दरअसल अब नई शिक्षा नीति के अंतर्गत वास्तव में राष्ट्र की लुप्त कर दी गई सांस्कृतिक संपदा के महत्व को अंगीकार करते हुए ज्ञान, कर्म, संस्कार, भाषा, संस्कृति और कौशल दक्षता को विद्यार्थी में विकसित करने का काम मातृभाषाएं करेंगी। मानव को मानवीय बनाने के यही मानविकी विषय हैं। व्यक्तित्व निर्माण की यही परिकल्पना व्यक्ति में राष्ट्रबोध का प्रादुर्भाव करती है। मूल्य-बोध के इन संस्कारों से संपूर्ण राष्ट्र में सांस्कृतिक चेतना का लोकव्यापीकरण होगा और सनातन मानवीय मूल्यों की सुरक्षा होगी। यही मूल्य न केवल व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाएंगे, बल्कि देश को भी आत्मनिर्भता के शिखर पर पहुंचाएंगे।