कोराना से डरना नहीं लड़ना है

रोजी गई, रोटी गई, गई हमारी आजादी,

अब भी नहीं चेते तो होगी बड़ी बर्बादी।

कहते हैं यदि सुबह का भूला शाम को वापस आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते किंतु यदि कोई ये जानते-बुझते हुए कि वह गलत रास्ते पर जा रहा है फिर भी चलता जाए तो उसे क्या कहेंगे?

वर्ष 2020 से हम एक खतरनाक संक्रमण से लड़ रहे हैं। जिसे हम ‘कोराना महामारी’ के नाम से जानते हैं। जिसने हमारे अपनों को अपना शिकार बनाया है, रोजगार छीना है। दीमक की तरह यह हमें खोखला करता जा रहा है। हम सब जानते हैं कि ये कितना खतरनाक है फिर भी हम चेत नहीं रहे हैं। कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है और हम सब इसे बहुत ही सहज रूप में ले रहे हैं जबकि कोरोना को लेकर हम सबका पिछला अनुभव कितना खतरनाक रहा है, ये हम अच्छी तरह से जानते हैं। जिसे हम नकार भी नहीं सकते। मई 2021 से ही सभी समाचार पत्रों में, न्यूज चैनल्स में बार-बार बताया और चेताया जा रहा है कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। ये सूचना हम सुन भी रहे हैं और देख भी रहे हैं किंतु इस पर गंभीर नहीं हो रहे हैं। हमने तो बस यही सोच लिया है कि हम बच्चों को बाहर नहीं भेजेंगे। घर में कैद करके रखेंगे। वैसे भी अभी छोटे बच्चों के स्कूल बंद ही हैं। क्या इससे हमारे बच्चे सुरक्षित हो जाएंगे? ऐसा सोचकर क्या हम अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाऐंगे?

हमें गंभीरता से इस पर विचार करना होगा कि क्या कोरोना की तीसरी लहर वाकई में बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है और यदि हाँ तो क्या घर में कैद करके हम अपने बच्चों का बचा सकते हैं? उन्हें सुरक्षित रख सकते हैं? यदि आप विवेक से सोचेंगे तो आप जान जाएंगे कि इससे बचाव का हल आपके पास ही है।

आज भी हम देखते हैं कि सरकार, समाचार पत्र, न्यूज चैनल्स हमें सचेत कर रहे हैं कि अभी कोरोना पूर्ण रूप से गया नहीं है। भले ही आपने कोरोना की वैक्सीन को लगवा लिया हो फिर भी मास्क लगाना, सामाजिक दूरी रखना अति आवश्यक है। यदि हम मास्क और सामाजिक दूरी को ध्यान में नही रखेंगे तो तीसरी लहर को आने से कोई भी नहीं रोक पाएगा। जिस तरह से हम बिना किसी काम के घरों से निकल रहे हैं, पिकनिक मना रहे हैं और सामाजिक दूरी में लापरवाही बरत रहें हैं, उसे देखकर तो ऐसा ही लग रहा है कि जैसे जनजीवन सामान्य हो गया परन्तु हम अनजाने में ही अपने घरों में कोरोना को आमंत्रित कर रहे हैं। जिससे हमारे घर के अन्य सदस्य भी प्रभावित हो सकते हैं। विशेषकर बच्चे जिनको अभी तक कोई वैक्सीन भी नहीं लगी है। इसकी दवा का इंतजार तो हम सभी कर ही रहे हैं।

स्वयं को और बच्चों को यदि कोराना महामारी की तीसरी लहर से बचाना है तो आप जब भी जरूरी काम से बाहर निकलें तो मास्क अवश्य लगायें, अपने हाथों को सेनेटाइज करें और सामाजिक दूरी का विशेष ध्यान रखें। जिससे हम अपनी सुरक्षा के साथ-साथ अपने घर-परिवार, बच्चों, आस-पास के लोगों को भी सुरक्षित रख पाएंगे। अगर हम ऐसा नहीं कर पाए तो हम अपने बच्चों को तीसरी लहर से नहीं बचा पाएंगे। बच्चों को तीसरी लहर से बचाना होगा नहीं तो आने वाला समय हम सबके लिए बहुत बड़ी समस्या पैदा कर सकता है।

 

आपको अपने बच्चों के लिए हनुमान बनना होगा। जिस तरह लक्ष्मण जी को हनुमान जी ने संजीवनी बूटी लाकर बचाया था उसी तरह आप भी अपने बच्चों के लिए हनुमान बन सकते हैं। बच्चों की संजीवनी बूटी मास्क, सेनेटाइजर और सामाजिक दूरी आदि सुरक्षा उपाय, जिसे आप स्वयं अपनाकर बच्चों को कोरोना की तीसरी लहर की चपेट में आने से बचा सकते हैं।

हमें कोरोना से डरना नहीं है हमें तो उससे लड़ना है और उसे मात देनी है। हम उसे मात तभी दे पाएंगे जब हम उसके आने के सभी रास्ते बन्द कर दें और वे रास्ते कैसे बन्द होंगे हम सभी जानते हैं।

मास्क, सेनेटाइजर, सामाजिक दूरी का रखो ध्यान,

तभी हम सब दे पाएंगे कोरोना को मात

This Post Has 8 Comments

  1. कीर्ति श्रीवास्तव

    धन्यवाद🙏

  2. कीर्ति श्रीवास्तव

    जी जरूरी है। टिप्पणी करने के लिए धन्यवाद

  3. Yogesh Saini

    सही समय पर सही लेख, विचारणीय ही नहीं अनुकरणीय

    1. कीर्ति श्रीवास्तव

      धन्यवाद आपका🙏

  4. Purnima dhillon

    कोरोना से बचाव के लिए सावधानी तो रखने ही होगी

  5. समीर श्रीवास्तव, पुणे

    बहुत उम्दा, सार्थक, समसामयिक लेख 👍💐💐

  6. Anonymous

    बहुत बढिया जागरूक लेख

    1. कीर्ति श्रीवास्तव

      धन्यवाद🙏

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