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लातूर भूकंप की 28वीं बरसी: जब सो रहे लोगों पर बरपा था कहर

लातूर भूकंप की 28वीं बरसी: जब सो रहे लोगों पर बरपा था कहर

by हिंदी विवेक
in जीवन, विशेष, सामाजिक
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30 सितंबर 1993 की वह काली रात जिसने हजारों लोगों को काल के गाल में समा दिया। महाराष्ट्र के लातूर वासियों के लिए यह दिन किसी काले दिन से कम नहीं है जिसका दर्द वह आज भी दिलों में लिए घूम रहे है। 30 सितंबर 1993 को महाराष्ट्र के लातूर में भयानक भूकंप ने दस्तक दी थी जिसकी तीव्रता रिक्टर पर 6.2 दर्ज की गयी थी। इस भूकंप ने तबाही का एक नया अध्याय लिखा जिसमें आधिकारिक तौर पर करीब 10 हजार लोगों की मौत हुई जबकि भूकंप प्रभावित लोगों की मानें तो 28 हजार से अधिक लोगों ने अपना जीवन खो दिया। 30 हजार लोग बुरी तरह से घायल हुए थे करीब 30 हजार मकान ध्वस्त हो गये थे। 2 लाख से अधिक मकानों में दरार आ गयी थी या फिर वह हल्के रूप में टूट गये थे। यह भूकंप सुबह करीब 3.56 पर आया जब लोग गहरी नींद में सो रहे थे और यही वजह रही कि मृतकों की संख्या अधिक हो गयी क्योंकि लातूर की जनता नींद में थी जिससे वह भागने का प्रयास भी नहीं कर सके।
भूकंप ने एक बड़े क्षेत्र को अपने घेरे में ले लिया था जिससे जन-धन की बड़ी हानि हुई। भूकंप की चपेट में करीब 52 गांव आ गये थे जिससे बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हुए। इस प्रलय के बाद नजारा हृदय विदारक हो गया था। हर जगह सिर्फ लाश ही लाश नजर आ रही थी जो लोग बच गये थे वह घायल या फिर विकलांग हो चुके थे। हर तरफ चीख पुकार सुनाई दे रही थी लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे लेकिन मदद करने वाला कोई नहीं था। 1993 में संसाधन भी बहुत सीमित थे, लोगों के पास मोबाइल की सुविधा भी नहीं थी जिससे वह प्रशासन से मदद ले सके लिहाजा लोगों को मदद के लिए काफी समय तक इंतजार करना पड़ा। प्रलय काफी बड़ी थी इसलिए मदद कार्यों में भी समय लगा।
देश आज इस भूकंप की 28वीं बरसी मना रहा है लेकिन हालात यहां अभी भी बहुत नहीं सुधरे हैं। इस आपदा के बाद सरकार और विदेश से तमाम मदद आयी लेकिन वह पीड़ितों तक नहीं पहुंच सकी, कुछ लोग आज भी सरकार की तरफ से मिलने वाली मदद की राह देख रहे है और कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने सरकार की बात मानकर अपनी जमीन दे दी लेकिन उन्हें इसका मुआवजा आज तक नहीं मिला। एक जानकारी के मुताबिक भूकंप के करीब 28 साल बाद तक प्रभावित लोग पुणे और आसपास के इलाको में बस गये। भूकंप इतना बड़ा था कि इसकी सूचना उस समय ऑल इंडिया रेडियो से प्रसारित की गयी थी। रेडियो पर सुबह कहा गया कि हादसे में 200 लोगों की मौत हुई है जबकि शाम तक यह आंकड़ा हजारो में पहुंच गया था। इस हादसे के बाद सरकार की तरफ से लोगों को रहने के लिए घर बनाया गया और उनके रहने खाने की पूरी व्यवस्था की गयी।
भूकंप से पूरी दुनिया में बड़े पैमाने पर जान माल का नुकसान होता है। भूकंप रोकने के लिए अभी तक कुछ नहीं बना है लेकिन भूकंपमापी यंत्र के द्वारा किसी भी भूकंप को मापा जा सकता है और भूकंप के आने के पहले उसका पता लगाया जा सकता है लेकिन भूकंप का पहले से पता लगाने पर यह पूरी तरह से सार्थक नहीं हो पा रहा है। भूकंपमापी यंत्र को अभी और सुधारने की जरूरत है क्योंकि इस घटना के बाद भी अभी भूकंप का प्रलय जारी है और पूरी दुनिया इससे परेशान है। महाराष्ट्र के बाद 2001 में गुजरात का भूकंप भी बहुत भयानक था और इसका भी पहले से किसी को पता नहीं था जिससे गुजरात में भी जन धन की भारी हानि हुई थी।

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