राम मंदिर नींव के एक तरफ क्यों लगाया गया है भगवा ध्वज ?

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Ayodhya: A view of the ongoing construction work of the Ram Mandir in Ayodhya, Thursday, Sept. 16, 2021. The foundation work of the temple is nearing completion. (PTI Photo)(PTI09_16_2021_000172A)
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राम मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है और समय समय पर उसकी तस्वीरें भी राम भक्तों के लिए जारी की जा रही है। ट्रस्ट की तरफ से मीडिया को बुलाया गया और मंदिर निर्माण कार्य के बारे में सूचना दी गयी। राम मंदिर के नींव का…

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।

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भगवान श्रीकृष्ण का स्वयं का भी जीवन उतार-चढ़ाव से ओत-प्रोत है। वे जेल में पैदा हुए, महल में जिये और जंगल से विदा हुए। उनका यह मानना था कि व्यक्ति जन्म से नहीं कर्म से महान बनता है। उनके द्वारा कुरुक्षेत्र के मैदान में गीता-ज्ञान का ऐसा उपदेश दिया गया जो कर्तव्य से विमुख हो रहे हर व्यक्ति को दिशा व उर्जा प्रदान करने वाला है। वस्तुतः श्रीमद्भगवद्गीता उनके उपदेश का एक ऐसा दर्शन है जो हमें नश्वर जगत में अपना कर्तव्य निस्पृह भाव से निभाने के लिए प्रेरित करता है।

राष्ट्र निर्माण में वित्तीय संस्थानों की भूमिका

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निज़ी बैंक का मुख्य उद्देश्य मुनाफ़ा कमाना है, जबकि सरकारी बैंकों का उद्देश्य सामाजिक सरोकारों को पूरा करते हुए मुनाफ़ा कमाना है। इसी वजह से देश में समावेशी विकास की संकल्पना को साकार किया जा रहा है। हालांकि, बीते 73 सालों में भारतीय अर्थव्यवस्था काफ़ी मज़बूत हुई है।

हिन्दू पंचांग : ‘रक्षा-सूत्र’ का त्यौहार

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आख़िर  ‘रक्षा-सूत्र’  प्रेम, शक्ति और सौहार्द्र का प्रतीक है। दुर्लभ समय में आपके प्रियजन की रक्षा और सुरक्षा के लिए यह सूत्र बांधा जाता है तो फिर ये केवल भाईयों की कलाई पर ही क्यों सजे! हर उस कलाई पर होना चाहिए जिसके सुख, समृद्धि, लंबी उम्र और सुरक्षा की कामना की जाती है।

हार न मानने वाले भारतीय वैज्ञानिक

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अंग्रेजों के मन में भारतीय वैज्ञानिकों के प्रति उपेक्षा का भाव इतना अधिक गहरा था कि भारत की समृद्ध वैज्ञानिक विरासत और आजादी के संघर्ष काल में जगदीश चंद्र बसु, प्रफुल्ल चंद्र राय और सी.वी. रामन जैसे प्रतिभाशाली विज्ञानियों के वैज्ञानिक शोध व चिंतन को नकारने की उन्होंने पूरी कोशिश की। लेकिन प्रतिभा का दमन भला कब तक किया जा सकता है। ब्रिटिश शासन की उपेक्षा और तिरस्कार ने हमारे वैज्ञानिकों को और ज्यादा कठोर विज्ञान साधना करने को प्रेरित किया और फिर आगे चलकर उनके ज्ञान का लोहा पूरी दुनिया ने माना।

संकल्पशक्ति से होगा अखंड भारत का निर्माण

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जो राष्ट्र अपनी सीमाओं का विस्तार नहीं करता वह धीरे-धीरे सिमटता चला जाता है और अपने पतन को प्राप्त होता है. भारत के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ इसलिए आज हम सिमट कर रह गए है. ऐसे समय में अखंड भारत की संकल्पना ही वह एकमात्र उर्जा शक्ति है…

14 अगस्त विशेष : भारत विभाजन की त्रासदी

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कहते हैं आगे बढ़ने के प्रयासों के दौरान पड़ने वाले आराम दायक पड़ावों को मंजिल मान लिया जाए, तो फिर प्रगति के रास्ते अवरुद्ध हो जाते हैं। यही बात भारत की खंड-खंड आजादी को संपूर्ण आजादी मान लिए जाने पर लागू होती है। दुर्भाग्य की बात तो यह है कि…

स्वतंत्रता के 75 साल बाद भी भारतीयकरण शेष है

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आजादी के 7 दशकों के बाद भी देश के तंत्र का भारतीयकरण करना शेष है। स्वदेशी, स्वभाषा और स्वाभिमान किसी भी राष्ट्र की स्वतंत्रता के मुख्य स्तंभ होते हैं। जब तक इनके आधार पर हम अपना शासन तंत्र नहीं बदलते तब तक तो राज्य को सुराज्य में बदलना संभव नहीं होगा। जब तक भारत स्वदेश, स्वभाषा और स्वाभिमान के साथ उठकर विश्व के सामने खड़ा नहीं हो जाता, तब तक स्वतंत्रता प्राप्ति का अर्थ और लक्ष्य अधूरा ही रहेगा।

हम सब एक ही है ! – डॉ. मोहन जी भागवत

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डॉ. मोहन जी ने कहा, हिंदू- मुस्लिम एक हैं इसका कारण हमारी मातृभूमि एक है। पूजा- पद्धति अलग होने के कारण हमें अलग नहीं किया जा सकता। सभी भारतीयों का डीएनए एक है। भाषा, प्रदेश और अन्य विषमताओं को छोड़कर सभी भारतीयों को एक होकर भारत को विश्व गुरु बनाने का समय आ गया है। भारत विश्व गुरु बनने के बाद विश्व सुरक्षित होगा।

भारत के राष्ट्रत्व का अनंत प्रवाह

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भारतीय दर्शन, भारत की राष्ट्र की अवधारणा अपने आप में समृद्ध और सम्पूर्ण है। इस प्रकार यह पुस्तक किसी भी राष्ट्र का भारतीय दर्शन समझाने वाले चिन्तक या जिज्ञासु के पुस्तकालय के लिए अत्यावश्यक है। मैं तो यहां तक कहूंगा कि यह पुस्तक सभी विभूषित विद्वानों और तथाकथित विद्वानों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा भेंट की जानी चाहिए, ताकि उनकी आंखों और मस्तिष्क में जमी धूल कुछ तो साफ़ हो।

गोवंश आधारित शाश्वत खेती और अर्थव्यवस्था

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गोवंश आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए समस्त महाजन संस्था और भारत सरकार के जीव जंतु कल्याण बोर्ड देश भर में गोपालन और गोवंश के संरक्षण व संवर्धन के लिए विशेष तौर पर कार्यरत है और भारत के पूर्वजों की परम्परा व धरोहर को आगे बढ़ा रही है। समस्त महाजन संस्था के नेतृत्व में जैन धर्म से जुड़े बहुतायत लोग जीवदया मामले में उल्लेखनीय कार्य कार्य रहे है जो समाज के लिए अनुकरणीय है और एक आदर्श भी है।

समान नागरिक संहिता की अनिवार्यता

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भाजपा ने अपने घोषणापत्र में वादा किया था कि ‘समान नागरिक संहिता’ का मसौदा सर्वोत्तम परंपराओं पर आधारित है और आधुनिक समय के साथ उनका सामंजस्य स्थापित करता है। यहां लैंगिक समानता तब तक नहीं हो सकती, जब तक भारत समान नागरिक संहिता नहीं अपनाता, जो सभी महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करता है। बिल्कुल ऐसी ही बात न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह ने हाल में मीणा याचिका की सुनवाई करते हुए कही है। उन्होंने कहा कि विवाह, तलाक, उत्तराधिकार आदि के कानून सबके लिए समान होने चाहिए।

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