं। इस छोटी सी अवधि में उन्होंने लगभग सभी प्रमुख राष्ट्रीय चैनल्स को साक्षात्कार दिया है। जिस प्रकार उन्होंने जटिल से जटिल राजनीतिक प्रश्नों के सीधे-सपाट लेकिन सधे स्वर से उत्तर दिए हैं वह निश्चय ही काबिले-तारीफ है। प्रदेश भाजपा युवा मोर्चे के दो बार अध्यक्ष रहने के दौरान युवाओं के बीच बनी उनकी लोकप्रियता आज भी अक्षुण्ण देखी जा सकती है। युवा मानस पर उनकी गहरी पकड़ है। उनकी समस्याओं, आशा, आकांक्षाओं की बेहतर समझ है। इसीलिए धामी जी ने युवा शक्ति की रोजगार एवं स्वरोजगार संबंधी शिकायतों को प्राथमिकता की सूची में रखा है।जिसका प्रभाव शासन, प्रशासन व जनता के बीच स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है। उनके तीखे तेवर से नौकरशाही हलकान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जय प्रकाश नड्डा के साथ-साथ भाजपा के अन्य राष्ट्रीय एवं प्रदेश नेतृत्व से मिल रहा आशीर्वाद मुख्यमंत्री धामी जी के चेहरे पर आत्मविश्वास के रूप में साफ़ झलकता है। राज्य की जनता को उनसे उम्मीद बंधी है। चुनौती बड़ी है।  युवा हौसला है। समय की कसौटी पर कसा जाना अभी बाकी है।श्री पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखण्ड का मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा नेतृत्व ने जो तीसरी पीढ़ी पर विश्वास व्यक्त किया है वह निसंदेह सराहनीय भी है, स्वागत योग्य भी है और देश के राजनीतिक परिदृश्य को बदलने वाला भी है।

 

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